RJD Expelled 27 Leaders

RJD Expelled 27 Leaders

चुनाव से पहले RJD में बगावत का विस्फोट: 2 विधायक, 4 पूर्व MLA समेत 27 नेता 6 साल के लिए पार्टी से बाहर

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RJD Expelled 27 Leaders: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जैसे-जैसे मुकाबला तीखा होता जा रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों के भीतर भी घमासान तेज हो गया है।

इसी कड़ी में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बड़ा संगठनात्मक एक्शन लेते हुए अपने 27 नेताओं को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।

इन नेताओं में 2 मौजूदा विधायक, 4 पूर्व विधायक, 1 पूर्व MLC और कई जिला-स्तरीय पदाधिकारी शामिल हैं।

पार्टी ने आरोप लगाया है कि ये सभी नेता राजद के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव में निर्दलीय रूप से मैदान में हैं या विरोधी उम्मीदवारों को समर्थन दे रहे हैं, जो सीधे तौर पर पार्टी अनुशासन का उल्लंघन है।

इस सूची में सबसे चर्चित नाम परिहार से निर्दलीय लड़ रहीं रितु जायसवाल का है।

किस वजह से शुरू हुआ विवाद?

आरजेडी में नाराज़गी की शुरुआत तब तेज हुई, जब इस बार टिकट वितरण में कई मौजूदा विधायक और पिछले चुनावों में दूसरे स्थान पर रहे नेताओं के टिकट काट दिए गए।

इनमें कुछ सीटें सहयोगी दलों के खाते में गईं, जबकि कुछ पर नए चेहरों को मौका दिया गया।

बहुत से स्थानीय नेताओं का मानना है कि टिकट चयन में जमीनी कार्यकर्ताओं से ज्यादा “खास परिवारों” और “करीबी नेटवर्क” को तरजीह दी गई।

यही वजह है कि इनमें से कई नेताओं ने पार्टी के खिलाफ जाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने या दूसरे दलों में शामिल होने का रास्ता चुना।

रितु जायसवाल: दोहरा मापदंड का आरोप

रितु जायसवाल, जो पहले शिवहर से लोकसभा और परिहार से विधानसभा चुनाव आरजेडी टिकट पर लड़ चुकी हैं, इस बार फिर परिहार सीट की दावेदार थीं।

लेकिन पार्टी ने टिकट पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता पूर्वे को दे दिया। इसके बाद रितु ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया।

निष्कासन के बाद रितु ने कहा— पार्टी में दो मापदंड हैं। एक परिवारों के लिए और दूसरा उन कार्यकर्ताओं के लिए, जिन्होंने जमीन पर मेहनत की है।

अगर मो. कामरान जैसे शांत और वफादार विधायक का टिकट काटा जा सकता है, तो बाकी कार्यकर्ताओं के साथ क्या न्याय होगा?

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब 2020 में रामचंद्र पूर्वे पर पार्टी विरोधी काम का आरोप लगा था, तब उस समय उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

कौन-कौन नेता हुए निष्कासित और क्यों

नाम पद / पहचान कार्रवाई का कारण
छोटे लाल राय (MLA, परसा) जदयू में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे पार्टी विरोधी गतिविधि
मो. कामरान (MLA, गोविंदपुर) टिकट कटने के बाद निर्दलीय मैदान में आधिकारिक उम्मीदवार का विरोध
रितु जायसवाल पूर्व आरजेडी प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ना
राम प्रकाश महतो (पूर्व विधायक, कटिहार) टिकट न मिलने पर निर्दलीय पार्टी विरोध
सरोज यादव (पूर्व विधायक, बड़हरा) नए प्रत्याशी से असहमति निर्दलीय मैदान में
अनिल यादव (नरपतगंज) टिकट कटने से नाराज़ निर्दलीय उम्मीदवार
मुकेश यादव (संदेश) आधिकारिक प्रत्याशी का विरोध निर्दलीय लड़ाई
राम सखा महतो (जिला महासचिव) टिकट न मिलने पर निर्दलीय अनुशासनहीनता

और इसी तरह कई जिला उपाध्यक्ष, प्रखंड अध्यक्ष और प्रवक्ता भी कार्रवाई की सूची में शामिल हैं।

तेजप्रताप यादव फैक्टर: असली सिरदर्द 

तेजप्रताप यादव को पहले ही आरजेडी 6 साल के लिए बाहर कर चुकी है।

वह इस बार अपनी पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ के नाम से चुनाव लड़ रहे हैं।

वे महुआ सीट से खुद उम्मीदवार हैं और उन्होंने कई अन्य सीटों पर भी उम्मीदवार खड़े किए।

यहाँ तक कि तेजस्वी यादव की परंपरागत सीट राघोपुर पर भी उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार दिया है।

आरजेडी को आशंका है कि तेजप्रताप यादव वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं, जिससे सीटों पर नुकसान संभव है।

यही वजह है कि जो नेता तेजप्रताप की पार्टी में शामिल हुए, उन्हें भी तुरंत निष्कासित कर दिया गया।

दूसरे दलों में शामिल होने वालों की सूची

नेता पूर्व पद शामिल हुए दल
छोटे लाल राय (परसा) राजद विधायक जदयू
अनिल सहनी (पूर्व सांसद) आरजेडी जदयू
कुमार गौरव (हायाघाट) अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष बीजेपी
राजीव कुशवाहा (दरभंगा) जिला महासचिव बीजेपी

इन नेताओं ने राजद पर पिछड़े वर्गों और स्थानीय कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया है।

अनुशासन सर्वोपरि, एक्शन का चुनाव पर असर

पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चुनाव के समय किसी भी तरह की बागी गतिविधि पार्टी और गठबंधन दोनों को नुकसान पहुंचाती है।

संगठन अनुशासन से चलता है, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से नहीं। इसलिए कार्रवाई आवश्यक थी।

पार्टी का मानना है कि यदि बागी उम्मीदवारों को रोका नहीं गया तो सीटों के सीधे नुकसान की संभावना बढ़ जाएगी, खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला तिकोना या चतुष्कोणीय हो चुका है।

विश्लेषकों के मुताबिक, कई सीटों पर वोटों का विभाजन तय है। यादव-कोर वोट पर सीधी चोट पड़ सकती है।

महागठबंधन के भीतर तनाव और अविश्वास बढ़ा है। बीजेपी और जदयू के लिए यह स्थिति फायदेमंद हो सकती है

विशेषकर परिहार, गोविंदपुर, महुआ, कटिहार और राघोपुर जैसी सीटों पर मुकाबला अब बहुभुज हो चुका है।

आरजेडी द्वारा 27 नेताओं को निष्कासित करने का फैसला संगठनात्मक मजबूती दिखाने का प्रयास है, लेकिन इसके साथ ही यह स्पष्ट संकेत भी है कि पार्टी के अंदर असंतोष गहरा है।

टिकट वितरण की प्रक्रिया में कार्यकर्ताओं और पुराने नेताओं की नाराज़गी अब चुनावी मैदान में सीधी चुनौती बन चुकी है।

आगे आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह बिखराव गठबंधन की जीत को प्रभावित करेगा या पार्टी नेतृत्व इसे नियंत्रित कर पाएगा।

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