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नई दुनिया समूह को श्रम न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ के स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के तहत संगठित पत्रकारों ने अखबार समूह के खिलाफ वेतन भुगतान में गड़बड़ी और शोषण के मामले में श्रम न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्हें निर्णायक जीत मिली है।
यह मामला 2018 से चल रहा था, जब पूर्व न्यूज एडिटर संजय चंदेल ने मजीठिया आयोग के तहत अपने बकाया वेतन के लिए मामला दायर किया था। श्रम न्यायालय ने इस मामले में 11.63 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश पारित किया है। यह आदेश नवंबर 2024 में आया, जो नई दुनिया समूह के लिए एक बड़े कानूनी झटके के रूप में सामने आया।
यह निर्णय सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा में एक अहम मील का पत्थर है। इस फैसले के बाद, जागरण समूह को अन्य श्रम मामलों में भी झटका लगा है। महंगे वकीलों के खर्च के बावजूद, न्यायालय ने कंपनी को अपनी अवमानना का दोषी पाया। खासकर तबादलों के दो मामलों में जब कर्मचारियों ने मजीठिया आयोग के तहत अपने बकाया वेतन की मांग की, तो उन्हें जम्मू और पानीपत जैसे स्थानों पर तबादला कर दिया गया। श्रम न्यायालय ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और मामले की अवमानना के आरोप में कार्रवाई की चेतावनी दी।
इन फैसलों ने साफ कर दिया है कि श्रम न्यायालय मीडिया संस्थानों के द्वारा किए जा रहे शोषण और अन्याय के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। यह पत्रकारों के अधिकारों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण जीत है, जो साबित करती है कि श्रम न्यायालय कार्यस्थल पर निष्पक्षता और न्याय की गारंटी देने में सक्रिय है।
नई दुनिया जैसे बड़े मीडिया समूह को यह फैसला एक चेतावनी है कि वे अपने कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन करने से बचें और श्रम कानूनों का पालन करें। इस प्रकार की जीतें न केवल पत्रकारों के लिए, बल्कि सभी श्रमिकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनती हैं, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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