Chhindwara Cough Syrup

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छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड: मासूमों की मौत के बाद बड़ा एक्शन, सीएम ने MP के ड्रग कंट्रोलर को हटाया

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Chhindwara Cough Syrup: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में जहरीले कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ से अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है।

यह मामला पूरे प्रदेश को झकझोर देने वाला बन गया है। सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद छिंदवाड़ा के परासिया पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।

इसके बाद उन्होंने तत्काल राज्य के ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को पद से हटा दिया।

जबकि खाद्य एवं औषधि प्रशासन के उपसंचालक शोभित कोष्टा, छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा और जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर शरद जैन को सस्पेंड कर दिया।

सीएम बोले- किसी को बख्शा नहीं जाएगा

परासिया में पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा, जो भी लोग जिम्मेदार हैं, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

सरकार संवेदनशील है और सख्त कार्रवाई कर रही है। ड्रग कंट्रोलर को हटाया गया है और सभी संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया गया है।

जिस कंपनी ने सिरप बनाया, उसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। सीएम ने कहा कि यह बेहद दुखद और संवेदनशील मुद्दा है।

राज्य सरकार बीमार बच्चों के इलाज का पूरा खर्च वहन करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

राजनीतिक गर्मी: कांग्रेस ने सरकार को घेरा

इस बीच, छिंदवाड़ा में इस घटना को लेकर सियासत भी गर्मा गई है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी सोमवार सुबह परासिया पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।

उन्होंने कहा स्वास्थ्य मंत्री, कमिश्नर और ड्रग कंट्रोलर को इस्तीफा देना चाहिए। सरकार है या सर्कस? मुख्यमंत्री बच्चों की मौत की कालिख पोंछने आए हैं।

पटवारी ने घटना को लेकर राज्य सरकार पर लापरवाही और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अनशन पर बैठ गए।

3 दिनों में एक के बाद एक सख्त कदम

  • 4 अक्टूबर : रात 10 बजे बीएमओ डॉ. अंकित सल्लाम ने परासिया थाने में डॉ. प्रवीण सोनी और श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी (कांचीपुरम, तमिलनाडु) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
  • 5 अक्टूबर : रात 1.30 बजे छिंदवाड़ा के कोतवाली थाना क्षेत्र के राजपाल चौक से डॉ. प्रवीण सोनी को स्पेशल पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया।
  • 6 अक्टूबर : मध्यप्रदेश के ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटा दिया। वहीं खाद्य एवं औषधि प्रशासन के उपसंचालक शोभित कोष्टा, छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा और जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर शरद जैन सस्पेंड कर दिया।
  • 6 अक्टूबर: डॉ. प्रवीण सोनी का अपना मेडिकल स्टोर्स का ड्रग लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। इसे उनकी पत्नी ज्योति सोनी संचालित करती थी।
  • 6 अक्टूबर: डॉ. प्रवीण सोनी को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। जमानत खारिज होने पर उन्हें छिंदवाड़ा जेल भेज दिया है।

डॉक्टर का मेडिकल स्टोर सील, लाइसेंस निरस्त

स्वास्थ्य विभाग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए “अपना मेडिकल स्टोर्स” का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। यह दुकान डॉ. प्रवीण सोनी की पत्नी ज्योति सोनी के नाम पर थी।

औषधि निरीक्षक दल ने 3 अक्टूबर को जब दुकान की जांच की तो कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं कि कोल्ड्रिफ सिरप का रिकॉर्ड अधूरा था।

रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में दवा बेची जा रही थी, विक्रय बिल प्रस्तुत नहीं किए गए और दवा विक्रय के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया।

इसके बाद लाइसेंस को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमावली 1945 की धारा 66(1) के तहत निरस्त किया गया।

https://x.com/healthminmp/status/1975158299726344402

डायएथिलिन ग्लायकॉल बना मौत का कारण

जांच रिपोर्ट में सामने आया कि कोल्ड्रिफ सिरप में 46.2% डायएथिलिन ग्लायकॉल (DEG) पाया गया।

यही रसायन बच्चों की किडनी फेलियर और मौत का मुख्य कारण माना जा रहा है। DEG एक अत्यंत जहरीला तत्व है, जिसे दवा में मिलाना सख्त वर्जित है।

स्वास्थ्य विभाग ने इस आधार पर डॉ. प्रवीण सोनी और श्रेशन फार्मास्युटिकल कंपनी के खिलाफ 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा वाले प्रावधान के तहत मामला दर्ज किया है।

तमिलनाडु की फैक्ट्री पर भी शिकंजा

CM मोहन यादव ने बताया कि यह सिरप तमिलनाडु की श्रेशन फार्मास्युटिकल कंपनी में तैयार हुआ था, और वहां की सरकार ने फैक्ट्री पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

जांच में पाया गया कि फैक्ट्री में दवा निर्माण की प्रक्रिया मानक गुणवत्ता से बहुत नीचे थी।

सीएम ने निर्देश दिया है कि सभी दवा फैक्ट्रियों की रैंडम जांच की जाए — चाहे वे किसी भी राज्य में हों। उन्होंने कहा कि किसी कंपनी की प्रतिष्ठा नहीं, बच्चों की जान सबसे पहले है।

बच्चों की मौत का आंकड़ा 16 पहुंचा

पिछले 33 दिनों में परासिया विधानसभा क्षेत्र में 11 बच्चों की, जबकि पूरे जिले में 14 से 16 बच्चों की मौत दर्ज की गई है।

सभी मामलों में बच्चों की मौत का कारण किडनी फेल होना बताया गया।

इन सभी ने इलाज के दौरान या बाद में कोल्ड्रिफ सिरप का सेवन किया था, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सिरप ही मौत का कारण बना।

बैतूल जिले में भी दो बच्चों की मौत को कोल्ड्रिफ सिरप से जोड़ा जा रहा है।

परिजनों का कहना है कि उन्होंने भी डॉ. सोनी से इलाज कराया था,और सिरप देने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ गई।

एक बच्चे को नागपुर से भोपाल रेफर किया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

अब पूरे सिस्टम पर उठ रहे सवाल

यह मामला अब सिर्फ एक डॉक्टर या कंपनी का नहीं रह गया है।

सवाल यह है कि मेडिकल स्टोर्स और ड्रग लाइसेंस की निगरानी व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों है कि एक जहरीली दवा बच्चों तक पहुंच गई?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य के ड्रग टेस्टिंग सिस्टम और निरीक्षण प्रक्रिया की तत्काल समीक्षा जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई Coldrif जैसा “मौत का सिरप” फिर बाजार में न पहुंचे।

फिलहाल, छिंदवाड़ा और बैतूल के मासूमों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। मुख्यमंत्री के एक्शन से यह साफ है कि सरकार सख्त कदम उठाने के मूड में है।

लेकिन असली सुधार तभी होगा जब दवा निर्माण, वितरण और निरीक्षण की हर कड़ी में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।

 

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