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ED Raid: पटना में टेंडर घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर तारिणी दास के ठिकानों पर छापेमारी की है। कई ठिकानों पर हुई इस रेड में करोड़ों रुपये बरामद होने की खबर है, जिसके लिए नोट गिनने की मशीन मंगाई गई है।
ED RAID-पटना। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर तारिणी दास के ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई आईएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़े टेंडर घोटाले के मामले में की गई। छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये नगद मिलने की बात सामने आई है, जिसके बाद नोटों की गिनती के लिए मशीन मंगाई गई। इस छापेमारी के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया है।
क्यों हुए ED की रेड
जांच एजेंसी को संदेह था कि तारिणी दास अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ठेकेदारों को टेंडर दिलाने के लिए मोटी रकम वसूलते थे। इसलिए उनके आवास पर छापेमारी की गयी। इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में नगदी और महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार अपने चरम पर
इस मामले पर आरजेडी विधायक राकेश रौशन ने कहा कि यह बिहार सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री नितीश कुमार की सरकार में अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है और भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। विधायक ने कहा कि बिहार में अब “डीके टैक्स” नाम की एक नई व्यवस्था चल पड़ी है, जिसमें ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए पैसे वसूले जाते हैं।
आईएएस संजीव हंस का मामला
गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में आईएएस अधिकारी संजीव हंस को पांच महीने पहले गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में पूर्व विधायक गुलाब यादव की भी दिल्ली के एक रिसॉर्ट से गिरफ्तारी हुई थी। दोनों पर पहले से ही गंभीर आरोप थे, और गैंगरेप के एक मामले की जांच के दौरान पटना पुलिस को उनकी काली कमाई से जुड़े कई अहम सबूत मिले थे। इन साक्ष्यों को विजिलेंस विभाग को सौंपा गया, जिसके बाद जांच एजेंसियों ने कार्रवाई तेज कर दी।
करोड़ों की संपत्ति और दस्तावेज बरामद
संजीव हंस और गुलाब यादव के चार शहरों में स्थित 20 से अधिक ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, नकदी और अन्य संपत्तियों के रिकॉर्ड मिले। जांच में पता चला कि इनके करीबी सहयोगियों के पास भी भारी मात्रा में अवैध संपत्ति है। ईडी ने इनके ठिकानों से 90 लाख रुपये नकद, 13 किलो चांदी की सिल्ली और कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई
बिहार में लगातार हो रही छापेमारी से यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार का जाल काफी गहराई तक फैला हुआ है। ईडी की इस कार्रवाई से भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं में भय का माहौल बना है। एजेंसियां इस मामले में आगे भी जांच कर रही हैं और कई अन्य अधिकारियों की संलिप्तता सामने आने की संभावना है।
जनता की प्रतिक्रिया
यह मामला सामने आने के बाद बिहार के आम नागरिकों में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा इस तरह का भ्रष्टाचार करना जनता के विश्वास के साथ धोखा है। लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए और भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाए। बिहार में टेंडर घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले ने प्रशासन की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ईडी की आगे की कार्रवाई से और कौन-कौन इस जाल में फंसता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
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