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High court decision on rape-जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। उकसावे की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल और जस्टिस प्रशांत गुप्ता ने अपने निर्णय में कहा है कि भले ही कोई महिला स्वयं बलात्कार के लिए आरोपी नहीं हो सकती लेकिन वह आईपीसी की धारा 109 के तहत बलात्कार के लिए उकसाने का अपराध जरूर कर सकती है। लिहाजा, रेप के लिए उकसाने वाली महिला के खिलाफ भी 376, 34, 109 और 506-11 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कमरे में भेज दरवाजा बंद किया
भोपाल के छोला मंदिर थाने में 21 अगस्त 2022 को एक महिला ने एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें उसने बताया कि मेरे पड़ोसी ने मुझसे शादी का प्रस्ताव रखा था। मैं सहमत हो गई थी। मैं कुछ समय बाद उसकी मां और भाई को अपनी सहमति बताने उनके घर गई थी। तब उस व्यक्ति की मां और भाई ने जबरन मुझे उसके कमरे में भेज दिया और दरवाजा बंद कर दिया। इसके बाद आरोपी ने मुझसे शारीरिक संबंध बनाए। कुछ समय बाद उसने शादी से इनकार कर दिया।
इस मामले में आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 376 (2) (एन) (एक ही महिला से बार-बार बलात्कार), 190 (लोक सेवक से सुरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकने के लिए व्यक्ति को चोट पहुंचाने की धमकी), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई।
मामले की सुनवाई के बाद आरोपियों ने सीआरपीसी की धारा 227 के तहत एक आवेदन दायर किया था, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था।
आरोपी की मां-भाई को बनाया था सह-आरोपी
सरकारी वकील सीएम तिवारी ने बताया कि आरोपी ने 22 अगस्त 2023 को भोपाल सेशन कोर्ट से जारी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें भोपाल की निचली अदालत ने मुख्य आरोपी के साथ उसकी मां और भाई को भी सह आरोपी बनाया था।
आरोपी अभिषेक गुप्ता पर शादी के नाम पर रेप करने का आरोप था। इस वारदात के समय आरोपी की मां और भाई भी मौके पर मौजूद थे। महिला ने रेप की घटना में शामिल होने का आरोप लगाया था।
उकसाना बलात्कार से अलग विशिष्ट अपराध है। ऐसे अपराध में उकसाने वाला
पुरुष हो या फिर महिला। आईपीसी की धारा 109 के तहत
दण्डित होने के लिए उत्तरदायी है।
-जबलपुर हाईकोर्ट
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