नरेंदर सरेंडर.. ? नुकसान से डरे पाकिस्तान ने फ़ोन उठाया और सीज़ फायर की बात की : सीडीएस

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दिल्ली। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि “पेशेवर सैन्य बल असफलताओं और नुकसान से प्रभावित नहीं होते.” यह बयान उनके ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के कुछ लड़ाकू विमानों के नुकसान के दावे के कुछ दिन बाद आया है /

हालांकि, उन्होंने कहा कि नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि परिणाम महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘भविष्य के युद्ध और युद्ध’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा – “मुझे लगता है, पेशेवर बल असफलताओं या नुकसान से प्रभावित नहीं होते; युद्ध में, जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि असफलताओं के बावजूद भी मनोबल ऊंचा रहना चाहिए. लचीलापन पेशेवर बल का महत्वपूर्ण घटक है. आपको यह समझने में सक्षम होना चाहिए कि क्या गलत हुआ, अपनी गलती को सुधारने की जरूरत है और फिर से प्रयास करना है. आप डर से बैठ नहीं सकते,” .

गौरतलब है कि हाल ही में चौहान ने ‘रॉयटर्स’ और ‘ब्लूमबर्ग’ के साथ अपने इंटरव्यू में स्वीकारा था कि पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमला करते समय और 7 मई को हुए बदले की कार्रवाई में भारत ने कुछ लड़ाकू विमान खोए थे. उन्होंने कहा था कि तीन दिन बाद युद्धविराम से पहले बलों ने सीमा के पार गहरे स्थित एयर बेस पर बड़ा नुकसान पहुंचाने के लिए रणनीति बदली. “मैं यह कह सकता हूं कि 7 मई को, प्रारंभिक चरणों में, नुकसान हुए थे,” जनरल चौहान ने कहा था.

चौहान ने कहा कि नई दिल्ली आतंक और परमाणु ब्लैकमेल की छाया में नहीं जी रही है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के पीछे सोच यह थी कि पाकिस्तान से राज्य-प्रायोजित आतंकवाद को रोकना था. “दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) ने विभिन्न प्रकार की क्षमताएं बनाने की कोशिश की थी, इसलिए जाहिर तौर पर इसमें जोखिम की मात्रा अंतर्निहित थी. हमारी जो भी क्षमताएं थीं, वे युद्धक्षेत्र में नहीं आई थीं. इसमें हमेशा जोखिम का तत्व होता है, लेकिन जैसा कि कहते हैं, यदि आप उस प्रकार का जोखिम नहीं उठाते तो आप सफल नहीं हो सकते. हम जानते थे कि हमारे पास बेहतर काउंटर-ड्रोन सिस्टम था,” चौहान ने कहा.

पाकिस्तान की 48 घंटे की योजना कैसे फेल हुई : उन्होंने आगे समझाया कि कैसे भारत को अपने घुटनों पर लाने की पाकिस्तान की 48 घंटे की योजना केवल 8 घंटे में ध्वस्त हो गई और उसे युद्धविराम की मांग करनी पड़ी. उन्होंने कहा, “10 मई को, लगभग सुबह 1 बजे, उनका (पाकिस्तान का) उद्देश्य 48 घंटों में भारत को घुटनों पर लाना था. कई हमले शुरू किए गए और किसी तरह से, उन्होंने इस संघर्ष को बढ़ाया, जिसमें हमने केवल आतंकी लक्ष्यों पर हमला किया था. जो ऑपरेशन उन्होंने सोचा था कि 48 घंटे तक चलेगा, वह लगभग 8 घंटे में समाप्त हो गया और फिर उन्होंने टेलीफोन उठाया और कहा कि वे बात करना चाहते हैं.”

‘ऑपरेशन सिंदूर अभी ख़त्म नहीं हुआ’ : सीडीएस चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है और यह जारी है. “यह शत्रुता की अस्थायी समाप्ति है. हमें अपनी सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है.” उन्होंने कहा. उन्होंने यह भी कहा, “हमारी तरफ से, हम लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष में नहीं पड़ना चाहते थे. हमने ऑपरेशन पराक्रम में अपना अनुभव देखा है. हम लगभग नौ महीने तक वहां थे. इसमें बहुत खर्च शामिल है, सब कुछ बाधित हो जाता है. हमने यह बालाकोट के बाद कुछ हद तक देखा था, एक तैनाती थी जिसे हमने जुटाया था. इस विशेष मामले में, जो हुआ वह यह था कि इस जुटाव के पूरा होने से पहले ही, ऑपरेशन रोक दिए गए. ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है. यह जारी है. यह शत्रुता की अस्थायी समाप्ति है. हमें अपनी सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है. जहां तक पाकिस्तानी पक्ष का सवाल है, मैं दो अनुमान लगा सकता हूं. एक, कि वे बहुत लंबी दूरी पर चीजों को तेजी से खो रहे थे, और उन्होंने सोचा कि यदि यह कुछ और समय तक जारी रहा, तो वे और भी अधिक खो सकते हैं और इसलिए उन्होंने टेलीफोन उठाया.”

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