150 बच्चों की मौत के बाद नीतीश मुज्जफरपुर के अस्पताल में पहुंचे, हुआ भारी विरोध
इंदौर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपदाओं के वक़्त कमजोर क्यों दिखाई देते है। जनता में लोकप्रिय ये मुख्यमंत्री बड़े मौकों अक्सर चूक जाता है। छपरा में मिड डे -मील से बच्चों की मौत का मामला हो या कोसी की बाढ़। नीतीश कुमार कभी भी मौके पर नहीं गए। वे अक्सरअपने मुख्यमंत्री निवास में एयरकंडीशनर में बैठकर घटना पर अफसरों से पूछताछ करना ही पसंद करते हैं। सुशासन बाबू की ये बड़ी कमजोरी है। अक्सर लोग इस बात की शर्त भी लगाते हैं कि आपदा में नीतीश पीड़ितों से मिलने जाएंगे या नहीं ? जनता के दर्द को बांटने में उनके गुस्से को समझने में वे कमजोर हैं। अक्सर वे ऐसे मौके पर डरपोक साबित हुए हैं। जनता से आखिर इतना डर क्यों ? इसके उलट उनका कार्यकाल बिहार के पिछले तीस साल में सबसे अच्छा कार्यकाल है। फिर भी भी
वे जनता से सीधे जुड़ने वाले नेता क्यों नहीं बन पाए। मंगलवार को नीतीश जापानी बुखार से 150 से जयादा बच्चों के मौत के बाद सीएम हाउस से बाहर निकले। मुजफ्फरपुर में उन्हें जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वे एक बार फिर लोगों का सामना करने में नाकाम रहे। बहुत संभव है कि अब वे आगे फिर किसी आपदा के वक्त बाहर न निकलें।
मालूम हो कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार की वजह से अभी तक 108 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. पिछले एक हफ्ते से हाहाकार मचा है लेकिन
राज्य के मुखिया नीतीश कुमार अब जाकर अस्पताल में सुध लेने पहुंचे हैं. नीतीश जब अस्पताल में पहुंचे तो उनका जमकर विरोध किया गया. बाहर खड़े लोगों ने ‘नीतीश गो बैक’ के नारे भी लगाए.सरकार एक्शन का दावा कर रही है तो वहीं अभी भी अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 414 हो गई है. चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में एडमिट हैं.
अब तक एसकेएमसीएच हॉस्पिटल में 89 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हो गई है. वहीं चमकी बुखार पर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज (मंगलवार) मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच हॉस्पिटल पहुंचे और हालात का जायजा लिया.