India Neighboring Countries Coups: देश-विदेश के साथ ही मध्यप्रदेश की सियासत भी गर्म है।
वजह है भाजपा विधायक पन्ना लाल शाक्य का विवादित बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में भी गृहयुद्ध छिड़ सकता है।
एक तरफ इस बयान से भाजपा ने किनारा कर लिया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इसे भारतीय सेना, लोकतांत्रिक व्यवस्था और देश का अपमान है।
कहीं सत्ता का दुरुपयोग तो कहीं आर्थिक संकट और कहीं लोकतंत्र पर हमला।
जानें भारत के 6 पड़ोसी देशों में 4 सालों में एक ही पैर्टन पर कैसे तख्तापलट हुआ है?
BJP विधायक के विवादित बयान से मचा बवाल
भारत का पड़ोसी देश नेपाल सुलग रहा है, पांच दिनों से जारी हिंसा के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है, देश राजनीतिक सकंट से गुजर रहा है।
केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के 2 दिन बाद भी अंतरिम सरकार पर फैसला नहीं हो सकता है।
पड़ोसी देश में भड़की इस हिंसा को देख कई बार दावा किया गया कि ये हालात भारत में भी बन सकते हैं।
विपक्ष की तरफ से ही नहीं अब तो सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता भी ये कहने लगे हैं।
दरअसल, देश-विदेश के साथ ही मध्यप्रदेश की सियासत भी गर्म है।
वजह भाजपा विधायक पन्ना लाल शाक्य वो बयान जिसने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है।
गुना से विधायक पन्ना लाल शाक्य ने कहा कि भारत में भी गृहयुद्ध छिड़ सकता है।
नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे हालात हमारे देश में भी हो सकते हैं।
"Give Military Training to Youth Aged Between 18 to 30 to Avert Potential Civil War in The Country."
Says Madhya Pradesh's BJP MLA, Pannalal Shakya.#India #Nepal #BJP #Military #Guna pic.twitter.com/kbGf6tOd6c
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) September 12, 2025
BJP ने किया किनारा, कांग्रेस बोली- देश का अपमान
अब इस विवादित बयान के बाद बवाल मचना तो तय था। कांग्रेस ने भाजपा विधायक पर हमला बोला और बयान को शर्मनाक करार दिया।
कांग्रेस का कहना है कि देश में गृहयुद्ध जैसे हालात होने की बात कहना न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि सीधे-सीधे भारतीय सेना और लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है।
यह विचारधारा देश को बांटने वाली है और इससे भारत की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है।
कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी नेता देश में डर और भ्रम का माहौल फैलाना चाहते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के विधायक पन्ना लाल शाक्य का देश में गृहयुद्ध जैसे हालात होने का बयान न केवल शर्मनाक है, बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण भी है।
हम इस बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हैI यह विचारधारा सीधे-सीधे भारतीय सेना और देश के लोकतांत्रिक तंत्र का… pic.twitter.com/RC1O9RrMai
— MP Congress (@INCMP) September 11, 2025
वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने पन्नालाल शाक्य के बयान से सीधी तरह से किनारा कर लिया है।
पार्टी का कहना है कि वह इस तरह के किसी भी बयान का कोई समर्थन नहीं करते हैं। वरिष्ठ नेतृत्व उनके बयान पर जरूर संज्ञान लेंगे।
हालांकि, भाजपा का एक खेमे का ये कहना है कि पन्ना लाल शाक्य ने के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
फिलहाल, राजनीतिक गलियारों में यह बहस अब जोर पकड़ चुकी है कि आखिरकार एक विधायक इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं।
4 साल में भारत के 6 पड़ोसी देशों में तख्तापलट
अब ये बयान विवादित इसलिए बना क्योंकि ये सच है कि भारत के कई पड़ोसी देशों में पिछले कुछ सालों में एक ही पैर्टन पर तख्तापलट हुआ है।
कहीं सत्ता का दुरुपयोग तो कहीं आर्थिक संकट और कहीं लोकतंत्र पर हमला। आईए एक – एक करके ये भी समझ लेते हैं।
1 – नेपाल तख्तापलट – 2025
नेपाल में साल 2007 तक करीब 250 साल राजशाही रही। 2008 में नेपाल को लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया।
लेकिन सरकारों की अस्थिरता साफ देखने को नहीं मिली और नतीजा तख्तापलट।
Gen Z के आंदोलन का असर ये रहा गृह, कृषि और स्वास्थ्य समेत पांच मंत्रियों ने इस्तीफा दिया।
खुद प्रधानमंत्री केपी शार्मा ओली ने पद छोड़ा और देश छोड़कर चले गए।

