CJI BR Gavai Attack Case

CJI BR Gavai Attack Case

CJI पर जूता फेंकने की घटना: PM बोले – हर भारतीय नाराज़, आरोपी वकील ने कहा- मुझे अफसोस नहीं

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CJI BR Gavai Attack Case: देश की सर्वोच्च अदालत में सोमवार को हुई एक अभूतपूर्व और चौंकाने वाली घटना ने पूरे देश को हिला दिया।

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की।

इसके तुरंत बाद कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने वकील को पकड़ लिया, जिससे बड़ा हादसा टल गया।

इस घटना ने न केवल न्यायपालिका बल्कि पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस घटना को लेकर CJI गवई से बात की और इसे “हर भारतीय को क्रोधित करने वाला कृत्य” बताया।

ऐसे कृत्य समाज के लिए शर्मनाक- PM 

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार सुबह सोशल मीडिया पर इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए लिखा – मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई से बात की है। सु

प्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुआ हमला हर भारतीय को क्रोधित कर गया है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह बेहद शर्मनाक है।

पीएम ने कहा कि वे CJI गवई के संयम और शांति की सराहना करते हैं। उन्होंने जिस तरह इस स्थिति में संतुलन बनाए रखा, वह न्याय के मूल्यों और संविधान की भावना के प्रति उनकी निष्ठा को दिखाता है।

बता दें वकील राकेश किशोर कुमार सोमवार को CJI गवई की बेंच में एक मामले की सुनवाई के दौरान मौजूद थे।

अचानक वह जजों की बेंच की तरफ बढ़े और जूता निकालकर फेंकने की कोशिश की। हालांकि जूता बेंच तक नहीं पहुंच सका और जस्टिस विनोद चंद्रन के पास जाकर गिरा।

वकील ने तुरंत माफी मांगी लेकिन यह भी कहा कि उसका निशाना मुख्य न्यायाधीश थे। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को पकड़ लिया और अदालत से बाहर ले गए।

घटना के बाद अदालत में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई, लेकिन CJI गवई ने संयम बनाए रखा और मामले को शांतिपूर्वक निपटाया। इसके बाद कोर्ट परिसर में सुरक्षा और बढ़ा दी गई।

आरोपी वकील बोला- मुझे अफसोस नहीं

घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने आरोपी वकील को हिरासत में लिया और सुप्रीम कोर्ट परिसर में ही करीब तीन घंटे तक पूछताछ की।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई, जिसके चलते पुलिस ने वकील को छोड़ दिया।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, वकील ने पूछताछ के दौरान दावा किया कि उसने यह सब न्याय के खिलाफ हो रही टिप्पणियों के विरोध में किया।

पूछताछ के बाद मीडिया से बात करते हुए वकील राकेश किशोर ने कहा – मैं चीफ जस्टिस के भगवान विष्णु पर दिए बयान से आहत हूं।

उनका एक्शन (टिप्पणी) ही मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था, और मुझे अपने किए का अफसोस भी नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया कि CJI गवई हिंदू धर्म से जुड़े मामलों में असंवेदनशील टिप्पणियां करते हैं।

जब जल्लीकट्टू या दही हांडी जैसे सनातन परंपराओं से जुड़े मामलों में याचिकाएं आती हैं, तो कोर्ट प्रतिबंध लगा देता है। लेकिन अन्य समुदायों से जुड़े मामलों में तुरंत स्टे ऑर्डर मिल जाता है।

बार काउंसिल ने कैंसिल किया वकील का लाइसेंस

घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) एसोसिएशन ने कड़ी निंदा की और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाए।

AoR एसोसिएशन ने कहा कि यह न केवल न्यायपालिका पर हमला है, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र के सम्मान पर प्रश्नचिह्न लगाता है। ऐसा असंयमित व्यवहार पूरी तरह अनुचित है।

साथ ही, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि वकीलों और न्यायाधीशों के बीच जो पारस्परिक सम्मान का रिश्ता है, यह घटना उसकी नींव को हिला देती है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने आरोपी वकील राकेश किशोर पर तत्काल कार्रवाई करते हुए उनका वकालत लाइसेंस निलंबित कर दिया है।

BCI चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने आदेश जारी करते हुए कहा – यह वकीलों के आचरण और पेशेवर नैतिकता के खिलाफ है।

जब तक अनुशासनात्मक जांच पूरी नहीं होती, आरोपी किसी भी अदालत या ट्रिब्यूनल में पेश नहीं हो सकेगा।

BCI ने आरोपी को 15 दिनों में शो-कॉज नोटिस का जवाब देने को कहा है। जवाब के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

ऐसा व्यवहार न्याय व्यवस्था को कमजोर करता है

सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल ने बयान जारी कर कहा — कोई भी वकील इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता।

न्यायपालिका पर हमला करना या उसे अपमानित करना, केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि पूरे न्याय तंत्र पर हमला है।

संस्थान ने यह भी कहा कि वकील का यह आचरण अदालत और वकीलों के बीच पवित्र विश्वास को तोड़ता है, जो संविधान में न्याय के मूल ढांचे को कमजोर करता है।

यह घटना उस समय हुई है जब सुप्रीम कोर्ट में हाल के महीनों में कई संवेदनशील धार्मिक और संवैधानिक मामलों पर सुनवाई हुई है।

CJI पर हमला न्यायपालिका की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े करता है।

हालांकि सुरक्षा कर्मियों की सतर्कता से एक बड़ी दुर्घटना टल गई, लेकिन इसने देश की न्यायिक मर्यादा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

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