सिंहस्थ में ‘पुष्पा ‘ वाले लाल चन्दन से होगा महाकाल का अभिषेक, उज्जैन में लहलहाए पौधे

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pushpa red sandal। उज्जैन।उज्जैनमें होने वाले सिंहस्थ-2028 में भगवान महाकालेश्वर के अभिषेक के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 1.74 हेक्टेयर एरिया में चंदन वन बना दिया। सन 2022 में यहाँ लगाए गए 600 पौधे 3 साल में बढ़कर 6-7 फ़ीट के हो चुके हैं। 2028 में इसकी कटाई की जाएगी। महाकाल के अभिषेक के साथ आने वाले साधु संतों को भी इसका तिलक किया जायेगा। इसी मकसद के साथ वन विभाग ने पहली बार उज्जैन में लाल के अलावा सफेद चंदन के भी पौधे लगाए थे। सिंहस्थ के पहले ये तैयार हो जाएंगे। बहुचर्चित फिल्म पुष्पा में जिस लाल चन्दन की तस्करी दिखाई गयी है उसी चन्दन की खेती अब उज्जैन में भी हो गयी है।

साल 2022 में वन विभाग ने शहर के उदयन रोड के पास 1.74 हेक्टेयर एरिया में चंदन के 600 पौधे लगाए थे। जिनकी ऊंचाई अब 6 से 7 फीट तक हो चुकी है। इस बगीचे को चंदन वन नाम दिया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग ने इसकी जानकारी छिपाकर रखी थी।

600 पौधे मंगवाए थे

लाल चंदन आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के जंगलों में मिलता है। मध्यप्रदेश सरकार ने साल 2022 में किसानों को चंदन की खेती के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट के तौर पर ये 600 पौधे मंगवाए थे। इनकी देखभाल कर रहे डिप्टी रेंजर अनिल सेन के मुताबिक, चंदन के पौधे दिसंबर 2028 तक पेड़ में तब्दील हो जाएंगे। इसके बाद इनकी कटाई होगी।

विशेष किस्म की जमीन और खाद की तैयार

लाल चंदन को उगाने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन और उसके हिसाब की जमीन सबसे जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए उज्जैन में विक्रमनगर रोड पर वन भूमि चुनी गई। पहले इनमें लाल तुंवर की बोवनी की गई। तुंवर की हाइट एक फीट होने के बाद इसमें नीम खली, केंचुआ खाद डालकर लाल चंदन का पौधा लगाया गया। इसकी वजह यह थी कि लाल चंदन परजीवी पौधों के साथ पनप सके। गुड़, गौमूत्र, बेसन से निर्मित जीवा अमृत खाद इन पौधों में डाली गई।

पत्तों से लेकर जड़ तक कीमती

चंदन के पेड़ की पत्ती, टहनी से लेकर जड़ तक बहुत कीमती है। बाजार में चंदन की पत्ती और टहनियां 200 रुपए किलो बिकता है। जड़ 3 हजार रुपए किलो बिकती है। पेड़ के अंदर से निकलने वाला तेल भी बहुत महंगा मिलता है।
चंदन के पेड़ में निकलने वाली लाल रंग की रोड़ देश में 8 से 10 हजार रुपए किलो में बिकता है। चंदन के पेड़ का एक-एक पत्ता तक मार्केट में बिक जाता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पारंपरिक फसलों की तुलना में चंदन की खेती कितने फायदेमंद है।

 

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