नई दिल्ली। कांग्रेस के अंदर मची खींचतान अब खुलकर सामने आ रही है। पार्टी के अंदर ही छिड़े शीत युद्ध और विपक्ष की एकजुटता को लेकर अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के दौरान कांग्रेस में छिड़ा कोल्ड वार साफतौर पर दिखाई भी दिया है। टीएमसी ने पेन-इंडिया एक्सपेंशन की तरफ बढ़ रही है। हालांकि दोनों ही पार्टियां आमने सामने आकर एक दूसरे के खिलाफ खुद को दिखाने से बच रही हैं, लेकिन दोनों के उठाए गए कदम इस बात का सीधा संकेत दे रहे हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है।
इस बीच कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी के रवैये को लेकर उन पर कई आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि टीएमसी डबल गेम खेल रही है। पिछली बार संसद सत्र के दौरान वो कांग्रेस के साथ थी। इस बार भी ऐसा ही होना था लेकिन वो दूर चली गई है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि ममता के भतीजे को ईडी ने काल किया था, जिसके बाद ममता की भाजपा से डील हुई और उनके भतीजे को छोड़ दिया गया।
असम और मेघालय में कांग्रेस के खेमे को मिले झटके के बाद इन दोनों ही पार्टियों की दूरियां और अधिक बढ़ गई हैं। असम में कांग्रेस महिला विंग की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने हाल ही में टीएमसी का दामन थामा है। इतना ही नहीं टीएमसी में लगातार दूसरी पार्टियों से नेताओं का आना लगा हुआ है। इसमें सबसे अहम कांग्रेस ही है।
मेघालय में भी कांग्रेस के पूर्व सीएम समेत करीब 14 नेता टीएमसी में शामिल होने से भी दोनों के बीच तनाव बढ़ा है। बिहार से कीर्ति आजाद भी कांग्रेस को छोड़ टीएमसी में शामिल हुए हैं। टीएमसी में लगातार ये सिलसिला चल रहा है।
टीएमसी गोवा में पार्टी का विस्तार करने और अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश कर रही है। टीएमसी ने कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक का भी बहिष्कार किया था।
शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन जहां सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने गांधी की प्रतिमा के आगे विरोध प्रदर्शन किया वहीं टीएमसी सदस्यों ने दूसरी जगह प्रदर्शन कर ये बता दिया कि वो कांग्रेस के साथ नहीं हैं।
टीएससी कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की उस बैठक में भी नहीं गई थी जो राज्य सभा में विपक्ष्ज्ञ के 12 सदस्यों के निलंबन के फैसले के खिलाफ लेकर बुलाई गई थी। इस बैठक के बाद इसमें शामिल 11 विपक्षी पार्टियों ने एक साझा बयान जारी किया था जबकि टीएमसी ने अपना पक्ष अलग से रखा था।
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के बाद जारी साझा बयान को लेकर कांग्रेस ने इस बयान में टीएमसी का नाम जोड़ने को लेकर पार्टी की सहमति मांगी थी, जिसको ठुकरा दिया गया था।
सूत्रों का ये भी कहना है कि टीएमसी की अपनी महत्वाकांक्षाएं और हित हैं। वहीं कांग्रेस आमने-सामने की नाराजगी से बचना चाहती है।
हाल ही में ममता बनर्जी दिल्ली में थीं लेकिन उन्होंने कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की थी। जब ममत से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि क्या ये जरूरी है कि सोनिया गांधी से मिला ही जाए।
तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर जब सदन के पटल प्रस्ताव रखा गया तो कांग्रेसी खेमा खामोश रहा लेकिन टीएमसी ने जबरदस्त हंगामा किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था।