राजस्थान की बगावत कांग्रेस के भविष्य के लिए अच्छी है ….

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राहुल राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते हैं तो सचिन क्यों नहीं ?

कांग्रेस एक मंच से 70 प्लस के सभी नेताओं को टिकट न देने का एलान करे और सचिन पायलट, जीतू पटवारी
जैसे युवाओं को सौंप दे पार्टी, राहुल भी जुड़े रहे, 

पंकज मुकाती (संपादक www.politicswala.com)

राजस्थान में गहलोत ने अपनी एक अलग कांग्रेस खड़ी कर ली है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ-दिग्विजय ने भी कुछ ऐसा ही घेरा बना लिया है। महाराष्ट्र में भी उम्रदराज नेता पार्टी को आँख दिखा रहे है। जी-23 के नेताओं में से एक गुलाम नबी आज़ाद ने अपनी सुविधा की गली चुन ही ली है। अमरिंदर सिंह कांग्रेस को ठिकाने लगा ही चुके हैं।

पूरे देश में 70 वर्ष से ज्यादा उम्र के नेता क्षत्रप बने बैठे हैं। ऐसे में कांग्रेस इस थके नेतृत्व को बाहर करके सचिन पायलट और दूसरे युवाओं को क्यों नहीं पार्टी की जिम्मेदारी सौंप देती। मध्यप्रदेश में जीतू पटवारी जैसे ऊर्जावान नेता को हाशिये पर धकेल रखा है, इसी चौकड़ी ने। आखिर निष्ठावान युवाओं की कदर कब करेगी कांग्रेस?

 

सबसे पुरानी इस पार्टी में आलाकमान ताक पर रख दिया गया है। राहुल गांधी को यात्रा के हर कदम पर अपनों से ही चुनौती मिल रही है। इसमें आलाकमान की सबसे बड़ी कमजोरी रही। पार्टी ने हमेशा अपने पुराने लोगो को भरोसेमंद माना। उन्हें खुली आज़ादी दी। आज वे पार्टी का उपयोग करके आज़ाद हैं।

इसके विपरीत कांग्रेस ने युवा और समर्पितों को हमेशा पीछे रखा। आखिर क्यों ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट जैसे युवा मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। बड़ा सवाल जब राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष हो सकते हैं, तो सचिन पायलट क्यों नहीं ?

कांग्रेस ऐसे ही बूढ़े और थके नेताओं पर भरोसा करके प्रतिदिन घट रही है। कांग्रेस को देश के दूसरे दलों की तरफ भी देखना चाहिए। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी पर भरोसा न करने का खामियाजा पार्टी ने भुगता। मध्यप्रदेश में सिंधिया की अनदेखी से सरकार गिरी। राजस्थान में अशोक गेहलोत पर अंधविश्वास पार्टी को गड्ढे में धकेल रहा।

बेहतर होगा कांग्रेस एक बार खुले मंच से ऐलान कर दे कि 70 प्लस के सभी नेताओं को चुनाव का टिकट नहीं मिलेगा। पार्टी युवाओं पर भरोसा करेगी। आज भले नुकसान होगा पर भविष्य में कांग्रेस ऊर्जा से भरी हुई दिखेगी ये तय है।

आखिर जनता और कार्यकर्ता कब तक वहीं बंटाधार, जादूगर, रोबोटनाथ, जैसे चेहरे देखते रहे। इसके विपरीत भाजपा में देखिये पिछले आठ साल में अमित शाह, जेपी नड्डा के साथ साथ प्रदेश तक नए चेहरे सामने आये। गुजरात, गोवा में तो भाजपा ने मुख्यमंत्री चुनने में भी नए चेहरे को मौका दिया।

गोवा में मुख्यमंत्री सावंत खुद चुनाव हार गए, फिर भी भाजपा ने उनपर भरोसा जताया और मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई। कांग्रेस को खुद अपने राज्य छत्तीसगढ़ को देखना चाहिए जहाँ अजीत जोगी को पीछे कर नए चेहरे को आगे रखा और आज सरकार है।

कांग्रेस ने क्या किया ? पांच साल मेहनत करने वाले सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा, जीतू पटवारी। ज्योतिरादित्य सिंधिया (अब भाजपा में ) जगन रेड्डी (अब खुद की पार्टी ) जैसे नेताओं को दरकिनार कर थके, नाउम्मीद, नकारात्मक बुजुर्गों पर भरोसा जताया।

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