सुनील कुमार (वरिष्ठ पत्रकार )
कर्नाटक विधानसभा में मामला उठा कि कई दलों के नेताओं को हनी ट्रैप में फंसाया गया है। अंग्रेजी के इस शब्द का मतलब हिन्दी में रूपजाल हो सकता है जिसमें कोई सुंदरी साजिश के तहत किसी मर्द को फंसाए, और उसके साथ सेक्स का वीडियो बना ले। ऐसा काम कोई एक अकेली महिला भी कर सकती है, या उसके पीछे कोई एक गिरोह भी हो सकता है।
यह भी हो सकता है कि इन औरत-मर्द को ऐसे किसी जाल की खबर न हो, और कोई खुफिया कैमरा लगाकर ऐसी रिकॉर्डिंग कर ली जाए। फिलहाल कर्नाटक में राजनीति उबल रही है कि तरह-तरह से नेताओं को फंसाया गया है, जिसमें राज्य के मंत्रियों से लेकर केन्द्र सरकार में कर्नाटक से गए मंत्रियों तक, दर्जनों के नाम हैं।
लोगों को याद होगा कि लोकसभा चुनाव के पहले भी कर्नाटक में सेक्स-पेनड्राइव का मामला सामने आया था जिसमें देश के एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवेगौड़ा के विधायक बेटे, और सांसद पोते की सेक्स फिल्में थीं। सैकड़ों महिलाओं के साथ ऐसे वीडियो क्लिप वाले पेनड्राइव राजधानी बेंगलुरू में जगह-जगह सार्वजनिक रूप से छोड़ दिए गए थे, और इनमें से बहुत से सेक्स वीडियो ऐसे थे जिनमें महिलाएं उनके साथ जबर्दस्ती सेक्स न करने के लिए गिड़गिड़ा रही हैं, और उन पर बलपूर्वक यौन हमला किया गया।
उस वक्त यह बात भी सामने आई थी कि देवेगौड़ा की जानकारी में महीनों पहले से उनके बेटे और पोते की करतूतें पार्टी के नेता लाते जा रहे थे, लेकिन देश का भूतपूर्व प्रधानमंत्री इस मामले में बेपरवाह था, बेशर्म था, और पुत्रमोह और पोतामोह में उसे दिखाई देना बंद हो चुका था। अभी उस मामले की जांच चल ही रही है, लेकिन जैसा कि राजनीति में होता है, जांच एजेंसियां यह देखकर काम करती हैं कि कौन सी पार्टी और नेता सत्ता के कितने काम के हैं, कर्नाटक में भी सैकड़ों महिलाओं की इज्जत मटियामेट करने वाले बाप-बेटे का अभी तक कुछ बिगड़ा हुआ तो नहीं दिख रहा है।
एक बार फिर हम ताजा घटना पर लौटें, तो कर्नाटक में तमाम पार्टियों के नेता इस बात को लेकर विचलित हैं कि उन्हें तरह-तरह से हनी ट्रैप में फंसाया गया है, और शायद 48 नेताओं के सेक्स-वीडियो बाजार में आ चुके हैं। विधानसभा में सहकारिता मंत्री ने यह कहा कि उनके पास सुबूत है कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है, और वे शिकायत दर्ज कराने वाले हैं ताकि पता लग सके कि ऐसे वीडियो के निर्माता-निर्देशक कौन हैं।
सरकार के एक मंत्री रहते हुए भी उन्होंने यह दावा किया कि कर्नाटक में सेक्स-सीडी और पेनड्राइव की फैक्ट्री चल रही है जिसमें 48 लोगों के अश्लील वीडियो मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि ये अलग-अलग पार्टियों के हैं, और कुछ ने कोर्ट से ऐसे वीडियो प्रचारित करने के खिलाफ स्टे भी लिया हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा के भीतर यह कहा गया कि केन्द्रीय मंत्रियों सहित कई जजों को भी इसका शिकार बनाया गया है। कुछ दूसरे नेताओं ने यह कहा कि राज्य में बीस साल से यही चल रहा है, और कुछ लोग इसे धंधा बना चुके हैं।
सार्वजनिक जीवन में सेक्स-फिल्मों से लोगों पर दबाव डालने का काम नया नहीं है। जब वीडियो-कैमरे आसान नहीं थे, उस वक्त भी आपातकाल के दौर में इंदिरा गांधी की बहू, और संजय गांधी की बीवी मेनका गांधी की पत्रिका, सूर्या में बाबू जगजीवनराम के बेटे सुरेश राम की बहुत सी नग्न सेक्स-तस्वीरें प्रकाशित की गई थीं। एक प्रमुख महिला पत्रकार नीरजा चौधरी ने हाल ही में प्रकाशित अपनी एक किताब में इस घटना का जिक्र किया है कि किस तरह जगजीवनराम को इंदिरा गांधी से परे जाने से रोकने के लिए इन तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था जिनमें जगजीवनराम के बेटे सुरेश राम को अपनी एक महिला मित्र के साथ बिना कपड़ों के सेक्स-मुद्राओं में कैमरे में कैद किया गया था।
