Devendra pratap singh

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भाजपा सांसद ने किया रायपुर SSP ऑफिस पर कब्जा

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पहले मांगो, न मिले तो कब्ज़ा कर लो। इसी कहावत की तर्ज पर राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने रायपुर SSP ऑफिस के लिए अलॉट बंगले पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने बंगले में ताला जड़कर 6 जगहों पर अपने नाम की नेमप्लेट भी लगा दी है। जिससे किसी पुलिस वाले को शक न हो। इतना ही नहीं बंगले का नाम भी बस्तर बाड़ा से बदलकर रायगढ़ बाड़ा कर दिया गया है।

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रायपुर। पूरा मामला कुछ इस तरह है कि सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने रायपुर सिविल लाइन के लिए एक बंगला जिसे पहले बस्तर बाड़ा कहा जाता था की डिमांड मुख्यमंत्री से की थी। इसके जवाब में 24 अगस्त 2024 को बाकायदा सीएम हाउस से नोटशीट भी भेजी गई थी। लेकिन गृह विभाग ने बंगला देने की जगह उसे SSP ऑफिस के लिए अलॉट कर दिया।

मोहन मरकाम को मिला था यह बंगला

असल में यह बंगला पहले भूपेश सरकार में कांग्रेस अध्यक्ष रहे मोहन मरकाम को मिला था। तब इस बंगले का नाम बस्तर बाड़ा था, लेकिन उन्होंने 2024 में यह बंगला खाली कर दिया। फिर 30 जनवरी 2025 को गृह विभाग ने इसे SSP ऑफिस के लिए अलॉट किया। PWD ने मरम्मत भी करवा दी। रंग-रोगन भी हो गया। लेकिन जैसे ही काम खत्म हुआ सांसद ने बंगले पर कब्जा कर लिया।

सांसद ने कहा कि, सीएम हाउस से मेरे लिए अनुशंसा हुई है, मैं खाली नहीं करूंगा। PWD और जिला प्रशासन इस बंगले को SSP ऑफिस शिफ्ट करने के लिए पिछले दो साल से मशक्कत कर रहे हैं। इस दौरान 6 बार चिट्ठी-पत्री हो चुकी है, लेकिन सांसद इस बात के लिए नहीं माने। न बंगला छोड़ने के मूड में हैं।

इसलिए नाराज हैं सांसद

राज्यसभा सांसद देवेन्द्र प्रताप सिंह ने इसी बी-5 बंगले के लिए मुख्यमंत्री से डिमांड की थी। जिसके बाद हाउस से उनके ओएसडी ने एक नोटशीट भी 27 अगस्त 2024 को चलाई थी। लेकिन गृह विभाग ने बंगले का आवंटन एसएसपी कार्यालय को कर दिया। यही सांसद की नाराजगी की वजह बना।

बंगले के लिए लड़ रहे कोई तालमेल नहीं

इस मामले में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि, सरकार और प्रशासन के बीच तालमेल नहीं है। नेताओं के बीच मतभेद की स्थिति दिख रही है। अपनी ही सरकार में इनको बंगले के लिए जूझना पड़ रहा है। किसी को बंगला नहीं मल रहा और किसी को खाली कराने कह रहे हैं। भगत ने कहा कि हमारी सरकार थी तो कहीं कोई दिक्कत नहीं थी।

इस मामले को लेकर डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि, हाउस अलॉटमेंट का काम गृह विभाग का होता है। लेकिन इस मामले में क्या परिस्थिति है, जिसे संज्ञान में लेने के बाद ही कुछ कहना ठीक होगा।

 

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