दर्शक
कांग्रेस में कुछ भी लम्बे वक्त तक ठहरता नहीं। अब मीडिया में खटपट है। जीतू पटवारी मीडिया अध्यक्ष हैं। अब पार्टी ने (बड़े नेताओं ने ) के के मिश्रा को मीडिया महासचिव बना दिया। यानी टकराव का एक और रास्ता।
के के मिश्रा को सभी जिलों के मीडिया और उनके समन्वय का जिम्मा मिला है। ऐसे में मीडिया अध्य्क्ष के पास पूरा प्रदेश होते हुए भी सिर्फ भोपाल ही रह जाएगा। हालांकि पूरे प्रदेश के मीडिया अध्यक्ष वे ही हैं।
के के मिश्रा की आक्रमकता सब जानते हैं। वे जो भी करते हैं, फिदायीन हमलावर की तरह। मैं भले न बचूं पर सामने वाले का भी खत्म होना तय है। तो ये माना जाए कि के के मिश्रा एक फिदायीन की तरफ मीडिया में फिट किये गए हैं ?
जीतू पटवारी और के के मिश्रा के बीच कभी अच्छे सम्बन्ध नहीं रहे। ऐसे में पटवारी के मीडिया में मिश्रा की मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है। क्या कांग्रेस ने मीडिया विभाग से पटवारी को किनारे करने का फैसला कर लिया है। या जीतू पटवारी खुद इस भूमिका से बाहर आना चाहते हैं।
अब उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता मीडिया कौन देखे। तीसरी सम्भावना ये भी है कि पटवारी किसी बड़े पद के लिए दिल्ली से समन्वय जमा चुके हैं, और अब उस भूमिका के लिए खुद को तैयार कर रहे हों।
सूत्रों का कहना है कि युथ कांग्रेस चुनावों के बाद जीतू पटवारी और दिग्विजय सिंह के बीच अंदरूनी तौर पर रिश्ते सहज नहीं रहे हैं। ऐसे में एक बड़ी लॉबी जीतू पटवारी को असहज करने में लगी हैं।
दूसरी तरफ लोगों का मानना है कि प्रदेश के नेता कुछ भी कहते करते रहे, पटवारी का प्रदेश अध्यक्ष बनना तय है। कांग्रेस के पास उनसे बेहतर कोई नाम हे ही नहीं। ऐसे में पटवारी भी प्रदेश नेतृत्व की उठापटक से बेपरवाह हैं, उन्हें पूरा भरोसा है दिल्ली पर।
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