Maharashtra Honey Trap: हनी ट्रैप का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है।
हालांकि, इस बार मामला मध्यप्रदेश का नहीं बल्कि महाराष्ट्र का है।
राज्य की राजनीति में तब हलचल मच गई जब विधानसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने बड़ा खुलासा किया।
पटोले ने दावा किया कि एक पेन ड्राइव है, जिसमें 72 मंत्रियों और अधिकारियों के हनी ट्रैप में फंसने के सबूत हैं।
मेरे पास पेन ड्राइव में सारे सबूत हैं
नाना पटोले ने कहा कि मेरे पास पेन ड्राइव में सारे सबूत हैं।
हम किसी का निजी चरित्र हनन नहीं करना चाहते, इसी वजह से अब तक इसे पब्लिक नहीं किया है।
सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो विपक्ष इसे जनता के सामने लाने को मजबूर होगा।
पटोले ने महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि ठाणे, नासिक और मुंबई हनी ट्रैप का अड्डा बन चुके हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि ये कोई सामान्य महिलाएं नहीं, बल्कि कुछ तो राजनीतिक पदों पर भी रह चुकी हैं और सत्ता के गलियारों में गहरी पैठ बना चुकी हैं।
पेन ड्राइव में कथित रूप से कई अधिकारियों और मंत्रियों के साथ बने वीडियो मौजूद हैं, जिन्हें ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल किया गया।
होटलों में जाल, कैमरों से जकड़न
नाना पटोले के दावे के अनुसार इन हसीनाओं ने बड़े होटलों, फॉर्महाउस और ठिकानों को अपना अड्डा बनाया और वहां अफसरों और मंत्रियों को फंसा कर वीडियो क्लिप तैयार कीं।
इन क्लिप्स का इस्तेमाल गोपनीय जानकारी हासिल करने, फाइल पास कराने और यहां तक कि ट्रांसफर, पोस्टिंग और टेंडर हासिल करने के लिए भी किया गया।
उन्होंने कहा, हम किसी का व्यक्तिगत चरित्र हनन नहीं करना चाहते, लेकिन अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो विपक्ष को ये पेन ड्राइव जनता के सामने लाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
यह बयान राज्य की सियासत में भूचाल ला देने वाला है।
अब समझिए कि पूरा मामला क्या है?
यह पूरा मामला साल 2016 से शुरू होता है।
इस साल ठाणे में एक महिला को क्राइम ब्रांच ऑफिसर जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारियों से मदद मांगने के लिए वह खुद को एक परेशान पूर्व पुलिसकर्मी या विधवा बताती थी।
जानकारी के मुताबिक महिला कई अधिकारियों पर बलात्कार के आरोप लगा चुकी थी।
इसके बाद वह मोटी रकम लेकर केस वापस या समझौता कर लेती थी।
विश्वास जीतने के लिए ये महिला वॉट्सऐप पर बात से लेकर वीडियो कॉल करती और मिलने भी जाती थी।
मुलाकातों के दौरान वह चुपचाप आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड कर लेती थी।
इन्हीं रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल वह अधिकारियों को धमकाकर पैसे वसूलने के लिए करती थी।
जिन लोगों को महिला ने शिकार बनाया है, उनमें महाराष्ट्र पुलिस के तीन DCP, कई आबकारी अधिकारी, सीनियर इंस्पेक्टर और असिस्टेंट कमिश्नर भी शामिल हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी महिला ने नई और झूठी पहचान से अपने गलत काम जारी रखे।
मध्यप्रदेश की याद दिलाता है मामला
मध्यप्रदेश में भी कुछ साल पहले ऐसा ही हनी ट्रैप स्कैंडल सामने आया था, जिसमें कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में कई नौकरशाह और राजनेता फंसे थे।
उस समय खुद कमलनाथ ने दावा किया था कि उनके पास हनी ट्रैप की पेन ड्राइव है, लेकिन बाद में वे इस पर चुप हो गए थे।
मध्यप्रदेश केस में भी महिलाओं ने सत्ता के करीबी लोगों को फंसा कर गोपनीय दस्तावेज, टेंडर और ट्रांसफर संबंधी निर्णय अपने पक्ष में करवाए थे।
आज महाराष्ट्र की घटना उसी स्क्रिप्ट की नई कॉपी लगती है।
गृह राज्यमंत्री योगेश कदम ने नाना पटोले के आरोपों को बिलकुल निराधार बताया है और कहा कि उनके पास कोई सबूत नहीं हैं। उन्होंने इसे कांग्रेस की राजनीतिक नौटंकी करार दिया।
लेकिन इस इनकार के बावजूद मंत्रालय के गलियारों में डर का माहौल देखा जा रहा है।
चर्चा यह भी है कि अगर पेन ड्राइव में मौजूद कथित वीडियो सार्वजनिक हो गए तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
लेकिन, सवाल यह है कि अगर पटोले के दावे सच हैं तो इतने बड़े स्तर पर अफसरों और मंत्रियों की ब्लैकमेलिंग से सरकार का संचालन कैसे हो रहा है?
क्या अब फैसले लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नहीं, बल्कि पर्सनल वीडियो की धमकी से हो रहे हैं?
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