Modi 75th Birthday: 17 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो गए हैं।
राजनीति में उनकी यात्रा जितनी लंबी है, उतनी ही प्रेरणादायक और संघर्षों से भरी भी रही है।
गुजरात के एक छोटे से कस्बे से निकलकर दिल्ली की सत्ता तक पहुंचना कोई आसान सफर नहीं था।
लेकिन मोदी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, कठिन परिश्रम और जनता से सीधा जुड़ाव कैसे किसी को देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचा सकता है।
साधारण बचपन और RSS से जुड़ाव
नरेंद्र दामोदरदास मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था।
पिता दामोदरदास मोदी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे और छोटे नरेंद्र भी उनकी मदद किया करते थे।
यही “चाय बेचने वाला” टैग बाद में राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बना, लेकिन मोदी ने इसे कमजोरी नहीं बनने दिया।
उन्होंने हमेशा इसे अपनी ताकत बताया और कहा कि गरीब का बेटा प्रधानमंत्री बन सकता है, यही भारत की असली ताकत है।
मोदी किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे।
संघ की शाखाओं ने उनके जीवन में अनुशासन और संगठन कौशल भरा।
यही अनुभव आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में उनके राजनीतिक करियर की नींव बना।
गुजरात की राजनीति में उदय
मोदी की असली पहचान तब बनी जब उन्हें 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया।
भूकंप से तबाह गुजरात को संभालना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।
उन्होंने पुनर्निर्माण और औद्योगिक विकास पर जोर दिया।
“वाइब्रेंट गुजरात” जैसे आयोजनों ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया।
हालांकि 2002 के दंगों ने उनकी छवि पर गहरे सवाल खड़े किए।
आलोचनाओं के बावजूद मोदी ने विकास के मुद्दे पर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने रहे।
दिल्ली की सत्ता तक का सफर
2013 में भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया।
“अच्छे दिन आने वाले हैं” के नारे और “सबका साथ, सबका विकास” की रणनीति के साथ मोदी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा।
नतीजा ऐतिहासिक रहा—भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला और मोदी भारत के 15वें प्रधानमंत्री बने।
2019 में फिर से उन्होंने भारी बहुमत से जीत दर्ज की। इस बार उनके अभियान में राष्ट्रवाद और मजबूत नेतृत्व का संदेश प्रमुख था।
अनुच्छेद 370 का हटना, राम मंदिर निर्माण की राह साफ होना और कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन अभियान—इन सबने उनके कार्यकाल को विशिष्ट बनाया।
2024 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी लहर कायम रही और वे लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।
इसके साथ ही वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे नेता बने जिन्होंने लगातार तीन बार सरकार बनाई।
वैश्विक कूटनीति, आलोचनाएं और चुनौतियां
मोदी ने भारत की विदेश नीति में व्यक्तिगत कूटनीति को नया आयाम दिया।
अमेरिका से लेकर जापान और ऑस्ट्रेलिया तक, उन्होंने “मोदी डिप्लोमेसी” की छाप छोड़ी।
प्रवासी भारतीयों के बीच उनके कार्यक्रमों ने उन्हें वैश्विक नेता की पहचान दी।
“इंटरनेशनल योग दिवस” का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र से पारित करवाना उनकी एक बड़ी उपलब्धि रही।
मोदी का राजनीतिक सफर जितना चमकदार रहा, उतनी ही आलोचनाओं से भी घिरा रहा।
विपक्ष उन्हें तानाशाही प्रवृत्ति का नेता बताता है। बेरोजगारी, महंगाई और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर सवाल उठे।
लेकिन मोदी ने हर बार जनता के सीधे संवाद से इन चुनौतियों का जवाब देने की कोशिश की।
75 साल की उम्र में ऊर्जा का राज
मोदी का जीवन अनुशासन, सादगी और समर्पण से भरा हुआ है।
साधु-संतों की संगति और हिमालय की यात्राओं ने उन्हें आत्मचिंतन की आदत दी। वे योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा मानते हैं।
सुबह जल्दी उठना, घंटों तक काम करना और तकनीक का गहरा इस्तेमाल करना—ये उनकी कार्यशैली की खासियत है।
आमतौर पर 75 साल की उम्र में लोग आराम की जिंदगी चुनते हैं, लेकिन मोदी की रफ्तार आज भी पहले जैसी है।
चुनावी रैलियों में घंटों बोलना, हजारों किलोमीटर की यात्राएं करना और लगातार नई योजनाओं पर काम करना—यह सब उनकी सक्रियता का प्रमाण है।
नरेंद्र मोदी के सामने अब अगली चुनौती बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के साथ 2029 का लोकसभा चुनाव भी है।
क्या नरेंद्र मोदी च थी बार प्रधानमंत्री बनेंगे, क्योंकि उनके उम्र के भाजपा के कई वरिष्ठ नेता काफी सालों से पार्टी मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं।
अब नरेंद्र मोदी पीएम पद पर कायम रहेंगे या भाजपा की राजनीति नई करवट लेगी? यह तो समय ही बताएगा।
लेकिन इतना तय है कि नरेंद्र मोदी का नाम भारत की राजनीति में लंबे समय तक गूंजता रहेगा।
नरेंद्र मोदी के जीवन की कहानी केवल राजनीति की नहीं, बल्कि संघर्ष और संकल्प की गाथा है।
एक चाय बेचने वाला बच्चा जब देश का प्रधानमंत्री बनता है, तो यह केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का प्रतीक बन जाता है।
75वें जन्मदिन पर नरेंद्र मोदी के समर्थक उन्हें “विकासपुरुष” और “विश्वनेता” कह रहे हैं, जबकि विरोधी अब भी उन्हें आलोचनाओं के घेरे में रखते हैं।
लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि नरेंद्र मोदी का सफर आने वाली पीढ़ियों और भाजपा के लिए एक प्रेरणा की तरह दर्ज होगा।
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