SIR Voter List Revision: निर्वाचन आयोग ने देशभर में मतदाता सूचियों की गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision – SIR) शुरू करने की औपचारिक तैयारी पूरी कर ली है।
यह अभियान नवंबर 2025 से शुरू होकर मार्च 2026 तक चलेगा। आयोग का लक्ष्य है कि 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों वाले राज्यों—पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी—में चुनावों से पहले पूरी तरह से अपडेटेड और त्रुटिरहित मतदाता सूची जारी हो सके।
क्यों जरूरी है SIR?
पिछले दो दशकों में शहरी आबादी, माइग्रेशन और बसावट में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं।
इसके चलते कई राज्यों में:
- दोहरे मतदाता
- पता बदलने के बाद भी नाम पुराने क्षेत्र में बने रहने
- और मृत व्यक्तियों के नाम सूची में बने रहने
जैसी शिकायतें सामने आई हैं।
निर्वाचन आयोग का कहना है कि SIR का मुख्य उद्देश्य है—
“प्रत्येक मतदाता सूची को साफ, अद्यतन और नागरिकता के दस्तावेजों के मुताबिक प्रमाणित करना।”
कहां दिया जाएगा अधिक ध्यान
आयोग के अनुसार उनकी विशेष निगरानी इन राज्यों पर रहेगी:
- पश्चिम बंगाल
- केरल
- असम
- तमिलनाडु
- पुडुचेरी
क्योंकि इन राज्यों में मई 2026 तक विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म भरवाएंगे
निर्णय लिया गया है कि Booth Level Officers (BLO) हर घर पर जाकर प्री-फिल्ड फॉर्म उपलब्ध कराएंगे, जिसमें:
- मतदाता की उम्र
- पता
- पहचान
- परिवार के सदस्यों की जानकारी
पहले से दर्ज रहेगी और मतदाता को केवल इसकी पुष्टि करनी होगी।
31 दिसंबर तक 18 वर्ष के होने वाले सभी शामिल
जिस भी नागरिक की उम्र 31 दिसंबर 2025 तक 18 वर्ष पूरी हो जाएगी, उसे स्वतः मतदाता सूची में शामिल माना जाएगा। यानी 2026 चुनावों से पहले नया युवा मतदाताओं का बड़ा वर्ग वोटिंग लिस्ट में आ जाएगा।
आधार को 12वें ID दस्तावेज की मंजूरी
आयोग ने स्पष्ट किया है कि:
- आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होगा।
- यह 12वें वैध दस्तावेज के रूप में लागू रहेगा।
- कोई भी व्यक्ति आधार न देने पर मताधिकार से वंचित नहीं होगा।
पुराने और नए मतदाताओं की स्थिति
| राज्य | 2003-04 में मतदाता | वर्तमान मतदाता |
| आंध्र प्रदेश | 5.5 करोड़ | 6.6 करोड़ |
| उत्तर प्रदेश | 11.5 करोड़ | 15.9 करोड़ |
| दिल्ली | 1.1 करोड़ | 1.5 करोड़ |
फिलहाल देश में कुल 99 करोड़ 10 लाख पंजीकृत मतदाता हैं। इनमें से बिहार में करीब 8 करोड़ मतदाताओं का पुनरीक्षण पहले ही पूरा हो चुका है।
2002-2004 के पिछले SIR में 70 करोड़ मतदाता शामिल थे। इस बार अनुमान है कि 21 करोड़ मतदाताओं को दस्तावेज अपडेट करने की जरूरत होगी।
बहरहाल, SIR अभियान का असर 2026 राज्य चुनावों पर सीधे तौर पर पड़ेगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि मतदाता सूची पारदर्शी हो, दोहराव से मुक्त हो और वास्तविक योग्य भारतीय नागरिकों पर आधारित हो।
मतदाता पहचान की शुचिता, आने वाले चुनावों की विश्वसनीयता के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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