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Palayan Roko Rojgar Do Yatra : बिहार। कांग्रेस ने बिहार में पश्चिमी चंपारण से ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा शुरू कर दी । जिसका नेतृत्व कन्हैया कुमार कर रहे हैं। यात्रा का मकसद बढ़ती बेरोजगारी और युवाओं के पलायन के मुद्दे को उठाना है। इसमें राज्य और केंद्रीय नेतृत्व के कई बड़े चेहरे शामिल हैं। हालांकि सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार जैसे राज्य में मजबूत होने की कोशिश में जुटी कांग्रेस ने मुद्दों का चयन ठीक किया है क्या?
इस यात्रा की अगुवाई कांग्रेस के कन्हैया कुमार कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि बिहार राजनीतिक रूप से बहुत अहम् है। यहाँ पार्टी बड़े और कड़े मुद्दे उठा कर अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस में वरिष्ठ विचारकों के हिसाब से उनके मुद्दे वहां के आम आदमी के मुद्दे हैं। लेकिन दूसरी पार्टी और राजनीतिकों के हवाले से यात्रा तो ठीक है लेकिन कांग्रेस ने मुद्दे कमजोर उठाये हैं। कुछ मुद्दों पर दूसरी पार्टी जीत कर आयी है तो कुछ मुद्दे कांग्रेस की सरकार की नीति के खिलाफ माने जा रहे हैं।
यात्रा की अगुवाई कर रहे कन्हैया कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी के भितिहरवा आश्रम से यह यात्रा शुरू की है। बापू की दांडी यात्रा और उनके सत्य और अहिंसा के सिद्धांत से प्रेरणा लेकर यह यात्रा शुरू की गई है। यह पदयात्रा बिहार के विभिन्न जिलों से गुजरते हुए पटना में समाप्त होगी।
जाने-पहचाने चेहरे नहीं हैं शामिल
रैली में दिख रहे कांग्रेस के बड़े प्रभारियों के अलावा कोई और बड़े चेहरे इसमें नहीं दिख रहे हैं। यह यात्रा कांग्रेस के युवा और छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही है। इसमें बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और राहुल गांधी के करीबी नेता कन्हैया कुमार ने पश्चिमी चंपारण से इस यात्रा की शुरुआत की।
मुद्दों में कितना दम
बिहार में नौकरी बांटने के मुद्दे का सारा श्रेय आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को जाता है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ही वह पहले नेता रहे जिन्होंने पहली बार वादा किया कि अगर वह सत्ता में आए तो 10 लाख सरकारी नौकरी देंगे। उनका ये मुद्दा कारगर रहा और आरजेडी 75 विधानसभा सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। सरकार चलने के 17 महीने के कार्यकाल में बिहार में टीचरों की बम्पर भर्ती हुई। जब नितीश कुमार भाजपा के साथ सत्ता में आये तो उन्हें लगा इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। तो नितीश कुमार इस पर गंभीरता से काम में लगे हैं। तो सवाल यह उठता है कि कांग्रेस की इस यात्रा में उठाये नौकरियों का मुद्दा कितना कारगर रहेगा।
पेपर लीक का असर नहीं
पिछले दिनों विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड जैसे राज्य हैं जहां पेपर लीक के मुद्दों का कोई असर नहीं दिखा है।
लेकिन कांग्रेस अपनी यात्रा में इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाने में जुटी है।
पलायन के मुद्दे पर कैसे बचेगी कांग्रेस
बिहार में पलायन एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कांग्रेस को घेरना सबसे आसान है। और कांग्रेस ने इसे ही अपने यात्रा में मुद्दा बनाया है। 1990 तक बिहार में कांग्रेस की ही सरकार रही है। कांग्रेस पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि श्रीकृष्ण सिंह के दौर को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री ऐसा नहीं आया जिसने बिहार में रोजगार पैदा करने की कोशिश की हो। कहा जाता है कि कांग्रेस की गलत नीतियों के चलते बिहार में पलायन का दौर शुरू हुआ जो अब भी जारी है।
कन्हैया कुमार की तरफ से पलायन पर बयान आते ही जेडीयू के संजय कुमार झा ने तंज लहजे में कहा कि कांग्रेस और आरजेडी को पलायन पर बात करने का कतई हक नहीं है। इन्हीं दोनों पार्टियों की सरकारों में सबसे ज्यादा बिहार से पलायन हुआ है।
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