#POLITICSWALA Report
भोपाल । मध्यप्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किल हो गई है। जीत के लिए नहीं प्रत्याशी तय करने के लिए। इंदौर सीट से कांग्रेस को प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। कांग्रेस के दो संभावित उम्मीदवार संजय शुक्ला और विशाल पटेल बीजेपी में शामिल हो गए। अब बचे प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी। पटवारी यदि चुनाव में उतर गए तो कांग्रेस संगठन को चुनाव के दौरान मुश्किल आएगी। ऐसे में अश्विन जोशी एक नाम हो सकते हैं, पर पटवारी से उनकी पटरी नहीं बैठती। अब ले देकर शिक्षा जगत के अक्षय कांति बम का नाम लगभग तय माना जा रहा है।
अक्षय कांति बम इंदौर में बड़े कॉलेजों को संचालन करते हैं। जैन समुदाय से हैं। धनबल से भी मजबूत हैं। युवा जोश भी है। राजनीतिक अनुभव शून्य है। पर उनको लगता है वे चुनाव जीत लेंगे। इस सोच के पीछे पैसा और समाज दोनों है। पर इंदौर सीट के इतिहास को देखें तो अक्षय कांति बम केवल एक मुँह दिखाई की रस्म जैसे ही साबित होंगे। कांग्रेस ने यहाँ से हमेशा एक धनवान उम्मीदवार तलाशा है। इस बार वो दम बम में दिखाई दे रहा है। हालांकि अंतिम चुनाव छोड़ दें तो संघवी ने सारे चुनाव लडे दमदारी से। इसके विपरीत बम के पास संघवी जितनी मजबूत पहचान का भी अभाव है।
अक्षय बम के कॉलेज भी जीतू पटवारी की राऊ विधानसभा में ही आते हैं। यदि बम को टिकट मिलता है तो वे दूसरे पंकज संघवी साबित होंगे। जिन्हे पार्टी ने धनबल और गुजराती समाज के नाते टिकट दिया। वे सारे चुनाव हारे। सिर्फ कुछ कोंग्रेसियों की झोली उन्होंने जरूर भरी। अक्षय बम की तरह ही संघवी को गुजराती समाज अपनी क्षैक्षणिक संस्थाओं और धनबल का ही भरोसा था। बम भी उनकी ही राह पर होंगे।
अक्षय कांति बम को जीतू पटवारी चुनाव लड़वाना चाहते हैं. उनका नाम विधानसभा चुनावों के समय भी चर्चाओं में था. लेकिन, पार्टी ने उनकी जगह राजा मंधवानी को टिकट दिया था. हालांकि, राजा मांधवानी बीजेपी की विधायक मालिनी गौड़ से बड़े अंतर से हार गए थे.
युवा नेता के तौर पर हैं सक्रिय
बीजेपी इंदौर सीट से लगातार चुनाव जीतती आ रही है। जानकारों का कहना है कि वह पैसे से काफी मजबूत है और अपने स्तर पर चुनाव लड़ने में सक्षम हैं. अक्षय कांति बम लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि चुनाव में पैसा खर्च करने के लिए उनके पास पर्याप्त बजट है। इसके अलावा अक्षय कांति बम ने युवा नेता के तौर पर अच्छी खासी पहचान बनाई है। जैन समाज से आने के कारण जैन समाज के लोगों का समर्थन उन्हें मिल सकता है.
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