प्रज्ञा सिंह के अंदर केमिकल लोचा है, या चर्चा की भूख !
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प्रज्ञा सिंह के अंदर केमिकल लोचा है, या चर्चा की भूख !

भोपाल से बीजेपी की सांसद चुनी गई, साध्वी प्रज्ञा हमेशा विवादित काम करती है,  लगता है
उन्हें विवाद में बने रहने की बीमारी है, कुछ लोग इसे दिमागी केमिकल लोचा कह रहे है

इंदौर। भोपाल लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई प्रज्ञा सिंह ठाकुर के दिमाग को कोई नहीं पढ़ पा रहा। खुद अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें नाकाम रहे। लोकसभा चुनाव के दौरान, गोडसे को देशभक्त बताने, हेमंत करकरे की शहादत को कर्मो की सजा बताने जैसे सिरफिरे बयान वे देती रही है। इसके लिए पार्टी उन्हें चेतावनी देती रही है, पर बेअसर रहा। सोमवार को लोकसभा में कदम रखते ही वे फिर बोली और विवाद शुरू हो गया। पूरे दिन मीडिया की हैडलाइन साध्वी प्रज्ञा ही रही। आखिर साध्वी ऐसा क्यों करती हैं? क्या उनके दिमाग में कोई केमिकल लोचा है, या सिर्फ चर्चा में रहने की सनक ? या वे जानबूझकर बीजेपी के इशारे पर ऐसा करती है।
लोकसभा सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई गई। . विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने संसद सत्र के पहले ही दिन सदन का अनुशासन तोड़ते हुए नया विवाद पैदा कर दिया. पहली बार सांसद चुनी गईं प्रज्ञा सिंह ठाकुर जब शपथ लेने पहुंचीं तो उन्होंने अपने नाम के पीछे स्वामी पूर्ण चेतनानंद अवधेशानंद गिरी जोड़कर शपथ लेना शुरू किया, जिसपर विपक्षी सांसदों ने नियम-कायदों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई.साध्वी प्रज्ञा ने चुनाव में उम्मीदवारी के वक्त हलफनामे में अपने पिता का नाम सी. पी. सिंह दर्ज कराया है लेकिन उन्होंने शपथ लेते वक्त पिता के नाम की जगह अवधेशानंद गिरी का नाम बोला जो कि उनके आध्यात्मिक गुरु हैं, रिकॉर्ड में यह नाम दर्ज नहीं है. नियमों के मुताबिक नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त हलफनामे में जो नाम दर्ज कराया जाता है, सांसद उसी नाम से शपथ ले सकते हैं, फिर भी सांसद अपने पिता का नाम अपने नाम के साथ जोड़ सकते हैं. लेकिन प्रज्ञा ने जो नाम लिया वह उनके हलफनामे में दर्ज नहीं था. यही बात हंगामे की वजह बन गई.

विपक्षी सांसदों की आपत्ति थी कि प्रज्ञा जो नाम ले रही हैं वह रिकॉर्ड से बाहर है. लोकसभा की महासचिव ने भी कहा कि आप संविधान या ईश्वर के नाम पर शपथ ले सकती हैं. विपक्षी सांसदों के हंगामे पर प्रोटेम स्पीकर ने साफ किया कि जो नाम रिकॉर्ड में दर्ज होगा उसी से शपथ ग्रहण की जा सकती है.विपक्षी सांसदों की आपत्ति के बाद प्रोटेम स्पीकर ने सदन में रिकॉर्ड चेक करने की बात कही और उनका प्रमाण पत्र निकलवाया गया. प्रज्ञा ने फिर इसी नाम के साथ शपथ लेना शुरू किया तो उन्हें फिर रोक दिया गया. तीसरी बार में प्रज्ञा सिंह ठाकुर अपनी शपथ पूरी कर सकीं. इस दौरान विपक्षी सांसदों के हंगामे पर प्रज्ञा गुस्से में नजर आईं और उन्होंने कहा कि कम से कम ईश्वर के नाम पर तो शपथ लेने दो. आखिर में प्रज्ञा ने भारत माता की जय के नारे के साथ अपनी शपथ पूरी की.

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