Politicswala Special Report
भोपाल/दिल्ली / लोकसभा चुनाव की सूची आने लगी है। बीजेपी ने अपने पंख फैला लिए हैं। कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडी #INDIA के अल्फाबेट प्रतिदिन टूट रहे। ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, राष्ट्रीय लोकदल पहले ही इससे बाहर आ गए हैं। मुस्लिम वोट के भरोसे बैठे इस गठबंधन को इस फ्रंट पर भी तगड़ी मुश्किलआनी हैं। प्रमुख ओवैसी ने मैदान में खिलाफत की ताल ठोंक दी हैं। वे सीधे -सीधे बीजेपी की जीत को आसान करेंगे।
एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने उत्तरप्रदेश, बिहार ,महाराष्ट्र, में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ओवैसी की पार्टी उत्तरप्रदेश में 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 2019 में ओवैसी ने इस राज्य से एक भी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा था। इसी तरह बिहार में भी ओवैसी सात सीटों पर लड़ने का मन बना चुके हैं।पिछले बार बिहार की एक सीट पर उनके उम्मीदवार को तीन लाख वोट मिले थे।
इसी तरह ओवैसी महाराष्ट्र में भी एंट्री करने वाले हैं। पिछली बार औरंगाबाद से उनका प्रत्याशी मैदान में था। तेलंगाना और हैदराबाद में तो वे लड़ेंगे ही। इससे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और लालू प्रसाद यादव की राष्ठ्रीय जनता दल को तगड़ा झटका लगेगा। उत्तरप्रदेश और बिहार में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट इन तीनपार्टियों के पास ही रहा है। यही इनका आधार भी रहा है।
किसी गठबंधन का हिस्सा न बनकर अलग लड़ने पर ओवैसी अडिग हैं। उनका कहना हैं वो गठबंधन कुछ चुनिंदा लोगो के लिए हैं। वो हमे नहीं पूछते। और बिहार में तो लालू की पार्टी ने हमारे चार विधायक तोड़े हैं। हम उनके साथ कैसे जाएंगे।
महाराष्ट्र में भी वे निश्चित तौर पर चुनाव लड़ेंगे। वहां पर कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी के वोट बैंक में भी ओवैसी सेंध लगाएंगे।
एक तरह से ओवैसी के इस कदम से भाजपा के चार सौ पार का टारगेट और मजबूत होगा। भाजपा के लिए ओवैसी एक मजबूत समर्थक जैसे हैं। वे भाजपा की खिलाफत करते हैं पर उनके हर कदम से हिंदूवादी वोट एकजुट होता है। अंतिम फायदा बीजेपी को ही मिलता है।