निर्भया के गुनहगारों का डेथ वारंट जारी हो गया। किसी और बेटी को ऐसा न सहने पड़े इसलिए हर ‘मां’ को अपने बेटों को संभालना है, बता रही है डॉ .दिव्या गुप्ता
निर्भया के लिए फैसला आखिर कल आ ही गया ! खुशी नहीं है , सिर्फ राहत है । निर्भया को और उसके माता पिता को न्याय मिला ! सात साल के लंबे दर्दनाक बोझिल संघर्ष के बाद आखिर वो शब्द सुने जिनके लिए ये लड़ाई लड़ी जा रही थी ! कानून की लड़ाई ! क्यों ? क्योंकि उनके साथ अन्याय न हो जिन्होंने अन्याय करा था ! है न हैरान परेशान करने वाली बात ! जिन्होंने अमानवीयता की पराकाष्ठा पार कर दी हो , उनके साथ मानवीयता हो रही थी !
जिन्होंने अपराध करते समय , अपराध की क्रूरता लांघ दी हो उनके लिए कानून दांव पेंच खेल रहा था ! उनका जीवन बच जाए जिन्होंने जीवन को कुछ समझा ही नहीं ! क्यों ? मानो उस लड़की का जीवन मायने नहीं रखता ? उसकी इज़्ज़त मायने नहीं रखती ? उसकी असहाय पीड़ा सिर्फ उसकी थी ? वो डॉक्टर जो रोज़ आपरेशन कर रक्तस्रराव रोकने में माहिर थे , उसकी ब्लीडिंग रोक नहीं पाए ? वो पुलिस जो रोज़ हर तरह के अपराध देखती है , उसे देखकर रो पड़ी ? या वो न्यूज़ रीडर जो उसके बारे में बताते हुए टीवी स्क्रीन पर ही रो पड़ी, और कई रातों तक सो नहीं पाई ?
बीबीसी ने निर्भया पर एक विस्तृत documentry बनाई है , उसे देखकर खून खौल उठता है ! पर कानून और human rights वालों ने तो यूँही बाकी humans का जीना मुहाल कर रखा है ! इसलिए राहत है , कि फैसला तो आया ! कभी तो दो , बस अब फांसी दे दो ! हैरानी की बात ये है कि कल फैसला आने पर निर्भया की माँ और अपराधी की माँ दोनों रो पड़ीं ! एक राहत के आंसू रो रही थी तो दूसरी दुख के ! सारी की सारी सांत्वना उस माँ के साथ है जिसने अपनी प्यारी , लाडली सपनों से भरी बेटी जो इतना सब होने के बाद भी जीना चाहती थी , वो बेटी खो दी !
लेकिन उस माँ का क्या जिसने बड़ा गर्व जताया होगा कि बेटा उसने जना है ! वो बेटा , जो सब कहते हैं कि वंश आगे बढ़ाएगा , नाम रोशन करेगा ! वाह क्या रोशन करा !!!! ये मां यदि बेटा पैदा कर लेने पर उसे निरंकुश न छोड़ देती , थोड़ी तमीज़ पर भी ध्यान दे देती तो शायद ये दिन न देखना पड़ता ! सबसे पहले यदि कोई बेटी बेटे में भेद भाव करता है तो वो अपराध माँ ही करती है ! माँ अड़ जाए तो कोई कोख न उजड़े न कोई फर्क करे !
आईये हम हर माँ को सिखाएं की पहले वे सीखें कि सबसे बड़ी अपराधी वे हैं ! वे अपने आवारा , अभिमानी बेटों पर गर्व करना छोड़ कर थोड़ा ज्ञान और ध्यान अवश्य दें ! किसी और बेटी को निर्भया होने से रोकने के लिए हर माँ को आगे आना होगा , अब बेटों को संस्कारी बनाना होगा ! बच्चों के सामने माँ की इज़्ज़त करेगा पिता तो बेटा सीखेगा इज़्ज़त करना !!!! समाज का बदलाव तब वहां से शुरू होगा ! –