IRCTC Scam Case

IRCTC Scam Case

IRCTC घोटाला: बिहार चुनाव से पहले RJD को बड़ा झटका, लालू-राबड़ी और तेजस्वी पर आरोप तय

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IRCTC Scam Case: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले RJD (राष्ट्रीय जनता दल) की परेशानी बढ़ गई है।

कोर्ट ने लालू परिवार को तगड़ा झटका देते हुए आरोप तय किए हैं।

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को आईआरसीटीसी स्कैम केस में फैसला सुनाया है।

इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव तीनों के खिलाफ केस चलेगा।

कोर्ट ने आरजेडी सुप्रीमो, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री के साथ नेता प्रतिपक्ष को आरोपी मान लिया है।

कोर्ट ने माना कि टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी लालू यादव की जानकारी में हुई और इससे लालू परिवार को फायदा पहुंचा।

यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है, जो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बड़ी मुसीबत बन सकता है।

कोर्ट का बड़ा फैसला, अब चलेगा मुकदमा

राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने कहा कि लालू यादव जब केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे।

तब उन्होंने आईआरसीटीसी के रांची और पुरी स्थित बीएनआर होटलों के रखरखाव का ठेका अवैध तरीके से निजी कंपनी को दिया।

कोर्ट ने इस मामले में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और साजिश से जुड़ी धाराओं में आरोप तय किए हैं। कोर्ट ने जिन धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं।

उनमें IPC की धारा 120B (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) व 13(1)(d) शामिल हैं।

इनमें से आखिरी दो धाराएं सिर्फ लालू यादव पर लागू होती हैं, क्योंकि उन्होंने सरकारी पद पर रहते हुए कथित रूप से अपने पद का दुरुपयोग किया।

कोर्ट से बाहर आते हुए राबड़ी देवी ने भी कहा कि हर चुनाव से पहले इस तरह के केस उछाले जाते हैं ताकि जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाया जा सके।

लालू यादव ने मीडिया से कहा, यह केस राजनीतिक बदले की भावना से दर्ज किया गया है। जनता सब जानती है। हम सच की लड़ाई लड़ेंगे और न्याय मिलेगा।

कोर्ट में लालू-राबड़ी-तेजस्वी की पेशी

सोमवार को लालू यादव व्हीलचेयर पर कोर्ट पहुंचे, उनके साथ राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव भी मौजूद थे।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस घोटाले की साजिश लालू यादव की जानकारी में रची गई थी।

टेंडर में हस्तक्षेप हुआ और इस प्रक्रिया से लालू परिवार को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचा।

अदालत ने माना कि कॉन्ट्रैक्ट देने के बदले राबड़ी और तेजस्वी यादव को बेहद कम कीमत पर जमीन दी गई।

हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि इस स्तर पर ‘quid pro quo’ यानी लेन-देन की प्रत्यक्ष साजिश साफ़ नहीं दिखती।

अदालत में जब जज ने पूछा कि क्या आप आरोप स्वीकार करते हैं, तो तीनों ने आरोपों से इनकार किया।

लालू यादव ने कहा, मैं निर्दोष हूं और अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करूंगा। वहीं, राबड़ी देवी ने कहा कि यह राजनीतिक साजिश है।

जबकि तेजस्वी यादव ने कहा कि इस केस का मकसद केवल उनके परिवार की छवि खराब करना है।

अब जानें CBI के आरोप क्या हैं?

सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, 2004 से 2014 के बीच एक सुनियोजित साजिश के तहत भारतीय रेलवे के बीएनआर होटलों को पहले आईआरसीटीसी को ट्रांसफर किया गया।

इसके बाद फिर संचालन और रखरखाव का ठेका बिहार की सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया गया।

जांच एजेंसी का दावा है कि निविदा प्रक्रिया में जानबूझकर बदलाव किए गए ताकि सुजाता होटल्स को फायदा हो।

इस मामले में IRCTC के तत्कालीन महाप्रबंधक वीके अस्थाना और आरके गोयल, सुजाता होटल्स के डायरेक्टर विजय कोचर और विनय कोचर, चाणक्य होटल के मालिक प्रेमचंद गुप्ता भी आरोपी हैं।

लैंड फॉर जॉब केस से भी जुड़ी जांच

IRCTC घोटाले के समानांतर लालू परिवार पर लैंड फॉर जॉब’ यानी जमीन के बदले नौकरी देने का भी मामला चल रहा है। इस केस में भी राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई जारी है।

सीबीआई का आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच जब लालू यादव रेल मंत्री थे, उस समय रेलवे में नौकरियां देने के बदले लालू परिवार के नाम जमीनें ट्रांसफर कराई गईं।

जांच में सामने आया कि कई लोगों ने अपने प्लॉट या खेत गिफ्ट डीड के जरिए लालू परिवार के नाम कर दिए और बाद में उनके परिवार के सदस्यों को रेलवे में नौकरी दी गई।

इस केस में जनवरी 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू और तेजस्वी यादव से लंबी पूछताछ की थी।

20 जनवरी को लालू यादव से 10 घंटे से ज्यादा सवाल-जवाब हुए थे। कई बार पूछताछ के दौरान वे झल्ला भी गए।

सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव से 50 से अधिक प्रश्न पूछे गए, जिनमें से ज़्यादातर के जवाब उन्होंने हां या ना में दिए।

वहीं 30 जनवरी को लालू के बेटे तेजस्वी यादव से भी करीब 11 घंटे तक पूछताछ चली थी।

चुनाव से पहले फैसले RJD को कितना नुकसान?

यह फैसला उस समय आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं।

आरजेडी महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल है, और तेजस्वी यादव खुद गठबंधन का चेहरा माने जा रहे हैं।

कोर्ट का यह फैसला चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक रूप से बड़ा झटका माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से विपक्षी महागठबंधन की रणनीति प्रभावित हो सकती है।

आरजेडी और कांग्रेस के बीच पहले से ही सीट शेयरिंग को लेकर विवाद चल रहा है।

आरजेडी ने कांग्रेस को 52 सीटों की पेशकश की थी, जबकि कांग्रेस 60 सीटों पर अड़ी हुई है।

ऐसे में लालू परिवार पर आरोप तय होना गठबंधन के अंदर असहजता बढ़ा सकता है।

फिलहाल यह तय है कि लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ IRCTC घोटाले और लैंड फॉर जॉब केस दोनों में अब मुकदमा चलेगा।

कोर्ट के ताज़ा आदेश ने आरजेडी की राजनीतिक चुनौतियों को और गहरा कर दिया है। साथ ही बिहार की राजनीति में यह फैसला चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।

 

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