PM-CM Remove Bill

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30 दिन गिरफ्तारी पर जाएगी PM-CM,मंत्री की कुर्सी, संसद में अमित शाह ने पेश किए तीन अहम बिल

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PM-CM Remove Bill: केंद्र सरकार ने राजनीति और शासन व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए।

जिनके तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री को पद से हटाया जा सकता है।

गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार होने और लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहने पर स्वतः ही पद से हटाना अनिवार्य होगा।

सरकार का दावा है कि इन विधेयकों से लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत होगी।

वहीं, विपक्ष ने इसे राज्यों को अस्थिर करने की साजिश बताया है और संसद में विरोध जताया।

कौन-कौन से बिल पेश हुए?

अमित शाह ने लोकसभा में तीन अहम विधेयक रखें—

1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल, 2025

केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 में यह व्यवस्था नहीं है।

1963 के कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि गिरफ्तारी और हिरासत में रहने पर मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाया जा सके।

नए संशोधन के जरिए धारा 45 में बदलाव कर यह प्रावधान किया जाएगा कि ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाना अनिवार्य होगा।

2. 130वां संविधान संशोधन बिल, 2025

मौजूदा संविधान में केवल दोषसिद्धि होने के बाद ही प्रधानमंत्री, मंत्री या मुख्यमंत्री को पद छोड़ना पड़ता है।

संविधान में इस समय कोई प्रावधान नहीं है कि किसी प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या दिल्ली सरकार के मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी और हिरासत के आधार पर पद से हटाया जा सके।

इस बिल के जरिए अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन होगा और गिरफ्तारी व हिरासत की स्थिति में पद से हटाने का स्पष्ट प्रावधान जोड़ा जाएगा।

ताकि यह प्रावधान हो सके कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मंत्री या मुख्यमंत्री 30 दिन से अधिक समय तक गंभीर अपराधों में जेल में रहता है, तो उसे स्वतः ही पद से हटाना होगा।

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल, 2025

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर अपराधों में गिरफ्तारी और हिरासत की स्थिति में हटाया जा सके।

नए संशोधन से धारा 54 में बदलाव किया जाएगा, जिसके बाद यदि सीएम या मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में 30 दिन से अधिक हिरासत में रहता है, तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा।

क्यों जरूरी बताया जा रहा है यह कानून?

सरकार का तर्क है कि अब तक केवल दोषी साबित होने पर ही मंत्री या मुख्यमंत्री को पद छोड़ना पड़ता था।

जबकि कई बार नेता गंभीर मामलों में महीनों तक जेल में रहते हैं और फिर भी संवैधानिक पद पर बने रहते हैं।

दिल्ली के CM केजरीवाल शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद 6 महीने तक पद पर रहे।

अरविंद केजरीवाल तो पद पर रहते गिरफ्तार होने वाले पहले मुख्यमंत्री भी थे।

इसी तरह तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी 241 दिन जेल में रहने के बावजूद मंत्री पद पर बने रहे।

सरकार का कहना है कि ऐसे मामलों में लोकतंत्र और प्रशासन की गरिमा प्रभावित होती है। नया कानून इन खामियों को दूर करेगा।

विपक्ष ने उठाए सवाल, हंगामा भी किया

तीनों विधेयकों के खिलाफ लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ।

विपक्ष ने तीनों बिलों को वापस लेने की मांग की।

कांग्रेस और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध जताया।

सपा ने बिलों को न्याय विरोधी, संविधान विरोधी बताया।

इस पर शाह ने बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की मांग की।

विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार इसका इस्तेमाल गैर-भाजपा राज्यों को अस्थिर करने के लिए करेगी।

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि यह विपक्ष को अस्थिर करने का सबसे अच्छा तरीका है।

पक्षपाती केंद्रीय एजेंसियों से विपक्षी मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार कराओ और उन्हें पद से हटाओ।

चूंकि ये विधेयक सीधे संवैधानिक पदों और राज्यों की राजनीति को प्रभावित करते हैं, इसलिए विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।

बिल को लेकर विवादित बिंदु क्या है?

इन विधेयकों में साफ कहा गया है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराध में गिरफ्तार होकर 30 दिन से अधिक समय तक जेल में रहता है, तो उसे 31वें दिन पद छोड़ना होगा।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर या राज्यपाल मुख्यमंत्री की सिफारिश पर औपचारिक रूप से पद समाप्त करेंगे।

हालांकि, बिल में अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि “गंभीर अपराध” की परिभाषा क्या होगी। विपक्ष को आशंका है कि इसी अस्पष्टता का इस्तेमाल राजनीतिक बदले की कार्रवाई में किया जाएगा।

ऑनलाइन गेमिंग पर भी बिल

इसके अलावा आज केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर बैन लगाने वाला एक अलग बिल भी पेश किया।

इसमें ऑनलाइन मनी गेमिंग, विज्ञापन और लोगों को खेल के लिए उकसाने पर सख्त प्रावधान हैं।

दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की सजा, एक करोड़ रुपए तक जुर्माना या दोनों हो सकता है।

कैबिनेट ने 19 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दी थी।

बहरहाल, अगर ये तीनों बिल पास हो जाते हैं, तो यह भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव होगा।

अब नेताओं को केवल दोषी ठहराए जाने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि गिरफ्तारी और हिरासत भी उन्हें पद से हटाने का कारण बन सकती है।

हालांकि, विपक्ष का दावा है कि सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके विपक्षी नेताओं को फंसा सकती है और सत्ता की राजनीति को अपने पक्ष में मोड़ सकती है।

 

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