Raj an uddhav thakeray

Raj an uddhav thakeray

फिर साथ आ सकते हैं राज और उद्धव ठाकरे, बस एक कसम की बात है

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Raj and Uddhav Thackeray Dispute is over-मुम्बई।  शादी समारोह में जाना, किसी तीसरे व्यक्ति के यूट्यूब चैनल पर ‘कोई शिकायत नहीं’ ये सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना। इसे भाइयों का प्यार ही कहा जायेगा। जी हाँ और इस प्यार के प्रदर्शन पर पूरे हिंदुस्तान की नजरें इसलिए लगी हैं कि ये इज़हार उद्धव और राज ठाकरे ने किया है। कह सकते हैं एक दूसरे के साथ काम करने को ‘क़ुबूल है’ कह दिया गया है। एपिसोड यहीं ख़त्म नहीं होता। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की ट्रेड यूनियन भारतीय कामगार सेना के एक आयोजन में जवाब दिया। इस गठबंधन को लेकर एक शर्त रख दी है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि वो भी मराठियों के हित में सब कुछ कर सकते हैं । पर पहले वो (राज ठाकरे) कसम खाए कि वो कभी गद्दारों के साथ नहीं जाएंगे। कभी उनको अपने घर खाने पर नहीं बुलाएंगे।

आपको बता दें ये घटना घटी अभिनेता और निर्देशक महेश मांजरेकर के यू-ट्यूब चैनल पर। जहाँ राज ठाकरे ने एक सवाल के जवाब में कहा मैं उद्धव के साथ गठबंधन को तैयार हूँ। राजनीतिक मतभेद है लेकिन महाराष्ट्र हित में साथ आ सकते हैं। वहीं जवाब में उद्धव बोले- हमारा कोई झगड़ा था ही नहीं।

Raj Thackeray-Uddhav Thackeray News: महाराष्ट्र में ठाकरे बंधु के साथ आने को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। अभी हाल ही में राज ठाकरे ने एक पॉडकास्ट में खुलासा किया है कि दोनों भाई महाराष्ट्र की राजनीति में साथ दिखेंगे या नहीं। कई मौकों खास कर पारिवारिक या सामाजिक समारोह में दोनों भाइयों को साथ-साथ देखा गया है। कई मौको पर कयास लगाए जा चुके है कि दोनों दोबारा फिर से एक साथ आएंगे। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद से दोनों के साथ आने का अनुमान लगाया लगाया जा रहा था कि महाराष्ट्र के ठाकरे बंधु यानी राज और उद्धव एक साथ आएंगे। ,

राज ठाकरे ने कहा

1. महाराष्ट्र सबसे ऊपर

राज ठाकरे ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना और एक साथ रहना कोई बहुत कठिन बात है। सवाल केवल इच्छाशक्ति का है। यह मेरी निजी इच्छा या स्वार्थ का मामला नहीं है। मेरा मानना ​​है कि हमें महाराष्ट्र की बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए। मेरा मानना ​​है कि महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को एक साथ आकर एक पार्टी बनानी चाहिए।”

2.सिर्फ बाला साहेब के अधीन ही काम करना

एकनाथ शिंदे के सत्ता में आने और ऐतराज की बात पर राज ने कहा, “पहली बात तो यह कि शिंदे का जाना या विधायकों का टूटना राजनीति का अलग हिस्सा बन गया। जब मैंने शिवसेना छोड़ी तो कई विधायक और सांसद मेरे पास आए। लेकिन मेरे मन में एक ही बात थी कि अगर बालासाहेब को छोड़ दूंगा तो किसी और के अधीन काम नहीं करूंगा। उस समय यही स्थिति थी।”

3. साथ काम करना है तो दोनों तरफ सहमति

उन्होंने कहा, “जब मैं शिवसेना में था तो मुझे उद्धव के साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं थी। सवाल यह है कि क्या दूसरा व्यक्ति चाहता है कि मैं उसके साथ काम करूं? मैं कभी भी अपने अहंकार को ऐसी छोटी-छोटी बातों में नहीं लाता।”

4. बहुत तेजी से बदलती हैं राजनीति में तस्वीर

महेश मांजरेकर ने भाजपा के साथ जाने पर सवाल किया तो राज ठाकरे ने कहा, “मैं महाराष्ट्र के बारे में या मराठी लोगों के लिए जो कुछ भी कह सकता हूं या कर सकता हूं, मैं करूंगा। मेरा भाजपा के साथ आना राजनीतिक होगा, लेकिन मेरी सोच उनकी सोच से मेल नहीं खाती। लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। राजनीति में सब कुछ बदल जाता है। यहां सब कुछ इतनी तेजी से हो रहा है कि आप नहीं बता सकते कि कब क्या हो जाएगा।”

यह जानना जरूरी है कि-
2024 विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों की पार्टियों का परफॉर्मेंस काफी खराब रहा था। उद्धव की यूबीटी पार्टी को जहां सिर्फ 20 सीटें मिलीं थीं। वहीं राज ठाकरे की MNS का खाता तक नहीं खुला।

मजबूत नेटवर्क बनाया था राज ठाकरे ने

1989 में राज ठाकरे 21 साल की उम्र में शिवसेना की स्टूडेंट विंग, भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष थे। राज इतने सक्रिय थे कि 1989 से लेकर 1995 तक 6 साल के भीतर उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने के अनगिनत दौरे कर डाले। 1993 तक उन्होंने लाखों की तादाद में युवा अपने और शिवसेना के साथ जोड़ लिए। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे राज्य में शिवसेना का तगड़ा जमीनी नेटवर्क खड़ा हो गया। 2002 तक राज ठाकरे और उद्धव शिवसेना को संभाल रहे थे। 2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। बालासाहेब ठाकरे ने राज से कहा- ‘उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाओ। राज ने पूछा, ‘मेरा और मेरे लोगों का क्या होगा।’2005 तक उद्धव पार्टी पर हावी होने लगे थे। पार्टी के हर फैसले में उनका असर दिखने लगा था। ये बात राज ठाकरे को अच्छी नहीं लगी।

27 नवंबर 2005 को राज ठाकरे ने शिवसेना के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया और 9 मार्च 2006 को शिवाजी पार्क में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ यानी मनसे का ऐलान कर दिया।

 

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