Mohammad Azharuddin

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कभी भारतीय टीम के कप्तान, अब तेलंगाना में मंत्री: मोहम्मद अजहरुद्दीन ने रेवंत रेड्डी कैबिनेट में संभाली जिम्मेदारी

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Mohammad Azharuddin: कांग्रेस के फैसले ने तेलंगाना की राजनीति में मानो नई करवट ला दी है।

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन अब तेलंगाना की राजनीति में एक नई भूमिका में नजर आएंगे।

शुक्रवार को हैदराबाद स्थित राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली।

तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी सहित कई वरिष्ठ नेता इस मौके पर मौजूद थे।

अजहरुद्दीन के शामिल होने के साथ अब रेवंत रेड्डी मंत्रिमंडल में कुल 16 मंत्री हो गए हैं, जबकि राज्य में अधिकतम 18 मंत्रियों की अनुमति है।

हालांकि अजहरुद्दीन को मंत्री बनाए जाने के इस फैसले पर अब राजनीतिक विवाद भी देखने को मिल रहा है।

तेलंगाना भाजपा ने इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए राज्य चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करवाई है।

दरअसल, हैदराबाद की जुबली हिल्स विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव होना है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 30% है।

ऐसे में भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने जानबूझकर इस समुदाय को साधने के लिए अजहरुद्दीन को मंत्री बनाया है।

क्यों माना जा रहा है यह कांग्रेस का बड़ा चुनावी दांव?

तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट में कुल 3.90 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 1.20 से 1.40 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। यह अनुपात सीधे चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है।

2023 विधानसभा चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस ने अजहरुद्दीन को टिकट दिया था, लेकिन वे तब बीआरएस उम्मीदवार मगंती गोपीनाथ से हार गए थे।

हालांकि, सरकार बनने के बाद कैबिनेट में एक भी मुस्लिम मंत्री न होने पर कांग्रेस को समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ रही थी।

ऐसे में कांग्रेस ने उपचुनाव से ठीक पहले अजहरुद्दीन को कैबिनेट में शामिल कर मुस्लिम वोट बैंक में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है।

यह कदम कांग्रेस की उस रणनीति की झलक है, जिसमें वह मुस्लिम वोटों के साथ-साथ शहरी मतदाताओं को भी एक साथ साधने की कोशिश कर रही है।

उपचुनाव में इस बार कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं

दिलचस्प यह है कि इस बार जुबली हिल्स सीट पर तीनों प्रमुख पार्टियों — कांग्रेस, भाजपा और बीआरएस — ने किसी मुस्लिम चेहरे को टिकट नहीं दिया है।

बीआरएस ने दिवंगत विधायक की पत्नी मगंती सुनीता गोपीनाथ को मैदान में उतारा है।

कांग्रेस ने वल्लाला नवीन यादव को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा की ओर से लंकला दीपक रेड्डी मुकाबले में हैं।

ऐसे में कैबिनेट में अजहरुद्दीन की एंट्री को कांग्रेस मुस्लिम समुदाय को संदेश देने की कोशिश के तौर पर देख रही है कि वह उन्हें सरकार में भागीदारी देने के लिए प्रतिबद्ध है।

राजनीति में अजहरुद्दीन की यात्रा

मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 2009 में राजनीति की पारी शुरू की थी।

कांग्रेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट से टिकट दिया और वे पहली ही बार में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।

इसके बाद 2014 में उन्हें राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से टिकट मिला, लेकिन इस बार वे हार गए।

2018 में उन्हें तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, जिसके बाद वे तेलंगाना की राजनीति में सक्रिय हो गए।

2023 के विधानसभा चुनाव में वे जुबली हिल्स से चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके।

क्रिकेट में शानदार करियर, लेकिन विवादों की छाया भी

अजहरुद्दीन भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में गिने जाते हैं।

  • 99 टेस्ट मैच — 6215 रन
  • 334 वनडे — 9378 रन

उनके नाम टेस्ट में 22 शतक और वनडे में 58 अर्धशतक दर्ज हैं।

हालांकि साल 2000 में मैच फिक्सिंग विवाद ने उनके करियर को झटका दिया।

बीसीसीआई ने उन पर लाइफटाइम बैन लगाया, जिसे 2012 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने हटा दिया।

फिलहाल, कभी भारतीय टीम के पूर्व कप्तान रहे मोहम्मद अजहरुद्दीन अब तेलंगाना सरकार का हिस्सा बन गए हैं।

हालांकि, इस पर भाजपा ने विरोध जताया है कि उपचुनाव के बीच मंत्री पद देना सीधे तौर पर मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है।

भाजपा ने चुनाव आयोग से मांग की है कि कांग्रेस सरकार के खिलाफ कार्रवाई हो।

वहीं, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह निर्णय पूरी तरह संवैधानिक है और इसमें किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं हुआ है।

 

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