Operation Shivshakti: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सेना ने एक और सफल आतंकी ऑपरेशन को अंजाम दिया है।
लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को सेना ने ऑपरेशन “शिवशक्ति” के तहत मार गिराया।
इन आतंकियों के पास से तीन हथियार और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया है।
सेना को मंगलवार देर रात LoC के पास संदिग्ध गतिविधि का आभास हुआ।
निगरानी पर तैनात जवानों ने कुछ हलचल महसूस की, जिसके बाद इलाके की घेराबंदी की गई और तलाशी अभियान शुरू हुआ।
आतंकियों ने खुद को बचाने के लिए गोलीबारी शुरू की, जिसका जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया और मुठभेड़ में दोनों आतंकी ढेर हो गए।
3 दिनों में भारतीय सेना का दूसरा एनकाउंटर
पिछले तीन दिनों में यह भारतीय सेना का दूसरा एनकाउंटर है।
इससे पहले 28 जुलाई को भी सेना ने श्रीनगर के दाचीगाम नेशनल पार्क के पास हरवान इलाके में तीन पाकिस्तानी आतंकियों को ढेर किया था।
इसमें पहलगाम आतंकी हमले का मुख्य आरोपी सुलेमान और दो अन्य आतंकी जिबरान और हमजा अफगानी मारे गए थे।
इनके पास से अमेरिकी M4 कार्बाइन, AK-47, 17 राइफल और ग्रेनेड बरामद हुए थे। इस ऑपरेशन को “महादेव” नाम दिया गया था।
बता दें, सुरक्षाबलों को दाचीगाम में ऑपरेशन से एक हफ्ते पहले सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी।
इन आतंकियों ने एक चाइनीज अल्ट्रा कम्युनिकेशन सेट को फिर से एक्टिवेट किया था, जिससे उनका लोकेशन ट्रेस हो गया।
24 राष्ट्रीय राइफल्स और 4 पैरा यूनिट के जवानों ने एडवांस गैजेट्स की मदद से आतंकियों को खोज निकाला और उन्हें मुठभेड़ में ढेर किया।
ये खबर भी पढ़ें – ऑपरेशन महादेव: पहलगाम आतंकी हमेला का बदला पूरा, 96 दिन बाद भारतीय सेना ने ऐसे किया हिसाब चुकता
UNSC ने माना पहलगाम हमले के लिए TRF जिम्मेदार
दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सेंक्शंस मॉनिटरिंग टीम ने ग्लोबल टेररिज्म संगठनों पर बुधवार को रिपोर्ट जारी की।
इस रिपोर्ट में UNSC ने माना कि पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जिम्मेदार है।
TRF ने घटना के बाद दो बार जिम्मेदारी ली थी, हमले वाले दिन 22 अप्रैल को TRF ने घटनास्थल की फोटो भी प्रकाशित की थी।
हालांकि 26 अप्रैल को उन्होंने बयान बदल लिया और दावा किया कि उनकी वेबसाइट हैक हो गई थी।
इसके बाद TRF ने कोई और बयान नहीं दिया और किसी अन्य संगठन ने भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली।
संयुक्त राष्ट्र की यह 36वीं रिपोर्ट आतंकी संगठनों ISIL, अल-कायदा और उनसे जुड़े गुटों पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार, एक सदस्य देश ने TRF के लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से संबंध होने का दावा किया और कहा कि यह हमला LeT की मदद के बिना संभव नहीं था।
जबकि दूसरे सदस्य देश ने LeT को निष्क्रिय बताते हुए इससे इनकार किया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बायसरन घाटी और आस-पास के इलाकों में हालात बेहद संवेदनशील हैं और आतंकवादी संगठन तनाव का लाभ उठाने की कोशिश कर सकते हैं।
इससे पहले 25 अप्रैल को UNSC ने हमले की निंदा करते हुए एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया, जिसमें TRF का नाम नहीं था।
बाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने खुलासा किया कि उन्होंने TRF का नाम हटवाने में भूमिका निभाई।
अमेरिका ने TRF को घोषित किया आतंकवादी संगठन
इससे पहले 18 जुलाई को अमेरिका ने TRF को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) की सूची में शामिल किया।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा था कि TRF ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।
यह 2008 के मुंबई हमले के बाद लश्कर का सबसे बड़ा हमला था। TRF कई बार भारतीय सुरक्षा बलों पर हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है।
बता दें, साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद TRF अस्तित्व में आया है। ये लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी आतंकी संगठन है।
ये आतंकी संगठन जवानों और आम नागरिकों की हत्या के अलावा सीमा पार से ड्रग्स और हथियार की तस्करी में शामिल रहा है।
सुरक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि सीमा पार से ISI हैंडलर्स ने ही लश्कर-ए-तैयबा की मदद से TRF को खड़ा किया।
ये खबर भी पढ़ें – US ने पाकिस्तान समर्थित TRF को घोषित किया आतंकवादी संगठन, इसी ने कराया था पहलगाम हमला
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