क्योंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा पर काम करते हैं। किसी ने मजबूरी में गौ मांस ही क्यों न खाया हो, किसी कारण से वे चले गए तो दरवाजा बंद नहीं कर सकते हैं। आज भी उसकी घर वापसी हो सकती है।’
जयपुर। संघ इनदिनों वक्त के साथ लिबरल होता दिख रहा है। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने गुरुवार को घर वापसी को लेकर ऐसा ही एक बयान दिया। जयपुर में दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में कहा, ‘भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं, क्योंकि उनके पूर्वज हिंदू थे। उनकी पूजन पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन उन सभी का डीएनए एक है।’
उन्होंने कहा, ‘भारत में 600 से अधिक जनजातियां कहती थीं कि हम अलग हैं। हम हिंदू नहीं हैं। भारत विरोधी ताकतों ने उन्हें उकसाने का काम किया था। इस पर गोलवलकर जी ने कहा कि वे हिंदू हैं। उनके लिए दरवाजे बंद नहीं हैं, क्योंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा पर काम करते हैं।
किसी ने मजबूरी में गौ मांस ही क्यों न खाया हो, किसी कारण से वे चले गए तो दरवाजा बंद नहीं कर सकते हैं। आज भी उसकी घर वापसी हो सकती है।’
होसबोले ने कहा, ‘भारत हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि इस देश को बनाने वाले हिंदू हैं। कुछ लोग कहते हैं कि वेद पुराण में हिंदू नहीं हैं, लेकिन वेद पुराण में ऐसा भी नहीं कि इन्हें स्वीकार नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि सत्य और उपयोगी बातों को स्वीकार करना चाहिए।
डॉ. हेडगेवार इस व्याख्या में नहीं पड़े कि हिंदू कौन हैं। भारत भूमि को पितृ भूमि मानने वाले हिंदू हैं, जिनके पूर्वज हिंदू हैं, वे लोग हिंदू हैं। जो स्वयं को हिंदू माने, वो हिंदू है। जिन्हें हम हिंदू कहते हैं, वो हिंदू हैं।’
संघ न तो दक्षिणपंथी है और न ही वामपंथी: संघ न तो दक्षिणपंथी है और न ही वामपंथी है। बल्कि राष्ट्रवादी है। संघ भारत के सभी मतों और संप्रदायों को एक मानता है। ऐसे में सभी के सामूहिक प्रयास से ही भारत विश्व गुरु बनकर दुनिया का नेतृत्व करेगा। संघ ने हर दर्द को सहा और कहा, एन्जॉय द पेन।
राष्ट्र जीवन के केंद्र बिंदु पर संघ है: आज राष्ट्र जीवन के केंद्र बिंदु पर संघ है। संघ व्यक्ति निर्माण और समाज निर्माण के कार्य करता रहेगा। समाज के लोगों को जोड़कर समाज के लिए काम करेगा। आज संघ के एक लाख सेवा कार्य चलते हैं। संघ एक जीवन पद्धति और कार्य पद्धति है। संघ एक जीवन शैली है और संघ आज एक आंदोलन बन गया है। हिंदुत्व के सतत विकास के आविष्कार का नाम संघ है।
होसबोले ने कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं, दिल चाहिए। केवल दिमाग से काम नहीं चलेगा, क्योंकि दिल और दिमाग बनाना ही संघ का काम है। यही वजह है कि आज संघ का प्रभाव भारत के राष्ट्रीय जीवन में है। देश में लोकतंत्र की स्थापना में संघ की भूमिका रही। ये बात विदेशी पत्रकारों ने लिखी थी।’