Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी हैं।
चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान की घोषणा कर दी है।
पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर 2025 को होगा।
इसके साथ ही राज्य का राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया है।
तीन चेहरे—मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, RJD नेता तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर (PK)—इस चुनाव में मुख्य मुकाबले के केंद्र में हैं।
हर पार्टी और नेता अपने-अपने दावे मजबूत करने में जुटा है।
तेजस्वी यादव: युवा वोट बैंक और परिवर्तन का नैरेटिव
हालिया ओपिनियन पोल्स में यह बात सामने आई है कि तेजस्वी यादव इस समय ‘सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री चेहरा’ के रूप में उभरकर सामने आए हैं।
युवा मतदाता, रोजगार और सरकारी नौकरी के मुद्दों के चलते तेजस्वी की लोकप्रियता लगातार ऊपर गई है।
महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वामदलों) की ओर से तेजस्वी को मुख्य चेहरा भी घोषित कर दिया गया है।
सामाजिक समीकरण और मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक महागठबंधन की सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है।
एक सर्वे के अनुसार, महागठबंधन को 118 से 126 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है, जो बहुमत के करीब है।
इस अनुमान ने तेजस्वी की टीम में नए उत्साह का संचार किया है।
हालांकि, सीटिंग प्रत्याशियों की छवि, स्थानीय समीकरण और छोटे दलों की भूमिका इस आंकड़े को बदल भी सकती है।
नीतीश कुमार: अनुभव, गठबंधन राजनीति और स्थिरता
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ फिर से मैदान में हैं। एनडीए की ओर से उनका नेतृत्व और भाजपा की मजबूत संगठनात्मक मशीनरी चुनाव में बड़ा फैक्टर माना जा रहा है।
नीतीश के पास ‘अनुभव’ और ‘सुशासन का रिकॉर्ड’ दिखाने का आधार है, लेकिन बार-बार गठबंधन बदलने की छवि ने उनके खिलाफ एक ‘अनिश्चितता’ वाली धारणा भी पैदा की है।
एक अन्य सर्वे में बिल्कुल उलट तस्वीर दिखती है, जिसमें एनडीए को 131 से 150 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
इस सर्वे में भाजपा को 66-77 सीटें और जेडीयू को 52-58 सीटें मिलने का अनुमान है।
यदि यह आंकड़ा जमीनी स्तर पर सही साबित होता है तो नीतीश + भाजपा गठबंधन फिर से सत्ता में आ सकता है।
प्रशांत किशोर: नया समीकरण, नई जमीनी पैठ
चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने जन सुराज पार्टी प्रमुख प्रशांत किशोर इस चुनाव में पहली बार गंभीर चुनौती पेश कर रहे हैं।
उनकी जन सुराज यात्रा के दौरान गांव-गांव में की गई बातचीत ने उन्हें ग्राउंड लेवल पर पहचान दी है।
हालांकि, सीटों के लिहाज से अभी उनकी पार्टी मजबूत स्थिति में नहीं दिखती, लेकिन किसान-युवा-मध्यमवर्ग में बढ़ती स्वीकार्यता उन्हें किंगमेकर की भूमिका में ला सकती है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि पीके यदि 8-12 सीटें भी निकाल लेते हैं, तो वे सरकार बनने की दिशा मोड़ सकते हैं।
जनता का मूड बदल रहा है
फरवरी से सितंबर तक हुए सर्वे बताते हैं कि तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ी है।
नीतीश का अनुभव अभी भी मजबूत आधार है और प्रशांत किशोर का प्रभाव नए वोटरों में बढ़ा है।
बिहार में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है। तेजस्वी बदलाव का चेहरा…
नीतीश स्थिर शासन का दावा और प्रशांत किशोर नई राजनीति का विकल्प।
अब फैसला 243 सीटों में मतदाताओं के हाथ है। बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 है।
चुनाव नतीजे यह तय करेंगे कि बिहार अनुभव को चुनेगा या नया नेतृत्व या फिर तीसरा रास्ता सत्ता की दिशा बदल देगा।
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