Voter Adhikar Yatra

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तीन भाई… तीनों तबाही: बिहार वोटर अधिकार यात्रा में अखिलेश को उतारने के पीछे ये है राहुल-तेजस्वी का प्लान

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Voter Adhikar Yatra: बिहार में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से निकाली गई वोटर अधिकार यात्रा शनिवार को अपने 14वें दिन भोजपुर पहुंची।

यह यात्रा विपक्षी दलों की साझा रणनीति का हिस्सा है, जिसमें जनता के बीच जाकर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाया जा रहा है।

भोजपुर में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का स्वागत परंपरागत लौंडा नाच से किया गया।

इस दौरान राहुल गांधी ने छात्रों से मुलाकात की और बच्चों को चॉकलेट बांटी।

यात्रा में आज समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव और लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य भी शामिल हुए।

इनके अलावा माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी कारवां का हिस्सा बने।

भोजपुर की धरती पर यह संगम विपक्षी एकजुटता का बड़ा संदेश देता नजर आया।

छात्रों और एथलीट से मुलाकात

भोजपुर पहुंचने से पहले ही यात्रा ने जनसंपर्क का रंग जमा दिया था।

राहुल गांधी ने यहां स्कूल के छात्रों से मुलाकात की, हाथ मिलाया और बच्चों को चॉकलेट भी बांटी।

यात्रा के दौरान एथलीट राजा यादव भी राहुल और तेजस्वी से मिले।

दोनों नेताओं ने उन्हें बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

साथ ही भरोसा दिलाया कि सरकार बनने पर खेल और खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जाएगी।

तेजस्वी का भाजपा पर हमला

यात्रा शुरू होने से पहले पटना से निकलते समय तेजस्वी यादव ने भाजपा पर करारा हमला बोला।

उन्होंने कहा कि भाजपा हिंसक विचारधारा की पार्टी है।

गोडसे इनके पूर्वज हैं, जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की।

इनकी पार्टी में रेपिस्ट और भ्रष्टाचारी शामिल हैं।

तेजस्वी के इस बयान ने यात्रा की राजनीतिक धार को और पैना बना दिया।

अखिलेश की एंट्री से बड़ा संदेश

इस यात्रा की सबसे बड़ी खासियत रही अखिलेश यादव की मौजूदगी।

पटना से रवाना होकर अखिलेश सीधे सीवान पहुंचे और फिर भोजपुर तक यात्रा में राहुल और तेजस्वी के साथ रहे।

अखिलेश यादव ने तेजस्वी को गले लगाकर विपक्षी एकता का प्रदर्शन किया।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अखिलेश की एंट्री महज प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी चुनावी रणनीति है।

दरअसल, भोजपुर, सारण और सीवान जिले उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे हुए हैं।

इन जिलों की भाषा, संस्कृति और सामाजिक रिश्ते यूपी से जुड़े हुए हैं।

यही वजह है कि अखिलेश को सीमावर्ती इलाके में उतारा गया, ताकि यूपी के राजनीतिक समीकरण का असर बिहार में भी दिखे।

पीडीए समीकरण, ब्राह्मण वोटों पर भी नजर

अखिलेश की मौजूदगी को सिर्फ मुस्लिम-यादव (एम-वाई) समीकरण के विस्तार तक सीमित नहीं माना जा रहा।

महागठबंधन की कोशिश है कि इस समीकरण को पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) के रूप में बदला जाए।

अखिलेश यूपी में इसी पीडीए फॉर्मूले पर राजनीति कर रहे हैं और बिहार में भी इसका विस्तार करने की योजना दिखाई देती है।

सिर्फ पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोट ही नहीं, बल्कि अखिलेश की एंट्री से ब्राह्मण वोटरों को साधने की भी कोशिश हो रही है।

बलिया जिले की बैरिया विधानसभा सीट, जो बिहार के सीवान-सारण-भोजपुर से सटी है।

सपा के बड़े ब्राह्मण चेहरे और छोटे लोहिया कहलाए जाने वाले जनेश्वर मिश्रा का इलाका रहा है।

यही वजह है कि महागठबंधन ने अखिलेश को यहां उतारकर ब्राह्मण वोटरों को भी साधने का संकेत दिया है।

2020 के प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश

महागठबंधन का मकसद इन इलाकों में 2020 के विधानसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराना है।

उस चुनाव में महागठबंधन ने सीवान जिले की 8 में से 6 सीटों पर, सारण की 10 में से 7 सीटों पर और भोजपुर की 7 में से 5 सीटों पर जीत हासिल की थी।

हालांकि लालू यादव का गृह जिला गोपालगंज महागठबंधन के लिए कमजोर साबित हुआ था, जहां 6 में से 4 सीटों पर हार मिली थी।

इस बार राहुल और तेजस्वी की योजना है कि गोपालगंज समेत इन सीमावर्ती इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की जाए।

यात्रा का माइक्रो मैनेजमेंट

वोटर अधिकार यात्रा सिर्फ एक सांकेतिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी माइक्रो मैनेजमेंट की झलक है।

मिथिलांचल में प्रियंका गांधी को उतारा गया, जहां बीजेपी का मजबूत आधार है।

तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को भी मिथिलांचल में बुलाया गया, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में लोग रोज़गार के लिए दक्षिण भारत जाते हैं।

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को गोपालगंज से जोड़ा गया, क्योंकि यहां से बेंगलुरु जाने वाले युवाओं की संख्या अधिक है।

और अब सीमावर्ती जिलों में अखिलेश यादव को उतारा गया है, ताकि यूपी से सटे इलाकों में विपक्षी एकता का असर दिखे।

यह रणनीति दर्शाती है कि महागठबंधन इस बार चुनावी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।

यात्रा से लोकतंत्र बचाने का संदेश

यात्रा का मकसद सिर्फ वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा उठाना नहीं, बल्कि जनता को यह विश्वास दिलाना भी है कि विपक्ष उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है।

राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब हर नागरिक का वोट दर्ज होगा और गिनती में आएगा।

तेजस्वी यादव का जोर है कि बिहार में बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा साजिश रच रही है।

वहीं अखिलेश यादव की मौजूदगी ने यह संदेश दिया कि बिहार और यूपी का विपक्ष अब साथ मिलकर लड़ाई लड़ने को तैयार है।

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