पॉलिटिक्सवाला की खबर ‘क्या मीडिया बिकाऊ है?’ पर लगी मुहर
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने अपनी महिमामंडन के लिए मनमर्जी से विज्ञापन के नाम पर कथित मीडिया को जमकर खरीदा। विज्ञापनों के नाम पर कई फर्जी खबरें छपवा कर सरकार ने वाहवाही लूटी। सरकार ने करोडों के विज्ञापनों की रेवडियां अपने वालों को बांट दी। इसी से जुडा सवाल जब कांग्रेसी विधायक ने सदन में उठाया तो सरकार ने मुद्दे से भटका कर उन्ही की घेराबंदी कर डाली। पॉलिटिक्सवाला ने ‘क्या मीडिया बिकाऊ है?’शिर्षक से खबर प्रकाशित http://politicswala.com/2018/03/16/madhypradesh-media)
हाल ही में एक शिकायत के आधार पर कोर्ट ने 300 करोड के विज्ञापन घोटाला मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों को जनसंपर्क विभाग के आला अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज कर अनुसंधान पूर्ण कर पेश करने के आदेश जारी किए हैं। जाहीर है कोर्ट के इस आदेश ने यह साफ कर दिया है कि सरकार ने विज्ञापनों के नाम पर मीडिया मैनेजमेंट का खेल जमकर चला रखा है।
न्यायाधीश सतीश चंद्र मालवीय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी भोपाल ने थाना प्रभारी आर्थिक अपराध भोपाल को 05 मार्च को विनय डेविड की तरफ से प्रस्तुत परिवाद में वर्णित तथ्यों की सम्यक रूप से अनुसंधान कर पूर्ण जाँच को 23 मार्च को न्यायालय में पेश करने के आदेश दिये।
गैरतलब है कि सजनसम्पर्क विभाग में 300 करोड़ रुपयों का खुलेआम विज्ञापनो का घोटाला किया गया। जनसम्पर्क विभाग ने एक ही परिवार के कई सदस्यों को करोड़ो रुपये देकर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सचिव एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा, तत्कालिक जनसंपर्क आयुक्त अनुपम राजन,जनसंपर्क संचालक अनिल माथुर, अपर संचालक मंगला प्रसाद मिश्रा और पूर्व संचालक जनसम्पर्क लाजपत आहूजा के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 120बी की एफआईआर दर्ज करने का परिवाद सीजेएम कोर्ट में एडवोकेट यावर खान ने विनय जी डेविड की ओर से पेश किया था. कोर्ट में बयान के बाद लगातार पेशी चल रही थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने अनुसंधान कर पूर्ण जाँच को 23 मार्च 2018 को न्यायालय में पेश करने के आदेश दिये हैं।
मध्यप्रदेश का जनसम्पर्क विभाग, पत्रकारिता के नाम पर भाई-भतीजावाद, कमीशन आधारित विज्ञापनवाद,चहेतों को आर्थिक लाभ पहुंचाने तथा एक ही परिवार के कई सदस्यों को मीडिया अथवा पत्रकारिता के नाम पर विज्ञापन देने का कार्य कर रहा है।
पहले भी लोकायुक्त और आर्थिक अपराध इकाई ने कई प्रकरणों में जांच भी की परंतु इस मामले में कभी भी दोषियों को सजा नहीं हुई। इस मामले में आवाज उठाने पर बेखौफ निर्भीक एवं सजग स्वच्छ पत्रकारिता करने वालों को दबाने का प्रयास किया गया। कई पत्रकार संगठनों ने समय-समय पर आंदोलन भी किए. परंतु ऐसे संगठनों में फूट डालकर आंदोलनों को उनके रास्ते से दूर करने की कोशिश भी की जाती रही है।
भोपाल के पत्रकार विनय डेविड ने इस मामले में तथ्यों के साथ पूरे तीन सौ करोड़ रुपए के घोटाले के विरुद्ध सीजेएम, भोपाल न्यायालय में एक इस्तगासा दायर किया था. एडवोकेट यावर खान तथा विनय डेविड के मुताबिक दायर इस्तगासे में प्रमुख सचिव एसके मिश्रा,तत्कालिक आयुक्त जनसम्पर्क अनुपम राजन के जनसंपर्क संचालक अनिल माथुर, अपर संचालक मंगला प्रसाद मिश्रा और पूर्व संचालक जनसम्पर्क लाजपत आहूजा के विरुद्ध 420, 467, 468, 120 बी की एफआईआर दर्ज करने के लिए आग्रह किया था। सीजेएम भोपाल इस इस्तगासे में 02 मार्च 2016 को सभी के कथन लिए गये थे. अब इस मामले मे न्यायालय ने अनुसंधान कर पूर्ण जाँच को 23 मार्च 2018 को न्यायालय में पेश करने के आदेश दिये हैं।
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