-कहा- हर साल सात दिन के लिए मनाएं नदी उत्सव
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय मेयर सम्मेलन का वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया।
देश के विभिन्न हिस्सों से उपस्थित मेयर से उन्होंने देश हित में कई काम करने का आग्रह किया। वाराणसी के ट्रेड फैसिलिटी सेंटर में आयोजित इस सम्मेलन का विषय ‘नया शहरी भारत’ है।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष सात दिन के लिए नदी उत्सव मनाएं। पूरे नगर को उसमें जोड़ें। अनेक शहर किसी न किसी नदी के तट पर हैं लेकिन काल क्रम में नदी किसी तरह तबाह हो गई।
सिर्फ बरसाती होकर रह गई। इस नदी के प्रति संवेदनशील अप्रोच अपनाना चाहिए। आज दुनिया जल संकट, ग्लोबल वार्मिग की बात करती है और हम नदी की बात न करें तो कैसै लड़ सकते हैं।
सफाई करें, इतिहास पर चर्चा करें। उसके तट पर हुई घटनाओं के बारे में बात करें, कवि सम्मेलन समेत समारोह आयोजित करें। यानी नदी को नगर के विकास के केंद्र में रख कर चर्चा करें। आपके नगर में जान आ जाएगी।
उन्होंने कहा कि हर गली में एलईडी बल्ब लगवाएं और बिजली की बचत करें। इससे नगर पालिका, महानगर पालिका के बिजली का बिल काफी कम हो जाएगा और रोशनी भी अच्छी मिलेगी। घरों में बिजली का बिल कम होगा।
अपने शहर की पहचान बनाएं, हो सकता है कोई शहर खाने की एक चीज के लिए जाना जाता हो। जैसे बनारस का पान, कहीं भी जाओ लोग जानते हैं।
किसी ने मेहनत की होगी। आपके नगर में वैसा ही कोई प्रोडक्ट, ऐतिहासिक स्थान होगा। अपने शहर की ब्रांडिंग, किसी उत्पाद के जरिए करें।
हम सभी को अपने शहरों की नदी के प्रति एक संवेदनशील अप्रोच अपनानी होगी। जिससे नदी साफ रह सके। काशी के गंगा घाट पर दुनियाभर के पर्यटक आते हैं।
काशी की अर्थव्यवस्था को चलाने में माता गंगा को बहुत बड़ा योगदान है। शहरों में नदी उत्सव मनाया जाए। सात दिनों का यह उत्सव हो।
काशी का विकास पूरे देश के लिए विकास का एक रोडमैप बन सकता है। हमारे देश में ज्यादातर शहर पारंपरिक शहर ही हैं, यहां पर सभ्यता तथा संस्कृति पारंपरिक तरीके से ही विकसित हुई है।
आधुनिकीकरण के इस दौर में हमारे इन शहरों की प्राचीनता भी उतनी ही अहमियत है।
मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने पिछले पांच सालों में शहरी परिदृश्य में बहुत प्रगति और परिवर्तन देखा है।
मैं मानता हूं कि शहर का जन्म दिवस हमें पता होना चाहिए। नहीं है तो खोजना चाहिए। बड़े तामझाम के साथ मनाना चाहिए। मेरा शहर कैसा हो, हर नागरिक के हृदय में भाव होना चाहिए।
पीएम ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव में तीन बातें कही गयी हैं जो सामान्य आदमी कर सकता है। रंगोली महोत्सव, इसमें आजादी की किसी न किसी घटना से जुड़ी रंगोली बनाई जाए। इसे गणतंत्रत दिवस तक करें।
आजादी के लिए आपके शहर में घटित घटनाओं पर रंगोली स्पर्धा हो। राज्य व देश की घटनाओं पर प्रतिस्पर्धा हो। माताओं बहनों को जोड़ कर लोरी प्रतियोगिता कर सकते हैं। इसमें इतिहास बताने के साथ भावी भारत कैसा होगा, उज्जवल भारत की लोरी सुनाएं।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता को सालाना अभियान न बनाएं। हर माह स्पर्द्धा आयोजित करें।वार्ड से वार्ड की प्रतियोगिता कराएं। हर नगर अपना रिव्यू करें। देखें, दुकानों को कैसे रंगा गया है। दुकानों के बोर्ड कैसे लगे हैं। पते कैसे लिखे हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक के संबंध में हम अपने नगर में कितने सजग हैं। दुकानदारों को समझाएं, लोगों को बताएं कि हम इसका एकदम उपयोग न करेंगे। गरीब की बनाई अखबार की थैलियां उपयोग में लाएं। झोला लेकर बाजार जाएं।
अब तो दुनिया भर में सर्कुलर इकोनामी का बात हो रही है। इस पर प्रतियोगिता हो सकती है। वेस्ट से प्रोडक्ट बनाकर इसकी प्रदर्शनी लगाएं। वेस्ट मैनेजमेंट से रेवेन्यू माडल बन सकता है। सूरत में सीवेज ट्रीटमेंट से कमाई हो रही है। ऐसा अन्य शहर भी कर रहे हैं। सीवेज का पानी रियूज करें। इसे सिचाई में काम ला सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आरोग्य के लिए प्रिवेंटिव चीजों पर काम न करेंगे तो चाहे जितने अस्पताल बनाएं कम पड़ जाएंगे। प्रयास हो कि हमारा शहर सबसे स्वच्छ रहे।
उन्होंने कहा कि शहरों में क्या एक चौराहा, एक सर्किल जहां से चार छह रास्ते निकलते हैं, वहां जनभागीदारी से स्मारक बना सकते हैं जो आजादी के गौरव, भविष्य को दिखाए। डिजाइन बनवाएं, उसके लिए भी कंपटीशन हो। इससे आप जीवन की यादगार छोड़ कर जाएंगे।
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