Operation Sindoor Congress: संसद में जारी ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी चर्चा से बाहर कर दिए गए हैं।
यह फैसला पार्टी के अंदर गहरे मतभेदों को उजागर करता है, खासकर तब जब इन दोनों नेताओं ने विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्र सरकार की कार्रवाई की तारीफ की थी।
मनीष तिवारी ने जहां सोशल मीडिया पर कविता के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की, वहीं थरूर ने ‘मौन व्रत’ का सहारा लेकर चुप्पी साधी।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से बाहर थरूर-तिवारी
28 जुलाई से संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हुई है, जो अब तक 16 घंटे तक खींच चुकी है।
इस चर्चा में सरकार की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह जैसे दिग्गज नेताओं ने मोर्चा संभाला।
वहीं, विपक्ष की ओर से कांग्रेस ने अपने सांसदों की सूची जारी की है।
जिसमें गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी वाड्रा, दीपेंद्र हुड्डा, प्रणीति शिंदे, सप्तगिरी उलाका और बिजेंद्र ओला को वक्ता के तौर पर शामिल किया गया।
लेकिन, चौंकाने वाली बात यह रही कि मनीष तिवारी और शशि थरूर को इस सूची में जगह नहीं दी गई, जबकि दोनों ने चर्चा में भाग लेने की इच्छा जाहिर की थी।
थरूर का ‘मौन व्रत’, तिवारी की ‘भारत की बात’
चंडीगढ़ से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने सोमवार को X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की।
जिसमें उन्होंने 1970 की फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ के गीत की पंक्तियों के जरिए अपनी भावना प्रकट की।
है प्रीत जहां की रीत सदा
मैं गीत वहां के गाता हूं
भारत का रहने वाला हूं
भारत की बात सुनाता हूं
Hai preet jahaan ki reet sada
Main geet wahaan ke gaata hoon
Bharat ka rehne waala hoon
Bharat ki baat sunata hoon
– Jai Hind pic.twitter.com/tP5VjiH2aD
— Manish Tewari (@ManishTewari) July 29, 2025
तिवारी ने इस पोस्ट के साथ एक खबर का स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें बताया गया था कि उन्हें और थरूर को संसद में बोलने से क्यों रोका गया।
इस पोस्ट से यह संकेत मिला कि वे पार्टी के इस फैसले से नाराज हैं और उन्हें यह उचित नहीं लगा कि देशहित में बात करने की चाह रखने के बावजूद उन्हें चुप रखा गया।
दूसरी ओर जब मीडिया ने शशि थरूर से पूछा कि वे संसद की बहस में क्यों शामिल नहीं हुए, तो उन्होंने सिर्फ दो शब्द कहे “मौनव्रत… मौनव्रत।”
यह उनका तरीका था यह जताने का कि वे इस विषय पर फिलहाल कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन उनकी चुप्पी बहुत कुछ कह गई।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी थरूर को बहस में शामिल करना चाहती थी।
लेकिन, इस शर्त के साथ कि वे पार्टी लाइन पर रहकर सरकार की आलोचना करें।
शायद थरूर को यह मंजूर नहीं था, इसलिए उन्होंने खुद को चर्चा से अलग कर लिया।
दोनों नेताओं ने खुलकर की सरकार की तारीफ
शशि थरूर और मनीष तिवारी दोनों ही हाल ही में विदेशों में गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। थ
रूर ने एक डेलिगेशन का नेतृत्व किया, वहीं तिवारी सुप्रिया सुले के नेतृत्व में गए थे।
इन यात्राओं के दौरान इन नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाइयों पर केंद्र सरकार की खुलकर तारीफ की थी।
थरूर ने X पर लिखा था, जब राष्ट्रहित की बात होगी, तो मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा।
मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि भारत सरकार ने मुझे पांच देशों की राजधानियों में भारत का दृष्टिकोण रखने का मौका दिया।
वहीं, मनीष तिवारी भी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई मंचों पर सरकार के कदमों की सराहना कर चुके हैं।
इन्हीं वजहों से कांग्रेस को आशंका थी कि संसद में ये नेता सरकार का पक्ष मज़बूती से रख सकते हैं, जिससे पार्टी की रणनीति को धक्का लग सकता है।

कांग्रेस में ऑल इज वेल, बीजेपी ने फिर घेरा
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि वक्ताओं की सूची सीमित होती है और कई नामों को इसमें शामिल नहीं किया जा सका।
पार्टी सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सदन में बोलने वालों की संख्या सीमित होती है।
मनीष तिवारी उनमें से एक हैं जिन्हें शामिल नहीं किया गया। इससे कांग्रेस में कोई मतभेद नहीं है।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि मनीष तिवारी का पोस्ट देशभक्ति का प्रतीक है और वह गाना उस दौर का है जब कांग्रेस ने भारत को गौरव दिलाया था।
वहीं बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा, राहुल गांधी की कांग्रेस ‘भारत माता की जय’ कहने वालों को बेंच पर बैठाती है और ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ सोच रखने वालों को बढ़ावा देती है।”
बहरहाल, कांग्रेस में शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे नेताओं की बेबाक राय और पार्टी लाइन से अलग सोच कोई नई बात नहीं है।
लेकिन संसद जैसे अहम मंच पर इन वरिष्ठ नेताओं को बोलने से रोकना कांग्रेस के अंदर विचारधारा को लेकर चल रहे संघर्ष को उजागर करता है।
जो भी हो थरूर और तिवारी की चुप्पी पार्टी में बड़ी दरार का संकेत और कांग्रेस के लिए सोचने का विषय जरूर बन गया है।
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