Nagpur Farmers Protest: महाराष्ट्र के नागपुर में किसानों का आंदोलन मंगलवार से तेज हो गया है।
कर्ज माफी और फसल बोनस की मांग को लेकर हजारों किसान सड़कों पर उतर आए हैं।
यह आंदोलन प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता और अचलपुर के विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व में हो रहा है।
बुधवार को आंदोलन का दूसरा दिन है और बच्चू कडू ने चेतावनी दी है।
यदि मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो दोपहर 12 बजे के बाद किसान ट्रेनें रोककर प्रदर्शन को और व्यापक रूप देंगे।
कडू ने दावा किया कि इस आंदोलन में एक लाख से अधिक किसान शामिल होंगे, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद रहेंगी।
इससे पहले मंगलवार को किसानों ने नागपुर-हैदराबाद हाईवे (NH-44) को लगभग 7 घंटे तक जाम रखा।
इससे सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और शहर के विभिन्न मार्गों पर यातायात प्रभावित रहा।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक सरकार ठोस निर्णय नहीं लेती, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
जानें क्या है किसान आंदोलन की वजह?
किसानों ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने चुनावों के दौरान कर्ज माफी, बोनस और सहायता राशि देने का वादा किया था, लेकिन अब तक इन वादों पर अमल नहीं हुआ।
बच्चू कडू ने कहा कि सरकार ने हर फसल पर 20% बोनस और सोयाबीन किसानों को ₹6000 देने की बात कही थी। लेकिन आज तक किसान खाली हाथ हैं।
सूखा और ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद हो गईं, लेकिन मुख्यमंत्री से मिलने तक का समय किसानों को नहीं दिया जा रहा है।
स्वाभिमानी किसान संगठन के नेता रवीकांत तुपकर ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि सरकार के पास हाईवे और मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए बजट है, लेकिन किसानों को राहत देने की फाइलें आगे नहीं बढ़तीं।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लगातार आर्थिक दबाव के चलते किसानों की आत्महत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार इस गंभीर स्थिति को नजरअंदाज कर रही है।
कौन हैं बच्चू कडू? कहां हुआ प्रदर्शन?
राज्य के पूर्व मंत्री रह चुके बच्चू कडू प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता और अचलपुर के विधायक है।
वह महाराष्ट्र की राजनीति में अपने आक्रामक तेवर और जनआंदोलनों के लिए जाने जाते हैं। साथ ही किसानों, युवाओं और दिव्यांगों के मुद्दों को उठाते हैं।
प्रदर्शन का मुख्य स्थल जामठा फ्लाईओवर था, जो समृद्धि एक्सप्रेसवे का एंट्री पॉइंट और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गृह क्षेत्र माना जाता है।
आंदोलनकारियों का कहना था कि सरकार को अब किसानों की तकलीफें सुननी ही होंगी।
किसानों ने जामठा फ्लाईओवर पर डेरा डाल रखा है, जो समृद्धि एक्सप्रेसवे का मुख्य एंट्री पॉइंट है। यही क्षेत्र उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गृह क्षेत्र माना जाता है।
इसलिए आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार को अब कर्ज संकट और नुकसान झेल रहे किसानों की स्थिति समझनी ही पड़ेगी।
किसानों की प्रमुख मांगें-
- किसानों के सभी कृषि ऋणों की पूरी तरह माफी
- सोयाबीन किसानों को ₹6000 की विशेष सहायता राशि
- सभी फसलों पर 20% बोनस देने का प्रावधान
- भावांतर योजना को फिर से लागू करने की मांग
- फसल बीमा की राशि तत्काल किसानों के खातों में जारी करना
किसानों का कहना है कि जब तक इन मांगों को लेकर लिखित आश्वासन नहीं मिलता, आंदोलन खत्म नहीं होगा।
सरकार की पिछली घोषणाएं
महाराष्ट्र सरकार ने 2023 में ‘नमो शेतकरी महासम्मान योजना’ के तहत किसानों के लिए ₹31,628 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया था।
राज्य सरकार के अनुसार, यह राहत 68 लाख हेक्टेयर फसल नुकसान और 29 जिलों के किसानों को कवर करेगी।
इसके अलावा बारिश और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को ₹10,000 नकद सहायता देने का ऐलान भी किया गया था।
सितंबर 2023 में इस योजना की सातवीं किस्त के तहत ₹1,892 करोड़ से अधिक राशि 91 लाख किसानों के खातों में ट्रांसफर की गई थी।
हालांकि, किसानों का कहना है कि यह राहत पर्याप्त नहीं है और वर्तमान स्थिति कर्ज माफी की मांग को अनिवार्य बनाती है।
बच्चू कडू ने साफ कहा है कि यदि सरकार बातचीत के लिए नहीं आती है, तो ट्रेन रोकने का आंदोलन शुरू होगा। इससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
अब राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि आंदोलन तेजी से राज्यव्यापी रूप ले सकता है।
