सत्ता की चाहत के निराले रंग, कौन किसका दुश्मन कौन किसके संग…….
कहते है एक तस्वीर में समय को रोकने की शक्ति होती है, यह वो क्षण है जिसे हम कैद कर लेते है जो जीवन भर रहता है। समय बदलता रहता है और लोगों के साथ संबंध भी, लेकिन इन संबंधों की गवाह ये तस्वीरें कभी बदल नहीं सकती। नेताओं की बनावटी बातें बदल सकती है लेकिन तस्वीर में लिखा सच नहीं बदलता।
ये तो सच है की सत्ता का मोह व्यक्ति से कुछ भी करवा सकता है। जब अपने लोग पराए और पराए लोग अपने लगने लगे तो समझ जाना चाहिए की सत्ता और शक्ति की चाहत अब बढ़ने लगी है। सियासत में कोई भी समय स्थाई नहीं होता, चाहे वो दोस्ती हो या दुश्मनी। जो तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को खरी खोटी कहते नहीं थकते थे, आज वही साथ मिलकर सत्ता का सुख ले रहे है। राजस्थान कांग्रेस के दो बड़े नेता जिनकी आपसी लड़ाई जग जाहिर है , खैर नेताओ के यह बगावती तेवर बदलते रहते है। सत्ता के मोह में पैदा हुई आपसी दुश्मनी भी इन मुस्कुराती तस्वीरों को छुपा देती है। कौन सा नेता कब किसकी खिदमत में नजर आए यह कहना थोड़ा मुश्किल है, वैसे तो ये परंपरा भारतीय राजनीति में वर्षो से चली आ रही है। समय के साथ, साथी बदलना नेताओं की फितरत में शुमार है। चुनावों के नजदीक आते ही दोस्ती दुश्मनी का खेल शुरू हो जाता है उसका अंदाज़ा लगाना जनता के बस की बात भी नहीं है।
नेताओं के इस बदलते सियासी रिश्तों का सबसे ज्यादा खामियाजा तो बेचारी मासूम जनता को ही भुगतना पड़ता है, जहां आजकल चुनावों से जरूरी मुद्दे गायब हो गए है। बेरोजगारी और विकास जैसे बुनियादी विषयों पर अधिकतर नेता बात नही करना चाहते बल्कि इनकी जगह धर्म और जाति पर राजनीति की जा रही है। ये भी सच है की कुर्सी की चाह इंसान को अंधा कर देती है, रिश्तों को डोर को उलझा देती है, ख़ासकर के चुनावों की राजनीति तो बहुत पत्थर दिल होती है, कुर्सी की चाह में भरोसे का कत्ल करना पड़ता है, कभी प्रतिद्वंदियों को गले लगाना पड़ता है तो कभी अपने ख़ास लोगों से दूरी बनानी पड़ती है।लेकिन ये सच है कि सियासत के खेल में, स्वार्थ और कुर्सी की चाह में सियासत वालों के आपसी रिश्तों को खाक होते देखा जाता रहा है।
बीते कुछ सालों में भारतीय राजनीति के ऐसे ही कुछ पल कैमरे में क़ैद किए गए है, जहां सियासत के कुछ अलग ही रंग दिखाई देते है। अब इन नेताओं के मन की बात तो वो खुद ही जानते होंगे लेकिन तस्वीरें तो कुछ अलग ही बात कहती नजर आ रहीं हैं।
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