15th Vice President: नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें ने पद एवं गोपनीयता की दिलाई।
सीपी राधाकृष्णन का कार्यकाल 11 सितंबर 2030 तक रहेगा।
Shri C.P. Radhakrishnan took oath today as the 15th Vice President of India at swearing-in ceremony held at Rashtrapati Bhavan.#vicepresidentofindia pic.twitter.com/KhZTmkNmcu
— Vice-President of India (@VPIndia) September 12, 2025
इस्तीफे के 53 दिन बाद दिखे धनखड़
इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई वरिष्ठ मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे।
वहीं, इस दौरान सबसे बड़ी खासियत यह रही कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी नजर आए।
इस्तीफा देने के 53 दिन बाद जगदीप धनखड़ किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिखाई दिए
स्वास्थ्य कारणों से 21 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था।
वह समारोह में पूर्व उपराष्ट्रपतियों हामिद अंसारी और वेंकैया नायडू के साथ बैठे दिखे।
सी.पी. राधाकृष्णन ने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।#PresidentOfIndia #droupadimurmu #VicePresidentElection #CPRadhakrishnan #RashtrapatiBhavan #OathCeremony #IndianDemocracy @rashtrapatibhvn @VPIndia pic.twitter.com/i0HiYDl3tk
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धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था, लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देकर उन्होंने पद छोड़ दिया।
इस्तीफे के बाद से उनकी गैरमौजूदगी पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा था।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि अगर स्वास्थ्य इतनी बड़ी समस्या थी तो संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले ही पद छोड़ा जाना चाहिए था। वहीं सरकार ने इसे धनखड़ का निजी मामला बताया।
इस्तीफे के बाद धनखड़ लगभग दो महीने तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहे। वे अपने आधिकारिक आवास में ही रहे और मीडिया या किसी भी सार्वजनिक मंच पर नहीं दिखे।
ऐसे में उनकी अचानक उपस्थिति ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दिया।
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उम्मीद से 14 वोट ज्यादा मिले
सीपी राधाकृष्णन को 9 सितंबर को भारत का 15वां उपराष्ट्रपति चुना गया।
उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया।
चुनाव में 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, जो 98.2% की रिकॉर्ड भागीदारी रही।
इनमें से 752 वोट वैध और 15 वोट अवैध घोषित हुए।
राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को केवल 300 वोट ही हासिल हुए।
राधाकृष्णन की जीत उम्मीद से भी बड़ी मानी जा रही है।
एनडीए उम्मीदवार को 427 सांसदों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन उन्हें कुल 452 वोट मिले।
यानी उन्हें उम्मीद से 14 वोट ज्यादा हासिल हुए।
यह अतिरिक्त समर्थन YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के 11 सांसदों से आया, जिन्होंने एनडीए का साथ दिया।
इसके अलावा, बीजू जनता दल (BJD) के सात सांसद, भारत राष्ट्र समिति (BRS) के चार सांसद, शिरोमणि अकाली दल के एक सांसद और एक निर्दलीय सांसद ने मतदान से परहेज किया।
इससे विपक्षी खेमे में क्रॉस-वोटिंग की अटकलें और तेज हो गईं हैं।
एक दिन पहले राज्यपाल पद से इस्तीफा
शपथ लेने से एक दिन पहले ही राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था।
उनके इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा।
सीपी राधाकृष्णन भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और तमिलनाडु से आते हैं।
वह दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और पार्टी संगठन में भी उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं।
महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में उन्होंने अपनी सादगी, पारदर्शी कार्यशैली और सरल स्वभाव से एक अलग पहचान बनाई।
उनकी उपराष्ट्रपति पद पर नियुक्ति को भाजपा और एनडीए के लिए एक बड़ी राजनीतिक सफलता माना जा रहा है।
खासकर इसलिए क्योंकि विपक्षी खेमे की एकजुटता इस चुनाव में कमजोर साबित हुई।
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16 साल में RSS से जुड़े, BJP के पुराने कार्यकर्ता
सीपी राधाकृष्णन का उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ।
उन्होंने बीबीए की पढ़ाई की और कॉलेज के दिनों से ही राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हो गए।
राधाकृष्णन 16 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे।
साल 1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने।
राजनीति में उनकी पहचान एक जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर बनी।
1998 और 1999 में वे कोयंबटूर सीट से सांसद चुने गए।
इसके बाद 2004 से 2007 तक वे तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 19 हजार किमी की रथयात्रा निकाली।
जिसने दक्षिण भारत में भाजपा की पकड़ मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई।
झारखंड-महाराष्ट्र के राज्यपाल, कई राज्यों का अतिरिक्त प्रभार
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर सिर्फ चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं रहा।
जुलाई 2024 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया।
इससे पहले वे झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं।
इसके साथ ही उन्होंने तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
भाजपा संगठन में भी उनकी अहम जिम्मेदारियां रही हैं।
2020 से 2022 तक वे भाजपा के केरल प्रभारी रहे।
राधाकृष्णन का कार्यकाल प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव से भरपूर रहा है।
यह सू उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है।
कॉयर बोर्ड के चेयरमैन, 20 देशों की यात्रा
राजनीति के साथ राधाकृष्णन ने प्रशासनिक क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी।
2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया।
उनके नेतृत्व में भारत का कॉयर निर्यात रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा और 2,532 करोड़ रुपये तक का कारोबार हुआ।
यह उस समय का ऐतिहासिक आंकड़ा था।
इसके अलावा, वे 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे।
खास बात यह भी है कि वे ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय दल के सदस्य थे।
राधाकृष्णन न केवल राजनीति में सक्रिय रहे, बल्कि खेलों में भी उनकी गहरी रुचि रही है।
कॉलेज के दिनों में वे टेबल टेनिस चैंपियन रहे और लंबी दौड़ के अच्छे धावक थे। उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल भी पसंद है।
अब तक वे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, जापान, चीन और सिंगापुर समेत 20 से ज्यादा देशों की यात्रा कर चुके हैं।
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