सांवेर में दुश्मन का दुश्मन दोस्त !

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विधानसभा उपचुनाव 2020–24 सीटों पर कांग्रेस का ‘कांग्रेस’ से मुकाबला, सांवेर में तुलसी सिलावट को सोनकर परिवार तो प्रेमचंद गुड्डू को अपने ही कोंग्रेसियों से डर

 

इंदौर। 24 सीटों पर उपचुनाव होना है। इसमें इंदौर से लगे सांवेर की कहानी बेहद अलग है। कमलनाथ सरकार में कद्दावर मंत्री रहे तुलसीराम सिलावट ने सिंधिया के इशारे पर कांग्रेस छोड़ी तो सांवेर विधायक विहीन हो गया। पिछले चुनाव में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में गए प्रेमचंद गुड्डू अब फिर कांग्रेस में हैं। उप चुनाव में गुड्डू और तुलसी के बीच टक्कर होने की सम्भावना है। इस तरह से सांवेर के रण में इस बार कांग्रेस का ‘कांग्रेस’ से मुकाबला होगा। जनता के सामने अब दो पुराने कांग्रेसियों में से एक को चुनने की चुनौती रहेगी।

सांवेर में दोनों प्रत्याशियों को अपने ही पार्टी के नेताओं से भितरघात का खतरा है। ऐसा शायद दूसरी किसी सीट पर नहीं है। भाजपा की तरफ से यहां सोनकर परिवार का वर्चस्व रहा है। ऐसे में पूर्व विधायक राजेश सोनकर और प्रकाश सोनकर का कुनबा कितना सहयोग करेगा तुलसी सिलावट का ये देखना होगा। तुलसी और सोनकर परिवार के बीच शुरुवाती दौर का चुनाव हिंसक भी रहा है। इधर कांग्रेस में जीतू पटवारी और प्रेमचंद गुड्डू के बीच एक बड़ी दरार है। ऐसे में जीतू पटवारी का सहयोग कितना मिलेगा इस पर भी सवाल है।

तकदीर लिखता है खाती समाज

सांवेर विधानसभा में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां खाती समाज के वोट निर्णायक साबित होते हैं। खाती बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र में राजपूत और एससी-एसटी वोट भी परिणाम बदलने का माद्दा रखते हैं। जहां तक ब्राह्मण वोटों का ताल्लुक है तो वे यहां तकरीबन सात हजार की तादाद में हैं। इस बार तकरीबन एक हजार कावडिय़ों के परिवार भी बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि जिस प्रत्याशी के पक्ष में अकेला खाती समाज बैठ जाता है उसका जीतना लगभग तय रहता है। ऐसे में जीतू पटवारी की भूमिका भी बढ़ जाती है।

बारी-बारी से जीतती आई है कांग्रेस और भाजपा

इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के सुरक्षित है। इस सीट पर कुल दो लाख साठ हजार से ज्यादा मतदाता हैं। सांवेर सीट पर कांग्रेस और भाजपा पूर्व में बारी-बारी से जीतती आईं हैं।

जितना बड़ा क्षेत्र, उतने ही सशक्त वोटर

सांवेर विधानसभा का क्षेत्रफल काफी वृहद है लेकिन इसका पसार जितना अधिक है यहां के वोटर राजनीतिक रूप से उतने ही सशक्त और एक हैं। सांवेर विधानसभा चुनाव में लगभग हर बार परंपरागत प्रत्याशी है अपना भाग्य आजमाते रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सोनकर और सिलावट परिवारों को ही टिकट बांटती रही है। वोटर भी दोनों को काम करने का मौका बारी-बारी से देते रहे हैं।

मोदी पर सिंधिया भारी पड़े थे पिछले चुनाव में

बीते चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजेश सोनकर ने सबसे ज्यादा फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में रोड नेटवर्क को जोडऩे पर रखा तो तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी तुलसी सिलावट ने किसानों से जुड़े मुद्दे लगातार उठाए और मांगों के लिए आंदोलन भी किए। तुलसी सिलावट के लिए सिंधिया सभाएं ले चुके थे। जबकि भाजपा प्रत्याशी सोनकर ताई खेमे से थे और उनके के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा ली थी लेकिन इसका भी कोई असर नहीं दिखा और सिंधिया मोदी पर भारी पड़े।

तुलसी 80 के दशक से सक्रिय तो
गुड्डू 98 में जीते थे

सीट सांवेर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस में रहते हुए तुलसीराम सिलावट 80 के दशक से सक्रिय राजनीति कर रहे हैं। जबकि  प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस के टिकट पर 1998 में विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में जब उन्हें टिकिट नहीं मिलने का अंदेशा हुआ तो भाजपा में चले गए लेकिन अब उपचुनाव के लिए गुड्डू ने फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।

वर्षों से है नर्मदा जल का मुद्दा

सांवेर विधानसभा क्षेत्र में नर्मदा के पानी का मुद्दा वर्षों से जिंदा है, लेकिन नलों से नर्मदा दूर है। दूषित खान नदी के कारण बोरिंगों में भी गंदा पानी आता है।

 

कब कौन जीता
1990 प्रकाश सोनकर भारतीय जनता पार्टी
1993 प्रकाश सोनकर भारतीय जनता पार्टी
1998 प्रेमचन्द गुड्डू कांग्रेस
2003 प्रकाश सोनकर भारतीय जनता पार्टी
2008 तुलसीराम सिलावट कांग्रेस
2013 राजेश सोनकर भारतीय जनता पार्टी
2018 तुलसीराम सिलावट कांग्रेस

सांवेर विधानसभा सीट मतदाताओं की स्थिति
पुरुष मतदाता 133879
महिला मतदाता 126472
कुल मतदाता 260357

 

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