Vice Presidential Candidate: उपराष्ट्रपति पद के लिए देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
जहां NDA ने महाराष्ट्र के गवर्नर सी.पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है।
वे बीजेपी के अनुभवी नेता होने के साथ-साथ लंबे वक्त तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं।
हालांकि अभी तक INDIA गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
विपक्षी दल I.N.D.I.A ब्लॉक आज अपने उम्मीदवार पर चर्चा कर सकता है।
सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
एनडीए ने रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
संसदीय दल की बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके नाम का औपचारिक ऐलान किया।
राधाकृष्णन 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 25 अगस्त है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान और मतगणना 9 सितंबर को होगी।
21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक शेष था।
16 साल में RSS से जुड़े, BJP के पुराने कार्यकर्ता
सीपी राधाकृष्णन का पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है।
उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ।
उन्होंने बीबीए की पढ़ाई की और कॉलेज के दिनों से ही राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हो गए।
राधाकृष्णन 16 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे।
साल 1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने।
राजनीति में उनकी पहचान एक जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर बनी।
1998 और 1999 में वे कोयंबटूर सीट से सांसद चुने गए।
इसके बाद 2004 से 2007 तक वे तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 19 हजार किमी की रथयात्रा निकाली।
जिसने दक्षिण भारत में भाजपा की पकड़ मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई।
झारखंड-महाराष्ट्र के राज्यपाल, कई राज्यों का अतिरिक्त प्रभार
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर सिर्फ चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं रहा।
जुलाई 2024 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया।
इससे पहले वे झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं।
इसके साथ ही उन्होंने तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
भाजपा संगठन में भी उनकी अहम जिम्मेदारियां रही हैं।
2020 से 2022 तक वे भाजपा के केरल प्रभारी रहे।
राधाकृष्णन का कार्यकाल प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव से भरपूर रहा है।
यह सू उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है।
कॉयर बोर्ड के चेयरमैन रहते बना रिकॉर्ड
राजनीति के साथ राधाकृष्णन ने प्रशासनिक क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी।
2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया।
उनके नेतृत्व में भारत का कॉयर निर्यात रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा और 2,532 करोड़ रुपये तक का कारोबार हुआ।
यह उस समय का ऐतिहासिक आंकड़ा था।
इसके अलावा, वे 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे।
खास बात यह भी है कि वे ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय दल के सदस्य थे।
खेलों में भी दिलचस्पी, 20 से ज्यादा देशों की यात्रा
राधाकृष्णन न केवल राजनीति में सक्रिय रहे, बल्कि खेलों में भी उनकी गहरी रुचि रही है।
कॉलेज के दिनों में वे टेबल टेनिस चैंपियन रहे और लंबी दौड़ के अच्छे धावक थे। उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल भी पसंद है।
अब तक वे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, जापान, चीन और सिंगापुर समेत 20 से ज्यादा देशों की यात्रा कर चुके हैं।
विपक्ष बैठक कर तय होगा साझा उम्मीदवार
उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दल भी सक्रिय हो गए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार संसदीय दल की बैठक बुलाई है।
यह बैठक खड़गे के दफ्तर में होगी, जिसमें I.N.D.I.A ब्लॉक उपराष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार पर चर्चा करेगा।
माना जा रहा है कि आज ही विपक्ष अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार रात खड़गे को फोन कर सीपी राधाकृष्णन के लिए समर्थन मांगा।
वहीं भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने भी कहा कि वे विपक्ष से बातचीत कर निर्विरोध चुनाव की कोशिश करेंगे।
भाजपा का लक्ष्य निर्विरोध चुनाव
जेपी नड्डा ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव को निर्विरोध कराने के लिए भाजपा विपक्ष से संवाद कर रही है।
उन्होंने कहा, हम आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। हमारे वरिष्ठ नेता विपक्ष के संपर्क में हैं।
सभी एनडीए सहयोगी दलों ने पहले ही सीपी राधाकृष्णन को समर्थन दिया है। अब हम चाहते हैं कि विपक्ष भी सहमति जताए।
सीपी राधाकृष्णन का नाम एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए तय होने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
दक्षिण भारत से आने वाले और संघ की पृष्ठभूमि रखने वाले राधाकृष्णन लंबे समय से भाजपा के भरोसेमंद चेहरे रहे हैं।
अब देखना होगा कि विपक्ष किसे उम्मीदवार बनाता है और क्या यह चुनाव वास्तव में निर्विरोध होगा, जैसा भाजपा चाहती है।
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