नई दिल्ली। मणिपुर में हिंसा के मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई ने बुधवार को 53 अफसरों की टीम तैयार की है। इस टीम में 29 महिलाएं शामिल हैं। इन महिला अफसरों को देशभर के सीबीआई कार्यालयों से लिया गया है। उल्लेखनीय है कि ऐसे हिंसा के मामलों में पुलिस के डिप्टी सुपरिंटेंड्स को निगरानी अधिकारी नहीं बनाया जा सकता है, इसलिए सीबीआई ने तीन डीआईजी लवली कटियार, निर्मला देवी और मोहित गुप्ता तथा एक पुलिस सुपरिनटैंडेंट को जांच की निगरानी करने के लिए भेजा है। जॉइंट डायरेक्टर घनश्याम उपाध्याय इस पूरे जांच प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। पुलिस सुपरिनटैंडैंट राजवीर उन्हें रिपोर्ट करेंगे।
देश के कोने-कोने से बलाई गईं महिला जांच अधिकारी
अधिकारियों के मुताबिक, यह अपनी तरह का पहला मोबिलाइजेशन है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में महिला अधिकारियों को एक साथ सर्विस में तैनात किया गया है। दो अतिरिक्त महिला पुलिस सुपरिनटेंडेंट्स और छह महिला डिप्टी सुपरिनटेंडेंट्स भी इस टीम का हिस्सा हैं। इसके अलावा 16 इंस्पेक्टर और 10 सब-इंस्टपेक्टर्स इस टीम का हिस्सा होंगे। महिला अफसरों की संख्या ज्यादा होने से महिलाओं और बच्चों से जुड़े अफराधों की ज्यादा सूक्ष्मता के साथ जांच की जा सकेगी। कदाचित इसी वजह से जांच टीम में ज्यादा महिला अफसरों को स्थान दिया गया है।
जांच में स्थानीय अफसरों को शामिल नहीं करेगी सीबीआई
मणिपुर के कई जिलों में सुरक्षाबलों ने छापेमारी की। इसमें सुरक्षाबलों को 8 हथियार, गोलियों के 112 राउंड और छह विस्फोटक बरामद हुए। ये हथियार बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, तेंगनोउपाल, कांगपोकपी और इंफाल पूर्व जिलों से मिले हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जब किसी राज्य में हिंसा से जुड़े कई मामलों को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाता है, तो एजेंसी जनशक्ति मुहैया करवाने के लिए उसी राज्य पर आश्रित रहती है। लेकिन मणिपुर के मामलों की जांच में सीबीआई स्थानीय अफसरों को शामिल नहीं करना चाहती। ऐसा इस लिए ताकि उस पर जांच में पक्षपात के आरोप न लगें।
हिंसा से जुड़े 17 मामलों की जांच सीबीआई करेगी
सूत्रों के अनुसार सीबीआई जिन मामलों की जांच कर रही है, उनमें से कई मामलों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 का प्रावधान शामिल हो सकता है, जिसकी जांच डिप्टी सुपरिनटेंडेंट रैंक का कोई अधिकारी करेगा। सीबीआई को मणिपुर हिंसा से 17 मामले जांच के लिए सौंपे गए हैं। सीबीआई ने अब तक 8 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें मणिपुर में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित दो मामले भी शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि सीबीआई के पास और केस भी आ सकते हैं। इसमें खासकर महिलाओं के साथ हुए उत्पीड़न, कुकी महिला के वायरल वीडियो के मामले शामिल होंगे। इसके अलावा 9 अगस्त को मैतेई महिला से गैंगरेप का मामला सामने आया था। इसकी जांच भी सीबीआई को दी जा सकती है।
हिंसा में 160 से ज्यादा हो चुकी हैं मौतें
दरअसल, राज्य में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से जारी हिंसा में 160 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि मणिपुर में 6523 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से 11 केस महिलाओं और बच्चों की हिंसा से जुड़े हैं। अधिकारियों ने कहा कि राज्य में समाज जातीय आधार पर बंटा हुआ है, ऐसे में जांच एजेंसी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सीबीआई पर पक्षपात का आरोप भी लग सकता है कि वह एक समुदाय से मिली हुई है। ऐसे में बेहद गंभीरता के साथ आगे की जांच की जा रही है।
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