Ujjain Mahakal Garbh Grah: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह प्रवेश को लेकर पिछले कई महीनों से चल रहे विवाद पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।
सोमवार को कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गर्भगृह में किसे प्रवेश मिलेगा, इसका अंतिम अधिकार उज्जैन कलेक्टर के पास ही रहेगा।
इसका सीधा मतलब यह है कि आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी और केवल कलेक्टर के विवेक पर चुने गए लोगों को ही प्रवेश मिल सकेगा।
जनहित याचिका और तर्क
इंदौर निवासी वकील दर्पण अवस्थी ने 18 अगस्त 2025 को एडवोकेट चर्चित शास्त्री के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
इसमें तर्क दिया गया था कि दूर-दराज से आने वाले आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाता>
जबकि प्रभावशाली और वीआईपी लोगों को विशेष अनुमति मिल जाती है। यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण और अनुचित है।
एडवोकेट चर्चित शास्त्री ने कहा कि यह मामला लाखों महाकाल भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद वे आने वाले दिनों में रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे ताकि इस निर्णय की पुनः समीक्षा हो सके।
HC ने कलेक्टर के आदेश को सही ठहराया
गुरुवार को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था और सोमवार को आदेश सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि फिलहाल मंदिर की व्यवस्था जस की तस बनी रहेगी। यानी आम भक्त गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
कोर्ट ने कहा, यह अधिकार पूरी तरह से उज्जैन कलेक्टर पर निर्भर रहेगा कि वह किसे गर्भगृह में जाने की अनुमति देते हैं।
साथ ही आम भक्तों के प्रवेश पर रोक और वीआईपी श्रद्धालुओं को विशेष अनुमति देने के मामले में कलेक्टर के जारी आदेश को सही ठहराया।
अब जानें गर्भगृह क्यों बंद है?
महाकाल मंदिर का गर्भगृह 4 जुलाई 2023 को सावन महीने में बढ़ती भीड़ को देखते हुए बंद किया गया था।
मंदिर समिति ने तब घोषणा की थी कि 11 सितंबर 2023 तक ही गर्भगृह बंद रहेगा और बाद में आम भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।
लेकिन अब एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है।
महाकाल लोक बनने से पहले मंदिर में रोजाना 20 से 30 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे।
लेकिन अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद यह संख्या चार गुना बढ़कर 1.5 से 2 लाख तक पहुंच गई।
इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश पर स्थायी रोक लगा दी।
कब-कब टूटे गर्भगृह में प्रवेश के नियम
गर्भगृह बंद होने के बावजूद कई बार वीआईपी और प्रभावशाली लोगों के गर्भगृह में प्रवेश के मामले सामने आए हैं।
- 12 मार्च 2023 को भाजपा नेता गोलू शुक्ला का पुत्र रुद्राक्ष गर्भगृह में पहुंच गया था।
- 5 अप्रैल 2023 को कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला ने गर्भगृह में पूजा की।
- 1 दिसंबर 2023 को दो एडिशनल एसपी जयंत राठौर और गुरुप्रसाद पाराशर गर्भगृह में सोला पहनकर पहुंचे।
- 8 जुलाई 2024 को भाजपा प्रदेश संगठन प्रभारी महेंद्र सिंह और उनकी पत्नी गर्भगृह में नजर आए।
- 10 अगस्त 2024 को विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा और भाजपा पदाधिकारी अजय तिवारी ने पूजा की।
- 10 मार्च 2025 को उद्योगपति बाबा साहेब नीलकंठ कल्याणी और उनकी पत्नी ने बिना अनुमति गर्भगृह में प्रवेश किया।
- 21 जुलाई 2025 को विधायक गोलू शुक्ला अपने बेटे के साथ जबरन गर्भगृह में घुस गए।
- 4 अगस्त 2025 को कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी ने संत होने के नाते गर्भगृह में प्रवेश कर पूजन किया।
इन घटनाओं से आम श्रद्धालुओं में असंतोष और नाराजगी बढ़ी है।
उनका कहना है कि जब वीआईपी लोग नियम तोड़कर गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं तो उन्हें भी यह अधिकार मिलना चाहिए।
आम भक्तों के लिए नहीं खुलेगा गर्भगृह
हाईकोर्ट के फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान में आम भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिलेगा।
हालांकि, वकीलों की ओर से रिव्यू पिटीशन दाखिल किए जाने की बात कही गई है।
अगर कोर्ट इस पर दोबारा सुनवाई करता है तो भविष्य में स्थिति बदल सकती है।
फिलहाल महाकाल मंदिर का गर्भगृह केवल उन्हीं लोगों के लिए खुला है जिन्हें कलेक्टर अनुमति देंगे।
इससे यह विवाद और गहराता जा रहा है क्योंकि एक ओर भक्त अपनी आस्था के साथ भेदभाव महसूस कर रहे हैं।
तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन का तर्क दे रहा है।
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