सूर्या पत्रिका का एक पूरा अंक इन्हीं तस्वीरों को समर्पित कर दिया गया था, और इनका साफ-साफ मकसद देश के सबसे प्रमुख दलित राजनेता जगजीवनराम को ब्लैकमेल करना था। यह एक अलग बात है कि राजनीति में कोई स्थाई शत्रु होते, और न ही स्थाई मित्र, इसलिए जगजीवनराम की बेटी मीरा कुमार तमाम कड़वाहट को छोडक़र कांग्रेस पार्टी की बड़ी नेता बनीं, और बाद में वे लोकसभा अध्यक्ष तक हुईं। लेकिन इस देश में सेक्स-तस्वीरों से ब्लैकमेल करने का सबसे ऊंचे स्तर का (या सबसे नीचा स्तर कहा जाए?) मामला इंदिरा गांधी के नाम लिखाएगा जिनके कपूत संजय गांधी ने लोकतंत्र की और कई किस्म की हत्याओं के साथ-साथ सेक्स-तस्वीरों से ब्लैकमेलिंग भी की थी।
फिर एक बार कर्नाटक पर लौटें, तो लोगों को याद होगा कि वहां विधानसभा में कुछ बरस पहले मोबाइल फोन पर पोर्नो देखते हुए कुछ विधायकों को विधानसभा के कैमरों ने ही कैद किया था, उसके बाद याद नहीं पड़ता कि उस मामले में क्या हुआ था। लेकिन कर्नाटक की राजनीति में सेक्स-सक्रियता बड़ी आम बात कही जाती है, और दर्जनों मंत्रियों, नेताओं, और जजों के सेक्स-सीडी मौजूद रहने से अब पता नहीं वहां इन लोगों की सार्वजनिक, सरकारी, और अदालती जिम्मेदारियों पर कैसा फर्क पड़ता होगा।
बहुत से मामलों में तो ब्लैकमेल करने की जरूरत भी नहीं पड़ती होगी, और एक मामूली सा संदेश भेज देना भी असरदार होता होगा कि उनका कोई सेक्स-वीडियो फलाने के पास मौजूद है। उतने में ही सरकारी या अदालती फैसले उसके पक्ष में होने की एक संभावना खड़ी हो जाती है। लेकिन हम फिर भी छोटे-छोटे हनी ट्रैप से देवेगौड़ा कुनबे के बाप-बेटे के मामले की तुलना करना नहीं चाहते जिन्होंने अपने घर पर ही अनगिनत महिलाओं के साथ हरम जैसा चला रखा था, और खुद ही वीडियो भी बनाते थे।
इस कुनबे की करतूतों को हिन्दुस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा सेक्स-वीडियो कांड कहा गया है। राजनीतिक बेशर्मी का हाल यह है कि इसके भांडाफोड़ के बाद भी इस देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री को इतनी भी शर्मिंदगी नहीं हुई कि अपने बेटे-पोते, और अपनी पार्टी के दो नेता बनाए गए खानदानी चिरागों के जुर्म देखकर देवेगौड़ा सार्वजनिक जीवन से बाहर हो जाते। वह तो गनीमत कि वीडियो-सुबूत मौजूद हैं, इस वजह से इन कुकर्मियों की गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन उसके बाद भी देवेगौड़ा पूरी बेशर्मी से राजनीति में बने हुए हैं।
हम कर्नाटक जैसी नौबत को लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक मानते हैं, क्योंकि किसी कारोबारी के सेक्स-स्कैंडल में फंसने से परे, जब सरकार या अदालत के किसी बड़े ओहदे पर बैठे हुए लोग हनी ट्रैप में फंसते हैं, तो वे अपनी शपथ के खिलाफ जाकर गलत काम करने को मजबूर भी हो सकते हैं। हमारा तो ख्याल यह है कि सार्वजनिक जीवन के लोगों को उनका ऐसा स्कैंडल सामने आने के बाद किसी भी सरकारी, राजकीय, या संवैधानिक ओहदे से हट जाना चाहिए।
लोगों को याद होगा कि एक वक्त अविभाजित आन्ध्र के राज्यपाल रहे नारायण दत्त तिवारी का राजभवन का जीवन ऐसे ही कुछ सेक्स-वीडियो बाहर आने की वजह से खत्म हुआ था। जिन पार्टियों के नेता भी इस किस्म के सुबूतों के साथ पकड़ाते हैं, उन्हें पार्टियों को कम से कम सार्वजनिक पदों से अलग कर देना चाहिए, फिर चाहे वे अपने संगठन में ऐसे लोगों को सिर पर बिठाकर रखें।
सार्वजनिक जीवन के लोगों को हनी ट्रैप से बचना भी आना चाहिए क्योंकि सेक्स की अपनी जरूरत को वो दुनिया के कुछ सेक्स-पर्यटन केन्द्रों पर जाकर भी पूरा कर सकते हैं, कम से कम देश में अपनी पार्टी को शर्मिंदगी से बचाएं। एक दूसरी बात यह भी है कि जिस पार्टी के नेता ऐसी हरकतों में फंसते हैं, उनके आसपास की महिलाओं का सम्मान भी खतरे में पड़ता है।
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