2 – बांग्लादेश तख्तापलट – 2024
करीब एक साल पहले बांग्लादेश में भी ऐसा ही हुआ था। जून 2024 में भ्रष्टाचार और आरक्षण नीति के खिलाफ छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा।
‘दूसरा स्वतंत्रता संग्राम’ इस आंदोलन ने धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया, फायरिंग में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर अपना देश छोड़कर भागना पड़ा फिर नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी।
फिलहाल, वहीं देश की बागडोर संभाल रहे हैं और देश में अब भी अस्थिरता बनी हुई है।
नए चुनावों की तैयारी चल रही है, लेकिन आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां बरकरार हैं।

3 – पाकिस्तान तख्तापलट – 2023
साल 2023 के मई महीने में पाकिस्तान भी सत्ता संकट का शिकार रहा।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने देशभर में विरोध-प्रदर्शन किया था और कई जगहों पर आगजनी भी की गई थी।
देशभर में इंटरनेट बंद और कर्फ्यू जैसे हालात, यह पहला मौका था जब पाकिस्तान की जनता ने सेना के खिलाफ गुस्सा दिखाया था।

4 – श्रीलंका तख्तापलट – 2022
थोड़ा और पीछे साल 2022 में चलते हैं जब श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण बड़े पैमाने पर विरोध शुरु हुआ।
देश में बिजली कटौती, महंगाई और फ्यूल की कीमतों ने चिंगारी को भड़का दिया।
‘अरगलाया आंदोलन’ के नाम से मार्च में प्रदर्शन शुरू हुआ और जुलाई तक सरकार गिर गई।
यहां भी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा।
फिर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को भी इस्तीफा देना पड़ा। सितंबर 2024 में अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के राष्ट्रपति बने।

5 – म्यांमार तख्तापलट – 2021
साल 2021 की शुरआत में फरवरी को म्यांमार में भी तख्तापलट हुआ।
सैन्य तख्तापलट के खिलाफ बड़े पैमाने पर अहिंसक प्रदर्शन हुए, जो बाद में हिंसक हो गए और देश में गृहयुद्ध में छिड़ गया।
अभी भी विद्रोही गुटों और सेना के बीच लड़ाई जारी है। 30 लाख से ज्यादा लोगों को घर छोड़ना पड़ा है, 6500 से ज्यादा नागरिक मारे गए।

6 – अफगानिस्तान तख्तापलट – 2021
इसी साल यानी अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में भी तख्तापलट हुआ।
अमेरिका ने करीब 20 साल के बाद देश से अपनी सेना को वापस बुला लिया।
इस फैसले के बाद तालिबान ने मुल्क में पैर पसार लिए और जब राजधानी काबुल में तालिबान का शासन कायम हो गया।
राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भागना पड़ा। तब से वहां पर लोकतांत्रिक व्यवस्था की जगह एक कठोर शासन कायम है।

बहरहाल, इस बात में कोई तो राय नहीं है कि भारत के पड़ोसी देश पिछले चार-पांच साल से अस्थिर बने हुए हैं।
अफगानिस्तान से लेकर श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और अब नेपाल में सरकार सत्ता से बेदखल हो चुकी है।
इसलिए सवाल उठ रहें हैं कि कहीं ऐसा भारत में भी ऐसे हालात ना बन जाएं।
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