Mohan Bhagwat Meeting

Mohan Bhagwat Meeting

जानें क्यों संघ प्रमुख मोहन भागवत कर रहे हैं मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बैठक?

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Mohan Bhagwat Meeting: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को दिल्ली के हरियाणा भवन में मुस्लिम धर्मगुरुओं और मौलानाओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की।

इस बैठक में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी, संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार सहित संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।

इस संवाद का उद्देश्य देश में धार्मिक सौहार्द, विश्वास और आपसी समझ को बढ़ावा देना बताया गया है, जिसमें करीब 70 मुस्लिम विद्वानों और समाज के प्रभावशाली लोगों ने भाग लिया।

चर्चा के दौरान विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों के साथ ही देश की एकता और अखंडता पर भी जोर दिया गया।

संघ की यह पहल मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के सहयोग से की गई, जो कि लंबे समय से मुस्लिम समाज से संवाद और समरसता के प्रयास में जुटा है।

दरअसल, RSS अपनी सहयोगी संस्था MRM के जरिए मुस्लिम मौलवियों, धर्मगुरुओं और समुदाय के प्रमुख लोगों के साथ बातचीत करता है।

साल 2023 में MRM ने कहा था कि वह एक राष्ट्र, एक झंडा, एक राष्ट्रगान के लिए पूरे देश में अभियान चलाएगा।

इससे पहले 2022 में मिले, मस्जिद भी गए थे

यह पहली बार नहीं है जब मोहन भागवत ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से संवाद किया हो।

सितंबर 2022 में भी उन्होंने मुस्लिम विद्वानों से मुलाकात की थी और दिल्ली की एक मस्जिद में जाकर वहां इमाम से भेंट की थी।

उस समय ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, हिजाब मुद्दा और जनसंख्या नियंत्रण जैसे विषयों पर खुलकर चर्चा हुई थी।

भागवत ने पहले भी सार्वजनिक मंचों से कई बार यह कहा है कि भारत में रहने वाले हिंदू और मुस्लिमों के पूर्वज एक हैं और सभी को मिलकर भारतवर्ष की एकता के लिए काम करना चाहिए।

इसके अलावा संघ के नेता इंद्रेश कुमार साल 2022 में हजरत निजामुद्दीन दरगाह गए थे। यहां उन्होंने चादर चढ़ाई और मिट्टी के दीये जलाए थे।

इस दौरान उन्होंने कहा था, निजामुद्दीन दरगाह में ‘मिट्टी के दीये’ जलाना शांति, समृद्धि और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देता है। इंद्रेश कुमार RSS के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संरक्षक हैं।

मुस्लिम, मुसलमानों और मस्जिद पर भागवत के बयान

सितंबर 2021 में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था, हिंदू कोई जाति नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों की एक परंपरा है, जिसमें सभी धर्म, भाषा और पंथों के लोग शामिल हो सकते हैं।

मुस्लिमों को भारत में डरने की जरूरत नहीं है। हमें मुस्लिम वर्चस्व की नहीं बल्कि भारत वर्चस्व की सोच रखनी होगी।

दिसंबर 2024 में एक बयान में भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों को बेवजह उठाने वालों की आलोचना करते हुए कहा था कि कुछ लोग खुद को हिंदुओं का नेता साबित करने के लिए इस तरह के मुद्दों को उछालते हैं, जो समाज में तनाव पैदा करता है।

जनवरी 2023 में उन्होंने कहा था कि इस्लाम की पूजा-पद्धति भारत में सबसे सुरक्षित है। पूरी दुनिया में जहां इस्लाम फैला, वहां संघर्ष हुए, लेकिन भारत में मुस्लिम समुदाय को समान आदर मिला और उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है।

 

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