Sonam Wangchuk Wife

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लेह हिंसा और सोनम वांगचुक गिरफ्तारी: SC में हेबियस कॉर्पस याचिका, पत्नी ने की तत्काल रिहाई की मांग

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Sonam Wangchuk Wife: सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अपने पति की तत्काल रिहाई की मांग की है।

उन्होंने अपने पति की हिरासत को अवैध बताते हुए हेबियस कॉर्पस याचिका दायर की।

गीतांजलि का कहना है कि वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत जेल भेजा गया, जबकि उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं।

अंगमो ने कहा कि एक हफ्ता बीत चुका है, लेकिन उन्हें सोनम की स्वास्थ्य स्थिति, उनकी हिरासत की वजह और डिटेंशन ऑर्डर की कॉपी तक नहीं मिली है।

उनके वकील सर्वम ऋतम खरे के जरिए कोर्ट में कहा गया कि वांगचुक की हिरासत कानून और संविधान के खिलाफ है।

याचिका में तुरंत रिहाई की मांग की गई है और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाए गए हैं।

हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका

सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने अपने पति की रिहाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

गीतांजलि जे अंगमो ने वांगचुक को तुरंत रिहा करने की मांग करते हुए हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका लगाई है।

हेबियस कार्पस लैटिन भाषा का शब्द है, इसका मतलब होता है- शरीर सामने लाओ

यानी किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया है, हिरासत में रखा है, तो अदालत उस व्यक्ति को तुरंत कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दे सकती है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत यह अधिकार हर नागरिक को मिला है।

कोई भी व्यक्ति, उसका परिवार/दोस्त हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकता है।

इस आदेश के बाद पुलिस को पूरी जानकारी कोर्ट के सामने रखनी होती है।

डॉ. अंगमो ने 2 अक्टूबर को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की।

उन्होंने दावा किया कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध है। वांगचुक फिलहाल जोधपुर की जेल में हैं।

उन्हें 24 सितंबर को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था।

न पति की सेहत, न ही गिरफ्तारी की वजह पता

गीतांजलि जे अंगमो ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा- आज एक हफ्ता हो गया है।

मुझे सोनम की सेहत, उनकी हालत और नजरबंदी के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लेह जिला कलेक्टर को पत्र लिखा।

अंगमो ने वकील सर्वम ऋतम खरे के जरिए दायर याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी और सोनम की बिना शर्त रिहाई की मांग की।

गीतांजलि ने कहा वांगचुक को शांत कराने के लिए पिछले महीने से विच हंट शुरू किया गया है।

उनका आरोप है कि वांगचुक कभी किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते, अपने राष्ट्र की तो बात ही छोड़ दें।

अंगमो ने वांगचुक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया है।

अंगमो का आरोप है कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की कॉपी नहीं मिली है, जो नियमों का उल्लंघन है।

पत्नी का सवाल: क्या भारत वाकई आज़ाद है?

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी गीतांजलि जे अंगमो की तीन प्रतिक्रियाएं सामने आ चुकी हैं।

2 अक्टूबर को गीतांजलि ने X पर लिखा- क्या भारत सचमुच आजाद है? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या नागरिक अधिकारों का हनन और प्रशासनिक अत्याचार लोकतंत्र के लिए सही हैं।

1857 में 24,000 अंग्रेजों ने महारानी के आदेश पर 30 करोड़ भारतीयों पर अत्याचार करने के लिए 1.35 लाख भारतीय सिपाहियों का इस्तेमाल किया था।

आज, गृह मंत्रालय के आदेश पर एक दर्जन प्रशासक 2400 लद्दाखी पुलिस का दुरुपयोग करके 3 लाख लद्दाखियों पर अत्याचार और अत्याचार कर रहे हैं।

अंगमो ने केंद्र सरकार की आलोचना कर लद्दाख की मौजूदा स्थिति की तुलना ब्रिटिश भारत से की। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय लद्दाख पुलिस का दुरुपयोग कर रहा है।

1 अक्टूबर को गीतांजलि ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेटर लिखा- राष्ट्रपति एक आदिवासी होने के चलते लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझें।

यह लेटर PM नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजा। अंगमो ने सोनम वांगचुक की बिना शर्त रिहाई की मांग की।

28 सितंबर को अंगमो ने कहा- वांगचुक ने हमेशा गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन किया है। 24 सितंबर की हिंसा के लिए CRPF जिम्मेदार हैं।

सोनम की पाकिस्तान की यात्राएं जलवायु परिवर्तन से जुड़ी थीं। हम संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में गए थे। हिमालय के ग्लेशियर के पानी में हम भारत-पाकिस्तान नहीं देखते।

उद्धव ठाकरे ने की केंद्र सरकार की आलोचना

शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार की आलोचना कर कहा- देश में अधिकारों और न्याय के लिए लड़ना अब देशद्रोह हो गया है।

वांगचुक देशद्रोही नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उनपर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है।

अगर वांगचुक को इसके लिए गिरफ्तार किया जा सकता है, तो नवाज शरीफ से मिलने मोदी जी के जाने के बारे में आप क्या कहेंगे?

पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि वांगचुक का देश के लिए बड़ा योगदान है। उन्होंने लद्दाख में सेना के जवानों के लिए सोलर हीटेड टेंट बनाए।

पानी के लिए आइस स्तूप टेक्नोलॉजी विकसित की। अब उन्होंने लद्दाख के लिए आंदोलन शुरू किया, तो सरकार मानने को तैयार नहीं थी।

दरअसल, सोनम वांगचुक को लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद 26 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सोनम वांगचुक पर कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत आरोप लगाए गए और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया।

लेह में 9 दिन बाद कर्फ्यू में ढील, स्कूल खुले

लेह में लद्दाख प्रशासन के कर्फ्यू में ढील दिए जाने के बाद लोगों का रोजमर्रा का जीवन सामान्य हो गया है।

हालांकि, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं अब भी बंद हैं, जिससे नागरिक और मीडिया दोनों प्रभावित हैं।

दुकानों को सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खोलने की अनुमति मिली। स्कूल कई दिनों के बंद रहने के बाद फिर से खुल गए हैं।

लेह डीएम ने मिनी बसों और बाकी पब्लिक ट्रांसपोर्ट को भी 9 दिनों के बाद फिर से शुरू करने की परमिशन दे दी है।

बता दें 24 सितंबर को हुए प्रदर्शन में 4 लोगों की मौत हो गई थी। लद्दाख प्रशासन ने हिंसा की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया, जिसे चार हफ्ते के भीतर पूरी करनी होगी।

हिंसा के बाद गिरफ्तार 50 लोगों में से 26 को अंतरिम जमानत दी जा चुकी है। हालांकि कई अभी भी जेल में हैं।

 

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