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केरल।
केरल के तिरुवनंतपुरम से लगातार चार बार के लोकसभा सांसद शशि थरूर इन दिनों अपनी ही पार्टी में बेचैन नजर आ रहे हैं। मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने वाले सांसद शशि थरूर पर पार्टी लाइन से हटकर बयान देने का आरोप लगा तो जवाब में थरूर ने कहा कि वो कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है तो मेरे पास भी विकल्प मौजूद है। ऐसे में साफ नजर आ रहा है कि शशि थरूर और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
शशि थरूर ने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे और केरल के सीएम पिनाराई विजयन की जमकर तारीफ की। इतना ही नहीं उन्होंने केरल में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठाए। इससे पार्टी में विवाद खड़ा हो गया। इसके बाद कांग्रेस की केरल इकाई के मुखपत्र ने शशि थरूर को नसीहत देते हुए लेख छापा था। मुखपत्र वीक्षणम डेली के द्वारा लिखा गया था कि थरूर को स्थानीय निकाय चुनाव से पहले पार्टी की उम्मीद को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए। हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को धोखा न दें। ऐसे में सवाल उठता है कि शशि थरूर क्यों नाराज है और उनकी बगावत कांग्रेस के लिए कहीं महंगी न पड़ जाए ऐसे में साफ है कि शशि थरूर और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।
मनमोहन सिंह लाए थे सियासत में
शशि थरूर को राजनीति में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह लेकर आए थे। 16 सालों से सियासत में हैं। उन्होंने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश राज्य मंत्री और मानव संसाधन राज्य मंत्री का दायित्व संभाला था। मनमोहन सिंह सरकार में शशि थरूर की अपनी सियासी अहमियत थी।
लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद से पार्टी में सियासी हाशिए पर हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह रही कि शशि थरूर एक समय गुलाम नबी आजाद के अगुवाई वाली कांग्रेस जी-23 का हिस्सा रहे हैं। कांग्रेस के जी-23 में रहते हुए थरूर ने कई बार गांधी परिवार के हाथों में पार्टी लीडरशिप रहने का सवाल उठाया था।
थरूर की कांग्रेस से नाराजगी को इन पांच प्वाइंट में समझ सकते हैं…..
कांग्रेस के चार बार के सांसद शशि थरूर इन दिनों पार्टी में साइडलाइन चल रहे हैं। न ही उनके पास कांग्रेस संगठन में कोई अहम पद है और न ही पार्टी उन्हें कोई रोल दे रही है। पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व ने अपने संगठन में कई अहम बदलाव किए हैं। जिसमें दो महासचिव नियुक्त किए हैं तो कई राज्यों के प्रभारी बदले है।
थरूर को बोलने का मौका नहीं देती कांग्रेस –
पार्टी की नारे किये जाने के मुद्दे को लेकर 18 फ़रवरी को उन्होंने राहुल गंधी से मुलाकात कर नाराजगी भी जताई थी। उन्होंने कहा था मुझे महत्वपूर्ण बहसों में बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है। मुझे इग्नोर किया जा रहा है और मैं पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर असमंजस में हूँ। राहुल गाँधी मेरी भूमिका स्पष्ट करें।
कोई ऊँचा पद नहीं
शशि थरूर 2009 से लेकर लगातार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंच रहे हैं। मनमोहन सिंह सरकार में वे विदेश मंत्री बने, लेकिन विपक्ष में रहते हुए उन्हें किसी तरह का कोई मुकाम नहीं मिला। थरूर काफी जनाकार और अच्छे वक्ता हैं और मुद्दो को मजबूत तरीके से उठाने और सरकार को घेरने का जज्बा भी रखते हैं। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया। 2014 से 2019 तक मल्लिकार्जुन खरगे को बनाए रखा तो 2019 से 2024 तक अधीर रंजन चौधरी और अब राहुल गांधी हैं। ये भी एक बड़ा मुद्दा है, उनकी नाराजगी के पीछे।
केरल में सीएम का चेहरा कोई और
शशि थरूर केरल से जीतते आ रहे हैं। वे चाहते हैं आगे साल होने वाले विधान सभा चुनाव में उन्हें सीएम का चेहरा बनाकर पेश करे। इसके लिए उन्होंने राहुल गाँधी से मुलाकात के दौरान सवाल भी किया था लेकिन पार्टी उन्हें आगे बढ़ाने के बजाय केसी वेणुगोपाल को अहमियत दे रही है। वे युवा कांग्रेस की जिम्मेदारी सम्हालने को भी तैयार थे लेकिन राहुल ने इस ऑफर पर भी आनाकानी कर दी। ऐसे में उन्हें लगता है कि पार्टी संसद की गतिविधियों में उन्हें पीछे धकेल रही है और राज्य के लिए भी उनकी कोई भूमिका तय नहीं कर रही है। इस तरह से मायूसी हाथ लगने के बाद शशि थरूर की बेचैनी बढ़ रही है।
ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस से भी छुट्टी
कांग्रेस का यह संगठन ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस थरूर का ही तैयार किया हुआ है। लेकिन उसके प्रभार पद से भी उन्हें हटा दिया गया है। राहुल गांधी के साथ मुलाकात में थरूर ने इस बात पर भी नाराजगी जतायी। खुद को वे सियासी हाशिए पर पाते हैं, जिसके चलते सियासी बेचैन हैं और खुल कर बागी तेवर अपना लिया है।
शशि थरूर की केरल के तिरुवनंतपुरम सीट से जीतकर आए हैं। उनकी हिंदू और मुस्लिम दोनों ही वोटों पर पकड़ मानी जाती है। मोदी लहर में लगातार तीन बार थरूर अपनी सीट जीतने में सफल रहे हैं, लेकिन पार्टी में उन्हें बड़ा मुकाम नहीं मिला है। केरल में अगले साल 2026 में विधानसभा चुनाव है और पिछले 9 साल से लेफ्ट का कब्जा है। राहुल गांधी के केरल से सांसद रहते हुए भी कांग्रेस राज्य की सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। ऐसे में कांग्रेस के लिए अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव काफी अहमियत रखा है। ऐसे में देखना यह है की थरूर की बगावत कांग्रेस को भरी न पद जाये।
तिरुवनंतपुरम से चार बार के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने चेतावनी दी कि अगर कांग्रेस ने अपनी अपील का विस्तार नहीं किया, तो वह केरल में लगातार तीसरी बार विपक्ष में बैठेगी। ऐसे में शशि थरूर ने जिस तरह तेवर दिखाए हैं, उसके बाद केरल कांग्रेस में भी सियासी खींचतान शुरू हो गई है।
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