इंदौर। इंदौर से लम्बे समय तक सांसद। लोकसभा स्पीकर। दोनों सफल कार्यकाल सुमित्रा महाजन के नाम है। फिर भी वे खफा हैं। भाजपा संगठन और प्रदेश की सरकार से ? ऐसा ताई के बयानों में अक्सर झलकता है। आखिर क्यों ताई खुद को उपेक्षित महसूस कर रही हैं। क्या वे अभी भी कुछ पाना चाहती हैं.
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सक्रियता बढ़ा दी है। शनिवार को सुमित्रा महाजन ने मन की पीड़ा भी जाहिर की। ताई ने कहा- अब उन्हें कोई नहीं पूछता। वो आज हैं, कल रहेंगी या नहीं, कह नहीं सकते। ताई ने सीधे सीधे बगावती तेवर दिखाते हुए कहा कि यदि इंदौर को मंत्री नहीं मिलता है तो उसका गुस्सा जाहिर करना ही चाहिए।
इसके साथ ही मंत्रिमंडल विस्तार में इंदौर से कोई मंत्री न शामिल करने पर भी ताई ने पीड़ा जाहिर की। वे बोली इंदौर को उचित प्रतिनिधित्व मिलना ही चाहिए। शिवराज सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इंदौर से किसी को मंत्री नहीं बनाया था। अभी भी यही हाल है। तुलसीराम सिलावट और उषा ठाकुर सांवेर और महू का प्रतिनिधित्व करते हैं। इंदौर का नहीं। ताई ने ये भी कहा कि इंदौर को मंत्री न मिलने पर अपना रोष (गुस्सा) जाहिर करना चाहिए।
समर्थकों के लिए निगम चुनाव में टिकट मांगने को लेकर कहा, अब उन्हें कौन पूछेगा। उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार में इंदौर उचित प्रतिनिधित्व देने की की भी मांग जरूर की है। ताई ने कहा कि इंदौर में ज्यादा मंत्री मिलते हैं, तो अच्छी बात है। नहीं मिलते हैं, तो रोष जाहिर करना चाहिए।
दरअसल, सुमित्रा महाजन कई बार इस तरह की बात कह चुकी हैं। क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष रहने के बाद से ताई को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। ताई हमेशा कहती रही हैं, वो अभी भी सक्रिय हैं। हालांकि, बड़े दिनों के बाद आए ताई के इस बयान को आगामी नगरीय निकाय चुनाव के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है।
निगम चुनाव में अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगने को लेकर कहा कि मैं कौन हूं, मुझे कोई पूछता नहीं है। लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कहा कि मंत्रिमंडल में इंदौर को उचित प्रतिनिधित्व मिले। महापौर का प्रत्याशी विजन वाला होना चाहिए।