आर के मिगलानी। नाम तो सुना होगा, नाम से आगे इनके बारे में कोई भी जानकारी गुगल भी नहीं दे सकेगा। कमलनाथ के सबसे करीबी मिगलानी को आप ‘मिस्ट्री मैन’ भी कह सकते हैं। पांच साल से एक आरटीआई भी लगी है, इनकी जानकारी मांगने को। उसका भी अब तक जवाब नहीं आया। छिंदवाड़ा में मिगलानी जी पर एक एफआईआर हुई है. आरोप है भाजपा प्रत्याशी बंटी साहू के अश्लील वीडियो को वायरल करवाने के लिए तीस लाख का लालच देने का।
पंकज मुकाती
गुगल करो सब जानकारी मिलेगी। ये भी गलत साबित कर दिया पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके निज सचिव राजेंद्र मिगलानी ने। आप गुगल से सर्च करके कमलनाथ की जाति नहीं ढूंढ सकते। कहीं-कहीं नाथ की जाति का आधा अधूरा जिक्र मिल भी जाएगा। उनके करीबी भी अपने साहेब के जन्म, कुनबे जाति के बारे में पूरे दावे से कुछ नहीं कह पाते।
नाथ से भी ज्यादा रहस्यमय शख्सियत है उनके निज सचिव राजेंद्र मिगलानी। लोग इन्हे आर के मिगलानी के नाम से जानते हैं। कमलनाथ के साथ करीब चालीस साल से वे हैं। मिगलानी कहाँ से आये, उनकी पढाई-लिखाई, पेशा इनमे से कोई भी जानकारी किसी को नहीं। छिंदवाड़ा के लोगों से पूछिए वे कहेंगे साहेब के करीबी हैं मिगलानी जी। जब साहेब छिंदवाड़ा आते हैं वे भी आते हैं। साहेब के साथ ही लौट जाते हैं।
आप सोशल मीडिया पर खंगाल लीजिये। कुछ हाथ नहीं लगेगा। केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री का सबसे करीबी शख्स। इतना रहस्यमयी? पूरे चालीस साल से। आर के मिगलानी नाम का फेसबुक अकाउंट जरूर है। इसमें भी उनके कुल जमा तीन दोस्त हैं। न कोई पोस्ट न कोई जानकारी। सारे खाने खाली पड़े हैं। राजनीति के पॉवर सेण्टर में सब मिगलानी जी को जानते हैं। पर उनके बारे में सब कुछ कोई नहीं जानता ।
मिगलानी के बारे में जानकारी इतनी कम हैं कि जब वे मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी बने तो मीडिया के पास भी उनके बारे में छापने को कोई जानकारी नहीं थी। मीडिया भी सिर्फ चार लाइन लिख पाया नाथ के करीबी मिगलानी बने ओएसडी। सबसे बड़ी बात मिगलानी के बारे में जानकारी के लिए सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगना पड़ा। 2019 में लगे इस आवेदन का जवाब भी आज तक नहीं आया। सोचिये, एक आदमी जो प्रदेश के मुख्यमंत्री का सारा काम देख रहा हो उसकी नियुक्ति सरकारी कागज़ों में उसके बायोडाटा के बिना कैसे हो गई होगी ? यदि सरकारी रिकॉर्ड में जानकारी है तो फिर आरटीआई के बावजूद पांच साल से मिल क्यों नहीं पाई।
इस आरटीआई को लगाने वाले एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि सरकारी दफ्तर में किसी भी पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक होनी ही चाहिए। वो भी मुख्यमंत्री के ओएसडी जैसे पद वाला व्यक्ति। दुबे का कहना है मैंने मिगलानी जी के सम्बन्ध में जानकारी मांगी थी। जो आज तक मुझे नहीं मिली।
आज मिगलानी जी का जिक्र क्यों..
दरअसल, छिंदवाड़ा में एक पत्रकार ने आरके मिगलानी और एक अन्य पत्रकार सचिन गुप्ता के खिलाफ एफआईआर करवाई है। पत्रकार का आरोप है कि कमलनाथ के छिंदवाड़ा वाले बंगले पर उसको सचिन गुप्ता ने बुलाया। वहां मिगलानी सोफे पर लेटे हुए थे।
गुप्ता और मिगलानी ने मुझे एक अश्लील वीडियो दिया और कहा कि इसको 17 तारीख को वायरल कर दो। तीस लाख रुपये देंगे। आरोप लगाने वाले पत्रकार नेजिन नम्बरों से बात हुई उनकी रिकॉर्डिंग और मिगलानी के सोफे पर लेटे हुए वीडियो भी सबूत के तौर पर पुलिस को सौंपे।
पत्रकार का कहना है कि ये वीडियो भाजपा के छिंदवाड़ा प्रत्याशी बंटी साहू के बताये जा रहे हैं। इसमें साहू एक महिला के साथ दिख रहे हैं। मैंने पैसे के लालच के बजाय इसे गलत काम मानते हुए बंटी साहू को जानकारी दी। फिर पुलिस को आवेदन देकर एफआईआर करवाई।
बहुत सम्भव है कि जो जानकारी आरटीआई से नहीं मिल सकी, वो शायद इस पुलिस जाँच में मिल जाए। भाजपा सरकार ही उस आरटीआई का जवाब दिलवा दे ताकि जनता पावरफुल आदमी के बारे में ज्यादा जान सके।
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