पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले के सभी 9 आरोपी

पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले के सभी 9 आरोपी

पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में सभी 9 आरोपियों को उम्रकैद की सजा

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तमिलनाडु के पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में 6 साल की कानूनी कार्यवाही के बाद, महिला विशेष अदालत ने सभी नौ आरोपियों को दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई। 2019 में एक कॉलेज छात्रा सहित कम से कम 9 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न, ब्लैकमेल और धमकी का आरोप लगाया था। पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में सभी 9 आरोपियों को उम्रकैद की सजा

पोल्लाची यौन उत्पीड़न केस में सजा

Court pronounced sentence in Pollachi sexual harassment case-तमिलनाडु (Tamilnadu) के पोल्लाची यौन शोषण अत्याचार मामले में आज कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, सभी पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा। यह वही मामला है, जिसमें कोयंबटूर की एक महिला विशेष अदालत ने सभी नौ आरोपियों को दोषी पाया। साल 2019 के इस मामले में पुरुषों का एक गिरोह शामिल था, जो महिलाओं को झूठी दोस्ती में फंसाकर उनका यौन शोषण और ब्लैकमेल करता था।

महिला अदालत की अध्यक्षता कर रहीं जस्टिस नंदिनी देवी ने सभी नौ दोषियों – 32 वर्षीय एन. सबरीराजन उर्फ ​​रिशवंत; मक्किनमपट्टी के 34 वर्षीय के. थिरुनावुक्कारासु; सुलेस्वरनपट्टी के 33 वर्षीय एम. सतीश, 30 वर्षीय टी. वसंतकुमार; अचीपट्टी के 32 वर्षीय आर. मणि उर्फ ​​मणिवन्नन; महालिंगपुरम के 33 वर्षीय पी. बाबू; अचीपट्टी के 32 वर्षीय टी. हारोनिमस पॉल; वडुगपालयम के 39 वर्षीय के. अरुलानन्थम; और पणिक्कमपट्टी के 33 वर्षीय एम. अरुणकुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यद् दिला दें कि देश को झकझोर देने वाले सनसनीखेज मामले में 2019 में गिरफ्तारी के बाद से वे सलेम सेंट्रल जेल में हैं।

 हुआ था बड़ा आक्रोश

यौन उत्पीड़न का यह मामला शुरू में एक पीड़ित द्वारा चोरी की शिकायत के बाद लाइमलाइट में आया था। जांच के दौरान पता चला कि यौन शोषण का एक बड़ा संगठित मामला चल रहा था। इस मामले ने तमिलनाडु में बड़ा आक्रोश पैदा कर दिया। जिसके बाद तत्कालीन सत्तारूढ़ अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) पर विरोध और राजनीतिक गर्माहट फैल गई।

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर इंसाफ और महिलाओं की सिक्योरिटी के लिए सुधार की मांग की थी।

200 से ज्यादा दस्तावेज और 400 इलेक्ट्रॉनिक सबूत

मुकदमे के दौरान 200 से ज्यादा दस्तावेज और 400 इलेक्ट्रॉनिक सबूत पेश किए गए, जिनमें ब्लैकमेलिंक के फोरेंसिक-मान्यता प्राप्त वीडियो भी शामिल थे। सरकारी वकील ने कहा, “डिजिटल सबूतों से समर्थित पीड़ितों की गवाही अहम थी। कोई भी गवाह मुकर नहीं गया और गवाह संरक्षण अधिनियम ने उनकी पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित की। ”

महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने दोषियों को मिली सजा का स्वागत करते हुए एक व्यवस्थित अनुवर्ती कार्रवाई की मांग की। तमिलनाडु महिला संगठन की एक सदस्य ने कहा, “यह फैसला राहत की बात है, लेकिन पीड़ितों को अपने जीवन को फिर से शुरू करने के लिए मुआवजे, परामर्श और सरकारी नौकरी के आश्वासन की आवश्यकता है। ”

क्या है पोलाची मामला

2019 में पोलाची मामले के सामने आने पर एक कॉलेज छात्रा सहित कम से कम आठ महिलाओं के साथ शोषण का एक खौफनाक पैटर्न उजागर हुआ था। 2016 से 2018 के बीच पीड़ितों का यौन शोषण किया गया था और उनका वीडियो बनाया गया और यौन संबंधों और पैसे के लिए उन्हें ब्लैकमेल किया गया था।

इस मामले की जांच के दौरान नौ लोगों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कठोर धाराओं के तहत आरोप लगाए गए, जिनमें बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, एक ही पीड़िता के साथ बार-बार बलात्कार, आपराधिक षड्यंत्र, यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि दोषियों ने यौन उत्पीड़न की अपनी हरकतों का वीडियो बनाया और फुटेज का इस्तेमाल पीड़ितों को शोषण जारी रखने के लिए मजबूर करने में किया था।

शुरुआत में मामले की जांच पोलाची पुलिस कर रही थी लेकिन निष्पक्ष जांच की मांग के चलते इसे तमिलनाडु अपराध शाखा-आपराधिक जांच विभाई (सीबी-सीआईडी) और बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा गया था।

CBI की दी गई थी जांच की जिम्मेदारी

आपराधिक जांच विभाग द्वारा की गई जांच को बाद में बढ़ते दबाव के बाद सीबीआई को सौंप दिया गया। पूरे मुकदमे के दौरान सरकारी वकील ने 50 से ज़्यादा गवाह, 200 से ज़्यादा डॉक्यूमेंट्स और 400 डिजिटल सबूत पेश किए। आठ जिंदा बचे लोग गवाही देने के लिए अदालत के सामने पेश हुए और अभियुक्तों ने 50 सवालों के लिखित जवाब दिए।

सरकारी वकील सुरेंद्र मोहन ने फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए अदालत के फैसले की पुष्टि की और अभियोजन पक्ष की दलीलों की गंभीरता को जोर किया।

उन्होंने कहा, “पोल्लाची यौन शोषण मामले में फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने सभी नौ आरोपियों को दोषी ठहराया है। उन्होंने अपनी उम्र और अपने माता-पिता की वृद्धावस्था का हवाला देते हुए नरमी बरतने की मांग की। हालांकि, हमने तर्क दिया कि यह महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों से जुड़ा एक बहुत ही दुर्लभ मामला है और हमने अधिकतम सजा की मांग की है। “

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