राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी

राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी

सुप्रीम कोर्ट … ‘खून के प्यासे’ में कुछ गलत नहीं, इतना तो चलता है !

Share Politics Wala News

 इमरान प्रतापगढ़ी ने 29 दिसंबर को अपने एक्स हैंडल पर कविता की 46 सेकंड की वीडियो क्लिप पोस्ट की थी। बैकग्राउंड में ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ गीत बज रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्व

1.’खून के प्यासे’ कविता में कुछ गलत नहीं, न ही इसमें हिंसा का संदेश

2. पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व समझना चाहिए

3. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तब भी संरक्षित किया जाना चाहिए, जब बड़ी संख्या में लोग इसे नापसंद करें।”

Supreme Court on Imran Pratapgarhi:दिल्ली। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस की तरफ से दर्ज एफआईआर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी। यह एफआईआर उनके इंस्टाग्राम पोस्ट ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ कविता को लेकर दर्ज की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने आज कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एक FIR को रद्द कर दिया. यह मामला एक सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा था, जिसमें इमरान प्रतापगढ़ी ने “ए खून के प्यासे बात सुनो…” कविता के साथ एक वीडियो साझा किया था. कोर्ट ने अपने फैसले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर देते हुए पुलिस और निचली अदालतों की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए। इमरान प्रतापगढ़ी ने 29 दिसंबर को अपने एक्स हैंडल पर कविता की 46 सेकंड की वीडियो क्लिप पोस्ट की थी। बैकग्राउंड में ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ गीत बज रहा था। इस फैसले में खास बात ये है कि कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए पुलिस और निचली अदालतों की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए।

“संविधान के 75 साल बाद भी पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

का महत्व समझना चाहिए। यह अधिकार तब भी

संरक्षित किया जाना चाहिए, जब बड़ी

संख्या में लोग इसे नापसंद करें।”

-जस्टिस अभय एस ओका

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा, “कोई अपराध नहीं हुआ है। जब आरोप लिखित रूप में हों, तो पुलिस अधिकारी को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए। बोले गए शब्दों का सही अर्थ समझना जरूरी है। कविता में हिंसा का कोई संदेश नहीं है, बल्कि यह अहिंसा को बढ़ावा देती है।’

जस्टिस ओका ने पुलिस की कार्यशैली पर कहा, “संविधान के 75 साल बाद भी पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व समझना चाहिए। यह अधिकार तब भी संरक्षित किया जाना चाहिए, जब बड़ी संख्या में लोग इसे नापसंद करें।”

न्यायलय करें रक्षा- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस अभय ओका ने कहा कि भले ही न्यायाधीशों को कोई बात पसंद न आए, फिर भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संवैधानिक संरक्षण देना जरूरी है। मुक्त भाषण सबसे मूल्यवान अधिकारों में से एक है। जब पुलिस इसका सम्मान नहीं करती, तो न्यायालयों को आगे आकर इसकी रक्षा करनी चाहिए।

भले ही बहुत से लोग किसी दूसरे के विचारों को नापसंद करते हों, लेकिन विचारों को व्यक्त करने के व्यक्ति के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए। कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और कला सहित साहित्य मनुष्य के जीवन को और अधिक सार्थक बनाता है।

46 सेकेंड के वीडियो पर FIR हुई थी

FIR में आरोप लगाया गया है कि इमरान प्रतापगढ़ी ने 29 दिसंबर को अपने एक्स हैंडल पर कविता की 46 सेकेंड की वीडियो क्लिप पोस्ट की थी। बैकग्राउंड में ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ गीत बज रहा था। इमरान प्रतापगढ़ी ने जामनगर में आयोजित सामूहिक लगन समारोह में शिरकत करने के बाद यह सोशल मीडिया पोस्‍ट की थी।

हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत

प्रतापगढ़ी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म या नस्ल के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 197 (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक कथन) के तहत मामला दर्ज किया गया था।प्रतापगढ़ी ने इस FIR को रद्द करने के लिए पहले गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन 17 जनवरी को हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि जांच शुरुआती चरण में है और प्रतापगढ़ी ने जांच में सहयोग नहीं किया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

प्रेम और अहिंसा का संदेश देती है कविता- प्रतापगढ़ी

प्रतापगढ़ी के इस वीडियो क्लिप में दिखाया गया है कि जब वह हाथ हिलाते हुए चल रहे थे तो उन पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थीं और पृष्ठभूमि में एक गाना बज रहा था। प्रतापगढ़ी ने प्राथमिकी रद्द करने के लिए दाखिल याचिका में दावा किया कि पृष्ठभूमि में पढ़ी जा रही कविता प्रेम और अहिंसा का संदेश देती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *