Akhilesh Yadav-Azam Khan

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सपा में फिर एकजुटता का संदेश: जेल से छूटने के बाद आजम खान-अखिलेश यादव की पहली मुलाकात

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Akhilesh Yadav-Azam Khan: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बुधवार को रामपुर पहुंचे, जहां उन्होंने सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाकात की।

यह मुलाकात करीब दो घंटे दस मिनट तक चली और दोनों नेताओं ने साथ में लंच भी किया।

यह पहली बार है जब आजम खान के जेल से रिहा होने के बाद दोनों आमने-सामने मिले। इस मुलाकात ने यूपी की सियासत में हलचल मचा दी है।

आजम ने अखिलेश को रिसीव किया, एक ही कार में बैठे

बुधवार सुबह अखिलेश यादव लखनऊ से निजी विमान से बरेली एयरपोर्ट पहुंचे।

वहां से हेलिकॉप्टर से दोपहर 12:45 बजे वे रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया।

आजम खान खुद उन्हें रिसीव करने पहुंचे और दोनों एक ही कार में बैठकर उनके घर पहुंचे। इस दौरान आजम खान के समर्थकों में भारी उत्साह देखने को मिला।

गौरतलब है कि 23 सितंबर को आजम खान जेल से रिहा हुए थे, लेकिन उस वक्त अखिलेश यादव उनसे मिलने नहीं पहुंचे थे।

तब आजम ने तंज भरे लहजे में कहा था, हम कोई बड़े नेता नहीं हैं, अगर बड़े नेता होते तो बड़ा नेता लेने आता। बड़ा, बड़े को लेने आता है।

अब अखिलेश की यह मुलाकात उसी दूरी को मिटाने की कोशिश मानी जा रही है।

2 घंटे की बातचीत में सियासी गर्मी, साथ में लंच भी

दोनों नेताओं की बातचीत करीब दो घंटे से ज्यादा चली। सूत्रों के मुताबिक, बातचीत के दौरान आजम खान ने रामपुर और पार्टी की मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की।

दोनों नेताओं ने लंच भी साथ किया। सपा खेमे में यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से आजम खान की नाराजगी के संकेत मिल रहे थे।

आजम खान हमारी पार्टी की दरख्त हैं- अखिलेश 

मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया से कहा, आजम खान हमारी पार्टी की दरख्त हैं।

हमारा साथ हमेशा रहा और रहेगा। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि आजम खान और उनके परिवार पर सबसे ज्यादा केस लगाए गए।

सरकार पता नहीं कौन सा गिनीज रिकॉर्ड बनाना चाह रही है। मैं जेल से रिहाई के समय उनसे मिलने नहीं आ पाया था, इसलिए अब मिलने आया हूं।

उन्होंने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी अपने पुराने साथियों के साथ हमेशा खड़ी है। आजम साहब जैसे पुराने लोगों की बात ही अलग होती है।

रामपुर से लौटने के बाद अखिलेश यादव ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक फोटो शेयर की, जिसमें वे आजम खान के साथ बैठे नजर आ रहे हैं।

उन्होंने कैप्शन में लिखा, क्या कहें भला उस मुलाकात की दास्तान, जहां बस जज़्बातों ने खामोशी से बात की…

यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पार्टी कार्यकर्ताओं में इसे सपा की “पुरानी एकता” की वापसी का संदेश माना जा रहा है।

रामपुर सांसद को साथ नहीं लाए अखिलेश

दिलचस्प बात यह रही कि अखिलेश यादव के साथ रामपुर सांसद मोहिबुल्लाह नदवी नहीं थे।

जानकारी के मुताबिक, आजम खान ने पहले ही संकेत दे दिया था कि वे सिर्फ अखिलेश से ही मिलेंगे, किसी और से नहीं।

उन्होंने कहा था, मैं रामपुर सांसद से वाकिफ नहीं हूं। मेरी उनसे कभी मुलाकात नहीं हुई।

ऐसे में अखिलेश ने नदवी को बरेली में ही छोड़ने का फैसला किया।

अखिलेश यादव की रामपुर यात्रा के दौरान प्रशासन और सपा कार्यकर्ताओं के बीच सुबह से ही खींचतान रही।

प्रशासन ने उन्हें मुरादाबाद रूट से जाने की सलाह दी थी, लेकिन अखिलेश बरेली रूट से ही जाने पर अड़े रहे।

आखिरकार, उन्होंने बरेली एयरपोर्ट से हेलिकॉप्टर लेकर सीधे जौहर यूनिवर्सिटी में लैंड किया।

सपा में पुरानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश

आजम खान मुलायम सिंह यादव के दौर से समाजवादी पार्टी के बुनियादी स्तंभों में गिने जाते रहे हैं। रामपुर की राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ रही है।

हालांकि, बीते कुछ वर्षों में उनके खिलाफ दर्ज जमीन कब्जे, भैंस चोरी और बिजली चोरी जैसे कई मामलों ने उन्हें कानूनी शिकंजे में डाल दिया।

इसी दौरान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और आजम खान के बीच दूरी बढ़ने लगी थी। उनके समर्थकों का आरोप रहा कि सपा ने उनके साथ अन्याय के वक्त पूरी ताकत से आवाज नहीं उठाई।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव की यह मुलाकात सपा में पुराने नेताओं को साथ लाने और आगामी विधानसभा उपचुनावों से पहले एकजुटता दिखाने की रणनीति का हिस्सा है।

रामपुर में अखिलेश और आजम की यह मुलाकात केवल औपचारिक नहीं, बल्कि एक सियासी संकेत है — पार्टी के भीतर पुरानों की वापसी, एकजुटता और नाराजगी के बाद फिर से भरोसे की पहल।

सपा कार्यकर्ताओं के लिए यह मुलाकात उम्मीद जगाने वाली रही, जो शायद आने वाले महीनों में पार्टी की रणनीति और गठबंधन समीकरणों पर असर डाल सकती है।

 

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