मध्यप्रदेश में शिवराज … त्रिवेणी’ संगम

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अपनी तीन पारियों की सफल त्रिवेणी, चौथी पारी में जीरो टॉलरेंस की नीति पर ‘चतुर्भुज’ प्रहार के साथ बाबा महाकाल के भक्त शिवराज सत्ता का पंचामृत पाने को भी आश्वस्त दिखाई देते हैं।

पंकज मुकाती (संपादक, पॉलिटिक्सवाला )

तीन सप्ताह। दो ऐतिहासिक पल। पहला चीता आगमन। दूसरा ‘श्री महाकाल लोक’ लोकार्पण। दोनों के ही साक्षी बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। अद्भुत, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक। ये तीनों ही शब्द आज के मध्यप्रदेश पर एकदम सटीक हैं।

प्रधानमंत्री की एक महीने में दो बार प्रदेश की यात्रा खुद इस प्रदेश की बढ़तीताकत को दर्शाती है। यूं तो राजनीतिक, चुनावी यात्राओं में प्रधानमंत्री जाते ही रहते हैं। एक महीने में दो या ज्यादा बार भी। उन यात्राओं में वे प्रधानमंत्री से ज्यादा भाजपा के प्रचारक की हैसियत में होते हैं।

वे जनता से अपनी पार्टी के लिए वोट और सहयोग मांगते हैं। पर मध्यप्रदेश की यात्रा अलग है। इसमें ‘प्रधानमंत्री’ शामिल होते हैं। वे इन यात्राओं में जनता से कुछ लेने नहीं, राष्ट्र को बहुत कुछ समर्पित करने को आते हैं।

पहले चीता, फिर अध्यात्म और सनातन धर्म के संस्कार की शिक्षा। श्री महाकाल लोक में हिंदुस्तानी संस्कृति, कला, धर्म की त्रिवेणी का संगम है। संयोग देखिये उज्जैन में क्षिप्रा तट के घाट का नाम भी त्रिवेणी ही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धार्मिक स्थलों की पुनर्स्थापना के संकल्प को साकार कर रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। नरेंद्र मोदी (नमो) के संकल्प, शिवराज सिंह चौहान के समर्पण और जनता की सराहना की त्रिवेणी भी मध्यप्रदेश को एक नई ऊंचाई दे रही है।

प्रदेश में प्राकृतिक सौंदर्य, वन्यजीव (चीता, टाइगर) के बाद अब धार्मिक पर्यटन का त्रिवेणी संगम महाकाल लोक के लोकार्पण के साथ ही बन गया है।

चीता आगमन हो या श्री महाकाल लोक का लोकार्पण शिवराज सिंह चौहान ने दोनों ही आयोजनों में खुद पूरे कामों का नेतृत्व किया। बारीकी से एक-एक काम को देखा-समझा। शिवराज की यही जमीनी स्तर तक की नजर उन्हें भाजपा के ही दूसरे मुख्यमंत्रियों से अलग करती है। हर दौर में वे कर्मशील बने रहते हैं।

ठीक उस बैरागी की तरह जिसकी नजर सिर्फ अपने वैराग्य धर्म पर ही रहती है। शिवराज भी आज की राजनीति के ऐसे ही बैरागी बन गए हैं जिसने अपने राजकर्म को ही धर्म बना लिया है।

शिवराज ने पिछले सप्ताह तीन बड़े फैसले लिए प्रदेश में नशे के अड्डों को नष्ट करना। भ्रष्ट अफसरों की सूची बनाकर कार्रवाई, तीसरा ऑन द स्पॉट फैसला। तीनों में ही उनका अंदाज इतना सख्त था कि कुछ घंटों के भीतर ही प्रदेश के हजारों नशे के अड्डे सील कर दिए गए।

इंदौर के एक अड़ीबाज थाना प्रभारी को निलंबित किया गया। अलग-अलग जिलों में योजनाओं की समीक्षा कर शिवराज लापरवाह अफसरों, कर्मचारियों पर खुद कार्रवाई कर ही रहे हैं।

अपनी तीन पारियों की सफल त्रिवेणी, चौथी पारी में जीरो टॉलरेंस की नीति पर ‘चतुर्भुज’ प्रहार के साथ बाबा महाकाल के भक्त शिवराज सत्ता का पंचामृत पाने को भी आश्वस्त दिखाई देते हैं।

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